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दर्द उसे भी होता है , बस बता नहीं सकता। समंदर है, अपनी सीमा लांघ नहीं सकता।। रोना हो तो , अंदर अंदर ही डूब जाता हैं। मर्द है आंसु की नुमाइश नहीं कर सकता ।। हल्की सी मुस्कुराहट उसे पिघला देती हैं। लेकिन अपना दुख किसीसे बाट नहीं सकता।। पता हैं खुदा को , उसे सुकून की जरूरत होगी। पर हर जगह वो अपनी जगह बना नहीं सकता ।। पत्नी को इसलिए ही दूसरी मां कहा रब ने । एक ही मा से वो जिंदगी बीता नहीं सकता।। टूटना चाहता है , चूर चूर होना चाहता हैं। हर पल्लू में वो अपना सर छुपा नहीं सकता।।
साथ साथ चले तो जिंदगी थम जाएगी । एकदूसरे को आगे और पीछे रहना होगा ।। कभी मुझे सब अपने पर लेना पड़ेगा । कभी तुम्हें सब अपने पर ढोना होगा ।। कभी में राह में ठोकर खाकर गिरूंगा। कभी तुम सांसों को सहारा दोगे ।। मेरे संभलने की राह तुम भी देखोगे । तुम्हारे वक्त का खयाल में भी रखूंगा ।। बारिश या छांव मिले तो तस्वीर बना लेंगे । कभी रेत में सपनो को और निखारेंगे।। पर कभी रहना मत जाना मेरे पास आकर । मिले तो फिर से रास्ते खत्म हो जाएंगे ।। मिलन सिर्फ नक्श ए कदम की तारीख है। चलना ही राहों को जिंदा रखता हैं।। मंजिल भी न हो तो क्या हुआ दोस्त । राहें भी मिला न सके तो क्या हुआ ।। याद रखना बस की जब कदम उठे थे । तब हमारा समय और मए एक ही था ।।
अपना दुख किसी से बांटो मत । हर कोई अपने से उसको तोलेगा ।। बांटने से अपनी हार नुमाइश करोगे । आपकी क़ीमत, आपकी सोच होगी ।। बांटने से आपके पास कम होगा । दूसरा अपना ढेर आपको देगा ।।
लोग कहते हे , उदासी परेशान कर देती हैं। खुशी का कोई आगाज़ पेश करती है ।। उदासी से हर कोई क्यों दूर भागता है। नजरें चुराकर क्यों आंखें मूंदते हैं।। उदासी वो हे , जो हमे अकेला करतीं है। अकेलेपन से हम घबराते क्यों हैं।। खुशी तो ऊपर ऊपर ही छूती है। उदासी अंदर की पहचान कराती है।। अकेलेपन हमे औकात दिखाता है। हमारी आस का वजूद दिखाता है ।। पूरा महसूस करो , जो भी उमड़ पड़े । हर मंजर का अपना जहा होता है।। रो लो , सिमट जाओ पूरा , खुद के लिए । पोखर कैसा भी हो , आखिर अपना होता है।।
सोए हुए को जगाया जा सकता है, सोने का ढोंग करने वाले को नही ।। - Dialogue from jab we met.
जानते नही हो तो किसी से बटोरो मत । हर किसीके कुएं के टटोलो मत ।। अपना प्यार , अपना भगवान , सिर्फ अपना है। हर ढांचे में अपनी सोच ढालों मत ।। जब लड़ना और बचना दोनो युगपथ हो । बेहतर हे लड़ना , इस से डरो मत ।। बचे हुए वीरता की कहानी सुना ही देंगे । कायरो से इसको किताबो में डालो मत ।। बरसो से दबा हुआ अंधाधुंध चल पड़ता है । ज्ञान हो तो दूसरों को इशारा दे जाता है।।
युगों युगों से संभाला , वो परंपरा होती है। जज़्बात से धर्म पनपता है , बढ़ता है ।। कितने आए ,कितना कटे , कितने रुसवा हुए । जानकारी और ज्ञान अक्सर अलग होता है।। पाषाण पत्थर को भी पौधा तोड़ देता है । हल्की सी चोट उसका रास्ता तय करता है।। बदला नहीं है ये दुश्मनों से , खुदी हे हमारी । किताबो ने बना रखी है जंजीरे हमारी ।। कूड़ा साफ करने को हाथ मेले करो तो सही । गंध घर में फैलेगी , कभी जुको तो सही ।। गिरोगै तो कब्र तक नसीब नही होंगी तुमे। रौंदकर कुचले जाओगे , लेकिन मरोगे नही ।। सालो से सुनकर , दबकर ही जागे हो । धर्म से हम हे हमसे धर्म नही ।। कुछ नही करोगे तो समय परिवर्तन ला देगा । नए पन्ने , नए अर्थ , नए नाम जोड़ देगा ।। कहते हो हमारे यहा ही ज्यादा धर्मवीर आए । जहा ज्यादा कूड़ा हो वहा ये होगा ही ।।
कभी जब मेला लगता है ख्वाबों का। आप महक जाते हों जहन में कहीं।। रूबरू होकर भी अदब से पेश आते हों। आप खुद को छोड़ आते हो कही ।। नहीं जानते आप की हमने आपको जाना था। किसी और पे नज़र घुमाते हों कहीं।। खुद को तरासना बाकी है या कश्मकश है कोई ? लफ्जों की जंजीरों में आप बंधे हों कही ।। तौबा करना गुनाह से, वहीं रास्ता है नूर का । अपनी किताबों को छोड़ आओ कही ।। अंजाने रास्ते मालूम है, अक्सर भटकाते है। अपने मजहबी कब्र से कदम निकालो कहीं।। जिस्म मिट्टी है , खयाल मानो हवा की परतें है। रिश्तों के तालाब में कवल तो खिलाओ कही ।। तुम सुनो या ना सुनो , तुमारे तराज़ू है दोस्त । मेरी आवाज ही तेरे चुप्पी से टकराएगी कही ।।
सब कुछ नही होता या कुछ नही होता हमारे वजूद के ये दो आयाम है। तन्हाई मिलना या तन्हाई खोजना हमारी ही सोच का ये मका है। दुख हमारे अपने हे और सुख पराए मगर खुश रहना हमारा जहां है। आपही अपने सारथी और अपने योद्धा मन में ही बसे गीता और कुरान है।
kabhi yaadon me Milo to sahi kabhi tukde batoro to sahi wajood apna kyu kho diye ho kabhi kashti se utro to sahi kal bhi raat thi aaj bhi raat hogi andhero se sawera chhano to sahi haath hi uthe he to bandgi ke liye kabhi khud se nazre milao to sahi aayega koi aur chala bhi jayega khud se wafaa jatao to sahi manaa ki khawabo ki salaakhe he zanzire hilake khud ko zinda karo sahi
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