भाग कर कहाँ जाएँ
हर जगह तुम्हे पायें
जब से किया किनारा मैंने
दूरियां हैं घटती जाएँ
तुम क्या जानो कैसे-कैसे
बेढंगे से ख्वाब सताएं
गुपचुप-गुपचुप, धीरे-धीरे
माजी के लम्हात रुलाएं
चारों ओर भिखारी, डाकू
मांगें और लूट ले जाएँ
तुमसा दाता कहाँ से पायें
वापस तेरे दर पर आयें