लोग आयना बदल लिए है या तो ताल्लुक ।
हर जिंदा जगह तू ही नजर आता है।।
कहते हे कि तेरा वजूद किताबों से परे नहीं।
लफ्जों में शायद वो अपने कोे नाप जाते हैं।।
जंजीर लोहे की हो या सोने की ,
जिंदा रहने को उसे हिलाना जरूरी हैं।
कितनी भी पुरानी राख हो ,
अंगार नजर में आना जरूरी हैं ll