MAHAASHAKTI - 25 in Hindi Mythological Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 25

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महाशक्ति - 25

महाशक्ति – एपिसोड 25

"काशी में छिपा रहस्य"

अर्जुन और अनाया जैसे ही काशी के पवित्र भूमि पर पहुँचे, उन्हें वहाँ की दिव्यता का अनुभव हुआ। चारों ओर मंदिरों की घंटियाँ गूँज रही थीं, गंगा की लहरें शांत होकर भी एक रहस्यमयी संदेश दे रही थीं। लेकिन इस शांति के पीछे एक अनजानी बेचैनी भी थी।

काशी महादेव मंदिर में प्रवेश करते ही एक वृद्ध साधु उनके सामने आए। उनकी आँखों में अद्भुत तेज था।

"तुम्हारी प्रतीक्षा थी, अर्जुन और अनाया," साधु ने गंभीर स्वर में कहा।

अर्जुन और अनाया ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया।

"महादेव के इस पवित्र स्थान पर हम आपकी सेवा में उपस्थित हैं, ऋषिवर," अर्जुन ने कहा।

साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह केवल सेवा नहीं, यह तुम्हारी नियति है। शिवजी की भविष्यवाणी का अगला चरण अब यहाँ से प्रारंभ होगा।"


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शिवजी का संदेश और नया संकेत

साधु ने अर्जुन को मंदिर के गर्भगृह में चलने का संकेत दिया। जैसे ही वे अंदर पहुँचे, शिवलिंग के ऊपर दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ और शिवजी की वाणी गूंज उठी—

"प्रेम की परीक्षा तब पूरी होगी जब आत्मा और शरीर दोनों का समर्पण होगा। जो खो गया था, वह पुनः प्रकट होगा, लेकिन केवल तब जब प्रेम निश्छल और निडर होगा।"

अर्जुन और अनाया एक-दूसरे की ओर देखने लगे। ये शब्द केवल भविष्यवाणी नहीं थे, बल्कि उनकी यात्रा के अगले चरण का संकेत थे।


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रहस्यमयी योद्धा का आगमन

जैसे ही वे मंदिर से बाहर निकले, अचानक हवाएँ तेज हो गईं। काशी के घाट पर एक रहस्यमयी व्यक्ति खड़ा था, जिसका चेहरा आधे घूँघट से ढका हुआ था। उसकी आँखें अर्जुन पर टिकी थीं।

"अर्जुन!" वह गंभीर आवाज में बोला।

अर्जुन चौक गया, "तुम कौन हो?"

व्यक्ति ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उजागर किया। वह कोई और नहीं, बल्कि अर्जुन के ही अतीत से जुड़ा एक योद्धा था—वीरभद्र!

"तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए, अर्जुन," वीरभद्र ने कहा, "तुम्हारे प्रेम की परीक्षा अब वास्तविक युद्ध में होगी। यह सिर्फ शिवजी की भविष्यवाणी नहीं, बल्कि एक ऐसा चक्र है जिसे तोड़ने के लिए तुम्हें खुद को सिद्ध करना होगा।"

अर्जुन की आँखों में दृढ़ निश्चय था।

"अगर यह युद्ध मेरी परीक्षा है, तो मैं इसके लिए तैयार हूँ!"

अनाया ने अर्जुन का हाथ थाम लिया। "हम साथ हैं, अर्जुन। जो भी होगा, हम इसे मिलकर सामना करेंगे।"

वीरभद्र ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुका दिया।

"तो फिर परीक्षा के लिए तैयार हो जाओ। काशी की भूमि पर तुम्हारी शक्ति और प्रेम की वास्तविक परीक्षा शुरू होने वाली है।"


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अर्जुन और अनाया की परीक्षा की शुरुआत

रात होते ही अर्जुन और अनाया को मंदिर के एक गुप्त स्थान पर बुलाया गया। वहाँ एक विशाल द्वार था, जिस पर जटाओं में गंगा धारण किए शिवजी की आकृति उकेरी गई थी।

साधु ने अर्जुन को इशारा किया, "इस द्वार के पार वह रहस्य है जिसे शिवजी ने सदियों से छिपा रखा है। लेकिन केवल वही इसे पार कर सकता है जिसका हृदय पूरी तरह से निर्मल हो।"

अर्जुन ने बिना संकोच द्वार की ओर कदम बढ़ाया। लेकिन जैसे ही उसने द्वार को छूने की कोशिश की, एक शक्तिशाली ऊर्जा ने उसे पीछे धकेल दिया।

अर्जुन गिर पड़ा।

साधु गंभीर स्वर में बोले, "तुम अभी इसके लिए तैयार नहीं हो, अर्जुन। जब तक तुम्हारे मन में कोई भी संशय रहेगा, यह द्वार नहीं खुलेगा।"

अनाया ने अर्जुन की ओर देखा, "हम इस परीक्षा को भी पार करेंगे, अर्जुन। हमें अपने प्रेम को सिद्ध करना होगा।"


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राक्षसी शक्ति का हमला

उसी समय, दूर काशी के एक निर्जन क्षेत्र में एक रहस्यमयी काली छाया प्रकट हुई। वह कोई और नहीं, बल्कि माया थी—एक प्राचीन शक्ति जो शिवजी के विरुद्ध जाने का दुस्साहस कर रही थी।

माया ने आँखें बंद कीं और शिव मंदिर की ओर अपनी ऊर्जा भेजी।

अचानक, मंदिर की दीवारें काँपने लगीं। हवाएँ तेज हो गईं, और पूरे काशी में भय का वातावरण बन गया।

वीरभद्र ने तुरंत अर्जुन और अनाया की ओर देखा, "युद्ध अब शुरू हो चुका है! तैयार हो जाओ!"


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क्या अर्जुन इस परीक्षा को पार कर पाएगा?

क्या अनाया और अर्जुन का प्रेम शिवजी की भविष्यवाणी के अनुसार सिद्ध होगा?

(अगले एपिसोड में जारी…!)