लौकिक ज्ञान के अलमबरदारों को
आसपास गूंजती आवाजों में
रूप-रस-छंद-लय का अंदाज़ तो होता है
लेकिन ह्रदय की गहराइयों में गूंजती
ख़ामोशी सुन नहीं पाते उनके कान
वो अंधे और बहरे होते हैं
रूह के आर्तनाद या मस्ती के आलम से बेखबर
लौकिक ज्ञानियों ने बनाये हैं अनोखे सौन्दर्य-शास्त्र
और मेरी रूह को छूकर निकल जाने वाले स्पर्श ने
कभी ऐसा कोई दावा नहीं किया
आओ कि उसे हम महसूस करें .....