नोंक-झोंक- अंजू खरबंदा
पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं । दोनों का अस्तित्व एक दूसरे के बिना अधूरा है । छोटी छोटी सी बात पर नोंक-झोंक जीवन का अभिन्न अंग है । जैसे नमक के बिना सब्जी में स्वाद नहीं आता वैसे ही पति पत्नी में नोंक-झोंक न हो तो जिंदगी में स्वाद नहीं आता ।
ये भी प्यार का ही एक रूप है ।
"सुनो ! देखो कैसी लग रही हूँ!"
"अच्छी लग रही हो । "
बिना देखे ही कह देते है ।
आपके पास तो मेरे लिए समय ही नहीं है ।
"अरे ! न कहीं आता-जाता हूँ! न कोई यारी दोस्ती है फिर भी तुम नाराज़ हो जाती हो । पता है शादी से पहले तो मैं घर में बैठता ही नहीं था म, सारा दिन यारों दोस्तों के साथ मस्त रहता था ।"
"तो जाओ ना किसने रोका है आपको ।"
हाहाहा..... यही किस्सा घर घर का है । नोंक-झोंक का कोई समय तो फिक्स है नहीं । बस जरा सी बात का बतंगङ बनते कितनी देर लगती है ।
मुझे सिनेमाघर में फ़िल्में देखने का शौक है और मेरे प्रियतम को बिलकुल भी नहीं । अब बताओ नोंक-झोंक होगी कि नहीं ।
छुट्टी के दिन उनको आराम करना पसंद है और मुझे व बच्चों को घूमना !!!! बताओ नोंक-झोंक होगी कि नहीं ।
उनको रोज राजमा चावल पसंद है और मुझे व बच्चों को पास्ता, मलाई चाप आदि!!!! बताओ नोंक-झोंक होगी कि नहीं ।
पर इस नोंक-झोंक का भी अपना मजा है नही तो जीवन नीरस हो जाए । थक हार कर कभी वो हमारा कहना मान जाते हैं कभी हम उनका । इसका भी अपना मजा है ।
हे भोले आप से यही दुआ है कि हम मियां बीवी की खट्टी मीठी नोंक-झोंक जिंदगी भर यूँ ही चलती रहे ।