तेरे करीब आते आते खुद से मिल गए ।
रास्ते चुनते चुनते कारवां बदल लिए ।।
दिल की दुआ कामिल हो तेरे आसमा में।
बादल मेरे घर पर बारिश करने लगे।।
लोग कहते हैं खुदा बहुत दूर है हमसे ।
छूकर आपको उसे महसूस करने लगे।।
नजर जुकी तो फ़िज़ा ने करवट ली ।
नजर उठाकर शायरी को पलटने लगे ।।
मिले गर हम तो नमक पानी का मेल होगा ।
गुफ्तगू को ,न तुम बचोगे और न हम बचेंगे।।
हथेली में आप ना सही,जान के करीब हो ।
तिशनगी मेरी आप , आप ही हबीब हो।।
प्यार करने से ज्यादा हो जाना जरूरी हैं।
रेगिस्तान में मृगतृष्णा रखना जरूरी हैं।।
समय से आगे और ज़हन के पीछे छिपा है ।
महबूब है मेरा , मेरी शख्शियत का आयना है।।