BTH (Behind The Hill) - 9 in Hindi Thriller by Aisha Diwan books and stories PDF | BTH (Behind The Hill) - 9

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BTH (Behind The Hill) - 9

बेला उन दोनों को एक एक बार ठीक से देखते हुए ताज्जुब से बोली : " तुम ने इसके नाखून क्यों उखाड़े हैं? 

शिजिन :" क्यों के इसे भी पता चले के नाखून उखाड़ने पर कैसा दर्द होता है। इन लोगों ने मुझ से ज़्यादा तुम पर ज़ुल्म किया। मुझे मारा पीटा पर कम से कम नाखून नहीं उखाड़े थे और न कान में पिन मारा था। एक नाखून उखड़ता है तो दर्द के मारे बुखार चढ़ जाता है। तुम बहादुर हो इसमें कोई शक नहीं!....(दोनों की नज़रे एक दूसरे को अपनेपन से देख रही थी। कुछ पल की खामोशी के बाद शिज़िन ने कहा ) बेला! हम दोनों ही उस पार से यहां आए हैं। हम इनको यहीं छोड़ कर अपने देश चलते हैं। यहां हम ज़िंदा नहीं रह पाएंगे! यहां हमारा कोई अपना नहीं है। सुबह होने से पहले हमे पहाड़ी पर चढ़ना होगा। किसी रस्ते से जाएंगे तो पकड़े जा जाएंगे!"

बेला ने एक गहरी सांस ली और कहा :" यहां हमारा कोई अपना तो नहीं है पर मेरा एक दुश्मन अब भी ज़िंदा है। मैं उसे जहन्नुम दिखाए बिना नहीं जाऊंगी।"

" बेला अब रहने दो उसे! इस तरह तुम मर जाओगी, पूरी फौज तुम्हारे पीछे पड़ जाएगी!"

शिजिन ने उसे समझाने की कोशिश की पर वह एक बात पर अड़ी थी के उसे बदला पूरा करना है। उसका बदला किस बात के लिए था शिजिन यह नहीं जानता था इस लिए बेला के मन में उठे गुस्से और जज़्बात के लहरों को समझ नहीं पा रहा था। 
रात परवान चढ़ता गया और शिजिन उसे समझाने की कोशिश करता रहा। एक दफा बेला ने उसके इसरार करने पर चिढ़ गई और गुस्से में बोली :" अगर तुम्हें जाना है तो जाओ न! मेरी चिंता मत करो वैसे भी मेरा तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं है।"

शिज़िन अब खामोश हो गया। बेला ने तहखाने की अलमारियों से कुछ हथियार और पैसे एक बैग में रख लिए और शिजिन को भी हथियार और सोने की बिस्किट्स रख लेने को कहा। सुबह होने से पहले शिजिन ने उन दोनों कैदियों को किले के बाहर कुर्सियों में बैठा कर बांध दिया और फिर वे दोनों साथ में मोगरा, वहां से चले गए। 
सुबह होते ही इन्वेस्टिगेशन ऑफिस में अफरा तफरी मच गई। एक पूरी टीम हथियार के साथ किले में पहुंच गई पर सामने दोनों ऑफिसर्स को बंधा हुआ पाया। उन्होंने सब को बताया के वे दोनों भाग गए हैं। अब क्या था हर गली कूचे में उनकी तलाश जारी हो गई। सुबह से दोपहर हो गया लेकिन उनका कहीं भी कोई निशान नहीं मिला। 

शाम का समय, सूरज छुप चुका था। मौसम का मिजाज़ नर्म और सर्द हो गया था। काले बदल मंडराते हुए दिख रहे थे जो कभी भी बरस पड़ेंगे। एक क़रीब पच्चीस साल का नौजवान हंसते खेलते अपने घर के अंदर गया। जाते ही परिवार के सामने फिल्म की टिकट दिखाते हुए बोला :" तो आज हम सब मूवी देखने चले? देखिए मैं ये टिकट्स क्विज़ में जीत कर लाया हूं।"

परिवार में एक बड़ी बहन मां बाप और उस लड़के की नई नवेली दुल्हन थी। बाप व्हील चेयर में बैठा था। लड़के ने अपने बाप से कहा :" पापा आप घर में ही कोई मूवी देख लो! बस दो घण्टे की मूवी है फिर हम आ जाएंगे!"
बाप ने मुस्कुरा कर कहा :" अच्छा तुम सब देख आओ! मैं वैसे भी कहीं जा नहीं सकता!"

ये कहते हुए बाप की ज़बान लड़खड़ा रही थी जैसे वह तोतला हो। कुछ ही देर में सभी घर के लोग तैयार हो गए और कार में सवार हो कर चले गए। अधेड़ उमर का बाप हॉल में टीवी के सामने बैठा कुछ मर्डर मिस्ट्री फिल्म देखने लगा। लाइट्स ऑफ थी बस टीवी स्क्रीन की रौशनी थी। 

दरवाज़ा खुला और एक लड़की अंदर आई। वह बेला जैसी तो बिल्कुल नहीं लग रही थी। लेकिन अंदर से वह बेला ही थी। उसका पूरा चहरा ही बदला हुआ था। काले बाल सुनहरे बालों में बदल गए थे।  स्पोर्ट्स जूते, हाथों में दस्ताने और चहरे पर मास्क पहने हुए, हाथ में पिस्टल लिए सामने आई। उसे देखते ही टीवी के सामने बैठा शख़्स हड़बड़ा गया। घबराहट में मोबाइल हाथ में लेकर कहा :" कौन हो तुम? माइक, माइक देखो यहां कोई घुस आया है।"

बेला बिल्कुल उसके सामने आ कर बोली :" माइक फिल्म देखने गया है। दरअसल वह गया नहीं हम ने ही भेजा है।"

" कौन हो तुम रुको मैं अभी पुलिस को बुलाता हूं! तुम जानती नहीं मै कौन हूं!"

उसने मोबाइल में नंबर डायल करने की कोशिश करते हुए कहा लेकिन बेला ने झट से छीन लिया और माथे पर बंदूक तान कर बोली :" मैं तुम्हें बखूबी जानती हूं पर शायद तुम मुझे भूल गए हो! कोई बात नहीं याद दिला देती हूं।"

वह शख्स गिल क्रिस्ट ही था जिस से बदला लेने के लिए बेला इस खतरे में भी कूद पड़ी है।

बेला ने पहले मास्क उतारा फिर चेहरे पर सिलिकॉन से बना एक नकली चेहरे को खींच कर निकाला। ये देखते ही गिल क्रिस्ट की रूह कांप उठी। वह न तो भाग सकता था न हमला करने की ताकत थी। क्यों के उसका आधा शरीर पैरालाइज्ड है।

To be continued.......