रुको गम को सहला लूं तो चले जाना
दर्द को जरा बहला लूं तो चले जाना
ऐसा भी नहीं कि जी नहीं पाऊं तुम बिन
ये बात खुद को समझा लूं तो चले जाना
धड़कता नहीं दिल की जगह,दिल की तरह
जिस्म को पत्थर का बना लूं तो चले जाना.
कितनी सदियों से कैद है कोई मेरे भीतर
उसे इक बार गले से लगा लूं तो चले जाना.