मयकदो में लगी है, मरीजो की कतार,
पता नही आज ,कितने दिल टूटे है।
छलकते जाम दे रहे है गवाही,
आज के दौर में कई रिश्ते झूठे है।
सपनो के इस जदोजहद जहाँन में,
पता नही किसके कितने ख्वाब छुटे है ।
खुदा के हिस्से में भी आई थी ये बीमारी,
इश्क की लूट में खुद खुदा घर भी लुटे है ।