BTH (Behind The Hill) - 3 in Hindi Thriller by Aisha Diwan Naaz books and stories PDF | BTH (Behind The Hill) - 3

Featured Books
  • અસવાર - ભાગ 3

    ભાગ ૩: પીંજરામાં પૂરો સિંહસમય: મે, ૨૦૦૦ (અકસ્માતના એક વર્ષ પ...

  • NICE TO MEET YOU - 6

    NICE TO MEET YOU                                 પ્રકરણ - 6 ...

  • ગદરો

    અંતરની ઓથથી...​ગામડું એટલે માત્ર ધૂળિયા રસ્તા, લીલાં ખેતર કે...

  • અલખની ડાયરીનું રહસ્ય - ભાગ 16

    અલખની ડાયરીનું રહસ્ય-રાકેશ ઠક્કરપ્રકરણ ૧૬          માયાવતીના...

  • લાગણીનો સેતુ - 5

    રાત્રે ઘરે આવીને, તે ફરી તેના મૌન ફ્લેટમાં એકલો હતો. જૂની યા...

Categories
Share

BTH (Behind The Hill) - 3

रात हो चली थी। रेन धीरे धीरे कराह रहा था। दर्द से आह भरता हुआ ज़मीन पर बैठा था। बेला ने उसे कोई जवाब नहीं दिया जब उसने पूछा के तुम में मुझे उस क़ैद से आज़ाद क्यों किया?
कुछ नर्मी से और ठहर ठहर कर बोली :" मैने कहा न सवाल मैं करुंगी!....अगर तुमने सच बताया तो मैं तुम्हें जाने दूंगी!" 

रेन ने कहा :" मुझे लगता है तुम सब कुछ जानती हो!...मैं एक जासूस हूं जो उस पार से आया हूं। पिछले छह सालों से यहां हूं और मैने बखूबी अपने काम को अंजाम दिया है। मुझे बड़ी मुश्किल से इस देश के विदेश मंत्री के ऑफिस में नौकरी मिली थी। पर कहते हैं न के औरतों का शक बहुत पुख्ता होता है। जब उन्हें किसी पर शक हो जाए तो उस इंसान की जासूसी करने में दुनिया के बड़े से बड़े जासूस को भी पीछे छोड़ देंगी! मंत्री की सेक्रेट्री को मुझ पर शक हो गया और मेरी जानकारी निकलाने लगी और बस मैं पकड़ा गया। मेरा नाम शिजिन बहराम है और एजेंट कोड नाम रेन है मतलब "बारिश" मैं हमारे देश के लिए इस देश से किए गए साजिशों को नाकाम करने के लिए आया था और बहुत हद्द तक मैं उनके इरादों पर पानी फेरने में कामयाब रहा। पर अब तुम जानती हो के मैने तुम्हारे देश के साथ धोखा किया है तो क्या तुम मुझे मार डालेगी या जाने दोगी? बताओ!...वैसे भी बगैर इलाज के शायद मैं मर ही जाऊंगा!"

बेला ने सख़्त लहज़े से कहा :" मुझे किसी भी देश से प्यार नहीं है। सभी देश के लोग इंसानों के भेस में राक्षस ही होते हैं। हमारी जान तो चींटियों की तरह होती है कब किस के जूते के नीचे दब कर मर जाएं कुछ कह नहीं सकते इस लिए न मुझे मरने का खौफ है न किसी को मारने का!"

उसकी बातें रेन के समझ नहीं आई लेकिन वह इतना समझ गया के इसके दिल में इंसानों का दिया हुआ एक गहरा ज़ख्म है जिसकी चुभन उसके अल्फ़ाज़ में झलक रहे हैं। वह खामोश हो गया था और बेला के चेहरे को देख कर उसके दिल में झांकने की कोशिश कर रहा था। बेला वहां से उठी और खड़ी हो कर बोली :" तुम्हारी हालत अधमरे चूहे की तरह है। इस हाल में तुम मेरे साथ कोई धोखा नहीं कर सकते इस लिए तुम्हारे पैर खोल रही हूं।"

उसने रेन के पैर से रस्सी खोले और उसे साथ आने को कहा। रेन उसके पीछे पीछे चल रहा था। वह एक कमरे में उसे ले गई जहां पर सब कुछ अच्छी तरह सजाया हुआ था। कई मोमबत्तियां जल रही थी और अंगीठी भी सुलगी हुई थी। गद्दे दार बिस्तर बिछा हुआ, कुर्सी, टेबल, किताबें, और गुलदस्ते रखे हुए थे। 
बेला ने बिस्तर की ओर इशारा करते हुए कहा :" जब तक तुम कहीं जाने के काबिल नहीं हो जाते तब तक मेरे घोंसले में बसेरा कर सकते हो। और हां अगर एक भी गलती करने की कोशिश की तो एक पल भी सोचे बिना गोली मार दूंगी!"

रेन ने टेढ़े मुस्कान के साथ कहा :"मैं कोशिश करूंगा के मेरी मदद कर के तुम्हें पछतावा न हो कभी! अगर पछतावा हो तो उसी वक़्त मार देना!"

बेला :" ठीक है।" 
कह कर जाने लगी तभी रेन ने झट से कहा :" मैंने दो दिन से कुछ नहीं खाया है और ज़ख्मों में दर्द भी बहुत है। क्या दवाई दे सकती हो?

बेला ने उसकी बातें सुनी और खामोशी से चली गई। रेन बिस्तर पर निढाल होकर गिर पड़ा। उसके मन को कई दिनों बाद सुकून मिला था लेकिन जिस्म में थोड़ी ही जान बची थी। 

क़रीब आधे घंटे बाद बेला रेन के कमरे में दवाई और पट्टियां लेकर आई साथ में गर्मा गर्म खाना लाकर बिस्तर के पास वाले टी टेबल पर रख दिया। खाने में जौ, बाजरे की मोटी मोटी मगर नर्म रोटियां थी, उड़द का दाल, आलू गोभी, बैंगन टमाटर की मिली हुई सुखी सब्ज़ी और भुना हुआ मसाले दार चिकन। 

ये सब रख कर बोली :" खाना खाओ और अपना इलाज करो! जब लगे के भाग सकते हो तो यहां से निकल जाना!"

रेन ने शुक्रिया कहा और बेला जाने लगी। रेन ने जाती हुई बेला को फिर से टोक कर बोला :" अपना नाम तो बता दो! अगर मुझे बुलाना हो तो क्या कह कर बुलाऊंगा!"

बेला मुड़ी और बोली :" ड्रैगन!"

बस यह कह कर चली गई। रेन असमंजस में रह गया के ड्रैगन किसी का नाम भी हो सकता है? ये लड़की अपने बारे में कुछ बताती क्यों नहीं?

To be continued.......