मे हु तन्हा...
मेरी जिंन्दगी है कहाँ..?
ये दर्पण बता, चहेरा है कहाँ...?
मे हु तन्हा.. मेरी जिंन्दगी है कहाँ...?
हे फासले क्यो मिटते नही
ये रास्ते क्यो कटते नही
सर्गोसी ईन आँखो मे छाई अंघेरा
हे मेरी बचपन कहाँ...?
मे हु तन्हा......
मेरी जिंन्दगी हे कहाँ..?