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Kamal Bhansali

Kamal Bhansali Matrubharti Verified

@kamaladvocate2927
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शीर्षक : बिन साजन होली

मौसम हुआ सदा बहार
रिमझिम बरसे फागुन फुहार
आई होली बन रंगों का त्यौहार
मौसम...

पिया मिलन की बनी चाह तन की
सखी रे ये बात बताऊं तुम्हें मन की
गा रहे मेरी सांसों के सारे सरगमी तार
मौसम.....

होली की पुरवाई दिल की रंगिनी करे पुकार
चाहत की रातों में करवटें बदलू पिया बार बार
नैन पुकारे साजन होली में न कराओ इंतजार
मौसम...

सखियां दे उल्हाने पनघट पर छेड़े बार बार
पूछे गौरी से कब आएंगे तेरे साजन इस बार
बेदर्दी बालम कसम तुम्हें अगर न आये द्वार
मौसम....

मोहे होली आये न रास पिया जब तुम न हो पास
मोह की मतवारी आंखों को तेरी आहट की आस
रंग रसिया बालम इंतजार में सांसों की प्रेम प्यास
मौसम...
✍️ कमल भंसाली

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🌷 एक दूजे के लिऐ 🌷

जीवन में इतना ही अहसास अब बाकी रहा है
शायर-कमल एक दूजे के लिए बने विश्वास रहा है

हम दो अजनबी साथी बन कर साथ चले थे
जीवन पथ के सह दावेदार रहे तभी मिले थे

आज खूबसूरत सा वो स्वर्णिम पल फिर मिला है
प्रेम का सिलसिला जारी रहने का आशीर्वाद मिला है

प्रिय, तुम हो तो आज भी मेरा जीवन सदाबहार है
कल भी साथ मुस्कुराना यही मुझे तुम्हारा उपहार है

फूलों संग कांटों पर रहा हाथ पर न छूटा साथ एक बार
आरजू यही बंधन में बंधे रहे साथ ही जाये कभी उस पार

मीत हो तुम दिल के आओ फिर गीत मिलन के गाये
आत्मिक रहे प्यार एक दूजे के लिए ये सांसे आये जाये

चलो दिल के मंदिर में आज यह मन्नत हम फिर मांगते है
फूल बन कर फिर खिले तो इस बंधन का वरदान चाहते है
✍️ कमल भंसाली

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राम का नाम ले ले अब देरी न कर
तन से नहीं आत्मा से कर स्वीकार
राम ही इस जग के एक पालनहार
राम का....

राम नहीं दिल में तो जीवन में नहीं सार
बची उम्र को अब न कर और शर्मसार
राम नाम का एक तिनका करेगा उद्धार
राम का...

महसूस हो पवन पुत्र की भक्ति का सार
राम नाम जप खुल जायेगा मोक्ष का द्वार
किस लिए जन्म लिया जरा समझ इस बार
राम का..

कल राम अपने घर आयेंगे होंगे कई चमत्कार
भारत की धरती पर देवता करेंगे राम सत्कार
गर्व कर तन तूं जन्मा भारत की पावन धरा पर
राम का ....

विनती करूं प्रभु से भारत में सदा रहे राम राज्य
प्रार्थना खुशहाली से सर्व सम्पन्न रहे हिंद का भाग्य
राम दिल में राम आत्मा में हर जीवन रहे मंगलमय
राम का...
✍️ कमल भंसाली

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नव वर्ष की शुभकामनाये

नया साल का नया है, स्वर्णिम सवेरा
मुस्करा कर जिये, जीवन बड़ा प्यारा

आशा के दीपों से दूर हो निराशा का अंधेरा
मंगलमय सोच में सदा रहे आस्था का बसेरा

कठिन नहीं होती कभी भी जीवन की ये राहें
पथ के राही को देख खिल जाती समय की बाहें

अनजानी चाहतों से घबरा जाता दिल हमारा
अति भोग से बचे हम तो सदाबहार रहेगा चेहरा

उर में आपके आनंद रहे आत्मा में जीवन - सुधार
वर्ष की उत्तमता में आप करे सफलताओ का श्रृंगार

शुभता का ये संदेश ' आप सदा खिलखिलाते रहे'
"कमल" चाहता हर रिश्ते में प्रेम के फूल महकते रहे

इस जीवन में मिला आपका प्यार मंगल धरोहर है
शुभकामनाओं में शुभता से रचा ये अद्भुत संसार है

स्वीकार करे नववर्ष पर हमारी ये आत्मिक शुभकानाये
करते प्रभु से प्रार्थना आपके जीवन पथ पर फूल बरसाये
✍️कमल भंसाली

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🙏विजय दशमी मंगल-कामना प्रार्थना 🙏

ढूँढा खुद में राम, तो भीतर बैठा रावण मिला
प्रार्थना की राम की, तो अंदर का रावण जला
🙏

देव अनभूति हुई, तो हनुमान जैसा ज्ञान मिला
कृपा करेंगे, श्रीराम, हम पर, ये अनुमान मिला
🙏

विजयी हो वासनाओं से, सब को निर्वाण मिले
प्रभु भक्त कह रहा, सबको ऐसा ही वरदान मिले

