#kavyotsav
ग़ज़ल (तन्हाई)
यूं जो रोते हो रातों में तन्हा,ये बात अच्छी तो नहीं है,
ना मिलना किसी से ना कुछ कहना,ये बात अच्छी तो नहीं है।
करे क्यों ऐतराज़ कोई तेरे अश्क़ों पर बेवजह!
जो रोता भी है तू तो कहते हैं ये बात अच्छी तो नहीं है।
ख़ामोशी तेरी कोई क्योंकर समझता नहीं,
ज़बान अगर खोले तो कहता है ये बात अच्छी तो नहीं है।
तू है गोया कोई अर्ब आसमां में काबिज़,
जो बरस जाए कभी तो कहतें हैं,ये बात अच्छी तो नहीं है।
उन्से मिलना ये क़िस्मत थी तुम्हारी,मिलके फिर बिछड़े ये क़िस्मत थी तुम्हारी,
माना क़िस्मत है मगर ये बात अच्छी तो नहीं है।
ये वक़्त अभी दिखलाएगा तुम्हे और वक़्त क्या क्या,
वक़्त,वक़्त की बात है, पर!! ये बात अच्छी तो नहीं है।
दिल है नादान बहोत,कहो क्या हम करें 'सादिक़'?
करता है दिल्लगी,ये बात अच्छी तो नहीं है।
©sadique