अपने उन वीर सैनिकों को समर्पित जो हमारी कैसी-कैसी विकट परिस्थियों में सीमा पर डटे रहकर हमारी रक्षा करते हैं:-
कहीं बर्फ़ कहीं कोहसार और कहीं उड़ती धूल का कहर,
इतने मुश्किल हालातों में लगती नहीं कभी खुद की ख़बर।
गर है दिल तो रहो ज़रा इन गोलियों व बारूदों की छाँव में-
पता न चलेगा कैसे कट गया एक पूरी ज़िंदगी का सफर।।
पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)