जो हे वो तो हमेशा से ही हे और रहेगा ही ।
तू अपने कर्म से चूकता क्यों हे साथी मेरे ।।
उपकारों और वचनों के तले खुदको मार मत ।
खुद को संभालने से डरता क्यों है साथी मेरे।।
जो तेरा आज हे वो तेरा कल भी क्यों होगा ।
क्या अगले पल का भरोसा है तुझे साथी मेरे ।।
तू नहीं चलेगा तो चल देगी राहें, यकीन कर।
रोज सांस लेना भी कर्म है, चल साथी मेरे ।।
क्या हे तेरा जो छोड़ रहा हे तू , देख ले जरा ।
तू ही ना हुआ तेरा तो क्या हे जान साथी मेरे।।
मेरा कहा सिर्फ मेरा नहीं हे , ये प्रकृति ही है।
मुझे देख के तू खुद को पाएगा साथी मेरे ।।
जो आया हे वो तो जायेगा ही फ़ानी दुनिया से ।
तू नहीं तो इसे काल मिटा देगा साथी मेरे ।।
यह पल ही तेरा हे तू ही इसका स्वामी बन जा ।
जुगनू का वजूद सिर्फ पोखरों में है साथी मेरे।।
क्यों समंदर और किनारे की सोचता हे तू ।
तेरा साक्षी तेरा खुद का मांझी हे साथी मेरे।।
आखिर में तू आजाद हे तेरा सब करने को ।
जिंदा रहना बस यही काफी है साथी मेरे।।
कौन हुआ हे तेरा ,जो सबकी खैर करता है।
नहीं कोई रुकेगा जब तू नहीं होगा साथी मेरे।।
मुक्त होने की रंजिश ही क्यों रखना मेरे दोस्त ।
स्वमान और अपमान ही ज़ंजीरें है साथी मेरे।।
यकीन करना कर्म पर विश्वास है श्रद्धा नहीं ।
कर्म को धर्म से जोड़,लालसा तोड़ साथी मेरे।।
सबको छोड़, मेरा कहा तू करता जा इसी पल ।
में जिम्मेदार हु , नहीं पछताएगा साथी मेरे ।।