🙏
कल्याणकारी हो आप, दया के सम्राट कहलाते
भक्तों की सुनना प्रभु, वो आशा के दीप जलाते

🙏
राम लक्ष्मण भरत जैसा भाई, सीता जैसी हो नारी
है दया-निधान, देश-भक्ति, हनुमान जैसी हो हमारी

🙏
'कमल' करे, मंगलकामनाएँ, आप सुख- समृद्धि पाये
विजय करे हर पावन-लक्ष्य, प्रभु श्री राम का वरदान पाये

✍️ कमल भंसाली

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# हिंदी साहित्य काव्य मंच नमन

बहुत सहन कर लिया, सहने की क्षमता होती है
जो कुछ घट रहा, उससे देश की गर्दन झुकती है

देश की दीवारें इंसानी काली करतूतों से अब परेशान है
देश को भय लग रहा, ढूंढ रहा, लिखा सविधान कहां है ?

जिन्हें देश की चिंता अब वो सिर्फ सरहद के जवान है
जिनमें देश भविष्य ढूंढ रहा उनके पास कहां ईमान है ?

आरोप प्रत्यारोप में हर कोई, देश से नहीं उन्हें सरोकार है
गर्दिश में देश की छवि, अब हमें स्व- चेतना की दरकार है

उठो देशवासियों जागो, देश-धर्म निभाने का ये अवसर है
पाई स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना कर्तव्य युक्त अधिकार है

छा रहे जो बादल हिंसा के हर रोज हर कहीं बरसते है
महफूज नहीं रही राहें अब तो चलते पांव भी जलते है

उठ जाओ, दिवस स्वतंत्रता का, देश धर्म भी निभाना है
देश प्रेमियों तय करो, तिरंगा सदा बिन खौफ फहराना है

चाहत तिरंगे की उसे हर दिल की प्राचीर पर लहराना है
देश-भक्ति का जज़्बा कायम रहे, उसे सदा मुस्कराना है
✍️ कमल भंसाली

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शीर्षक : नश्वरता
न कोई दुःख है
न कोई सुख है
क्यों शिकायत करे ?
जिंदगी का अपना रूतवा है।

जिंदगी बन रही बाजार है
बिन कीमत कितनी लाचार है
हर कोई बिकने को तैयार है
बिन खरीद के सब दावेदार है

टूटे अंदर से है
बाहर तो शानदार है
कोई भी खोले
बेशर्मी के बेशुमार द्वार है

सच शायद सोया सा रहता है
झूठ हर समय तैयार रहता है
विश्वास हर जगह भटकता है
छल का डर तभी तो रहता है

स्वार्थ संबंधो का विकार है
आदमी तभी तो बीमार है
प्रेम की संजीवनी तैयार है
सिर्फ शुद्धता की दरकार है

दुनिया सुंदर है
शिव अंदर है
चेतना एक स्वर है
आत्मा तो अमर है
सोचो, शरीर क्यों नश्वर है ?
✍️ कमल भंसाली

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शीर्षक: दो जून की रोटी

दो जून की रोटी अब कोई बड़ा ख्याल नहीं है
जिंदा रहे आदमी, अब ये कोई सवाल नहीं है

इंसानी बस्ती में आजकल इंसान को खोजना पड़ता है
हैरत की बात, खुद में इंसानियत को तलाशना पड़ता है

दो पैर के इंसान को दो पथ पर ही चलना होता है
विश्वास के लिए सिर्फ सच या झूठ कहना पड़ता है

आजकल इंसान सिर्फ खुद के जिस्म को ढोता रहता है
ख्वाइशों के बोझ तले मृत्यु के कारणों को ढूंढता रहता है

मायने जिंदगी के, चेहरे की झुरियों की उलझन बन रहे है
दो जून की रोटी में, विलासिता के सितारे टिमटिमा रहे है

कहते थे कभी परिश्रम की रोटी का मजा अलग होता है
इंसान अब बिन बादल की बरसात में ही नहाना चाहता है

दो जून में पसीने की रोटी अब नसीब वाले को मिलती है
क्योंकि, जिंदगी अब जरूरत से ज्यादा दिमाग में रहती है
✍️ कमल भंसाली

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अकेली सी, मेरी जिंदगी
तन्हाइयों में मुस्कान ढूंढती है
किसे कहे, जिंदगी कैसे चलती है ?

कल के मेरे बीते पलों में
शुक्र है, महक अब भी बाकी है
किसे कहे, जिंदगी अब इतफाकी है ?

कल वो सब मेरे साथ रहते
आज वो अपनी दुनिया में रहते है
किसे कहे, अब आंखे उन्हें भी ढूंढती है ?

पथिक बन ही चलता
मंजिले तो अब कतराती है
किसे कहे, दूर से ही तकती है ?

निराश सी लगती है, जिंदगी
सड़क चाहत की सूनी सी दिखती है
किसे कहे, अब सांसे भी चलते थकती है ?

कनक आभास सी है, जिंदगी
इस सोच में भी खोट नजर आती है
किसे कहे, कुछ हसरतें अब भी सताती है ?
✍️ कमल भंसाली

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