नताशा की याद में वरुण रात भर ठीक से सो नहीं पाया। उसकी पूरी रात बेचैनी में कटी। अपनी इसी बेचैनी के साथ जब वह बालकनी में आया तो क्या देखता है, नताशा भारी कदमों से वापस जाती हुई उसे दिखाई दे रही थी। पीछे से नताशा को आवाज़ देने के बदले वरुण दौड़कर सीढ़ियों से उतरता हुआ बाहर आया। वह दौड़ता हुआ नताशा के सामने जाकर खड़ा हो गया।
उसे भागता देखकर माही, रौशनी, वंदना सभी उसके पीछे भागे। लेकिन नताशा को देखकर सब वहीं रुक गए।
मयंक ने कहा, "करने दो उन्हें बातें, हमें इस समय अंदर चले जाना चाहिए।"
वे तो अंदर चले गए लेकिन वरुण को सामने खड़ा देखकर नताशा की आंखों से आंसुओं की बारिश-सी होने लगी। वरुण की आंखों से भी आंसू बह रहे थे। वे दोनों कुछ पलों तक केवल एक-दूसरे को देखते रहे।
उसके बाद कांपते होठों से नताशा ने कहा, "मुझे माफ़ कर दो वरुण, मुझे माफ़ कर दो।"
वरुण ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और कहा, "जो गलत राह को छोड़कर सही राह को अपना लेता है; उसे माफ़ कर दिया जाता है नताशा।"
नताशा फूट-फूट कर रो रही थी और वरुण उसके आंसुओं को पोछता जा रहा था।
वरुण ने कहा, "चलो नताशा अंदर चलते हैं।"
"नहीं वरुण मैं अंदर जाकर सबसे नजरें नहीं मिला पाऊंगी।"
तब तक माही एक थाली में आरती और कुमकुम, चावल लेकर दरवाजे पर खड़ी दिखाई दी।
वरुण ने कहा, "नताशा वह उधर देखो। सब लोग पलकें बिछाए तुम्हारे स्वागत के लिए दरवाजे पर खड़े हैं।"
नताशा ने जैसे ही अपनी गर्दन उस तरफ़ घुमाई, वह दृश्य देखकर वह और भी अधिक भावुक हो गई। वरुण ने उसका हाथ पकड़ा और उसे दरवाजे तक ले आया। माही ने अपनी ननंद को कुमकुम लगा कर और आरती उतार कर उसका स्वागत किया। पूरी खुशी के साथ सब लोग उसे घर में लेकर आए।
नताशा को यह सब एक सपने की तरह लग रहा था लेकिन यह सपना नहीं हकीकत थी।
घर में रौशनी ने भी उसे बड़े ही प्यार से शगुन में अपने गले से सोने का हार उतार कर देते हुए कहा, "नताशा बेटा यह घर आज से तुम्हारा भी है। यहाँ तो केवल प्यार बसता है। आओ तुम भी इस प्यार में शामिल हो जाओ।"
नताशा झुक कर रौशनी के पैर पड़ने लगी तो उन्होंने उसे सीने से लगा लिया और कहा, "अब हमारे वरुण और नताशा की शादी का रिसेप्शन हम धूमधाम से करेंगे। इतने दिनों से वरुण की शादी में मस्ती और नाच-गाने की अपनी तमन्ना जो बाकी रह गई थी, उसे पूरी करेंगे।"
आज रात को जब वरुण और नताशा अपने कमरे में गए, तब नताशा ने कहा, "वरुण मुझे तुम्हें एक बहुत ज़रूरी बात बतानी है और एक पूछनी भी है। पहले कौन-सी ...?"
"पहले ज़रूरी बात बता दो।"
नताशा ने कहा, "वरुण मेरे भैया रीतेश ने पहले कभी कोई शादी की ही नहीं थी; ना ही किसी ट्रक वाले को वह जानते हैं। यह सब तो माही भाभी को डराने के लिए उन्होंने मनगढ़ंत कहानी बनाई थी ताकि भाभी तलाक ना दे सकें। वह डरती रहें और मकान उन्हें मिल जाए। इसलिए तुम्हारे दोस्त मेरे परिवार पर कोई केस तो नहीं कर देंगे ना?"
नताशा के चिंता से भरे शब्द सुनकर वरुण ने कहा, "अरे नताशा यदि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया तो केस कैसे हो सकता है। मकान के कागज़ भी अपनी सही जगह पर पहुँच चुके हैं। माही भी खुश है बस वह अब तुम्हारे घर वापस कभी नहीं जाएगी, बाकी तो तुम मेरी पत्नी हो। मैं तुम्हें अब और कोई दुख नहीं देना चाहता।"
"थैंक यू वरुण, तुम सच में बहुत ही अच्छे इंसान हो। मैं तुम्हें पाकर बहुत खुश हूँ। अच्छा अब मेरी दूसरी बात जो मैं पूछना चाहती हूँ ...!"
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः