#kavyotsav ( इश्क़ )
किसी को ख़ुद में मिलाकर हम बनने की खवाईश न थी,
पर जब से मिले हो तुम तबसे में मैं नहीं रहे गई।
बहूत रोका ख़ुद को कि तुझसे कभी इश्क़ न हो
पर कमबख़्त यह दिल कभी मेरे क़ाबू में था ही नहीं ।
मोहब्बत तो थी तुमसे
पर इज़हार करने से डरते थे ,
और तुम भी न जाने इस इश्क़ को कभी नहीं समझते थे।
सालों के रिशते को पल भर में तोड़ दिया ,
इश्क़ नहीं है कहकर मुझे अधूरा ही छोड़ दिया ।