महाशक्ति – सातवां अध्याय: अर्जुन की विजय और नई चुनौती
गुफा के अंदर ऊर्जा का भयंकर प्रवाह था। अर्जुन और कालनेश के बीच का युद्ध अपने चरम पर था। हर वार के साथ चट्टानें टूट रही थीं, और वातावरण में बिजली की तरंगें दौड़ रही थीं।
कालनेश, जो एक अत्यंत शक्तिशाली योद्धा था, उसकी शक्ति अर्जुन से कई गुना अधिक थी। लेकिन अर्जुन के पास केवल अपनी भक्ति, साहस और शिवजी का आशीर्वाद था। वह समझ चुका था कि यह सिर्फ एक शारीरिक युद्ध नहीं था, बल्कि यह उसकी आध्यात्मिक परीक्षा भी थी।
"अर्जुन, अपनी शक्ति को संभालो!" अनाया ने चेतावनी दी।
अर्जुन ने अपनी सांसें नियंत्रित कीं और ध्यान में लीन हो गया। महादेव के आशीर्वाद से उसकी ऊर्जा पहले से कई गुना बढ़ गई। उसके चारों ओर एक दिव्य आभामंडल फैल गया।
कालनेश का अंतिम प्रहार
कालनेश ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर एक प्रहार किया, जिससे गुफा की दीवारें कांप उठीं। लेकिन अर्जुन ने शिवनील मणि से निकली ऊर्जा का उपयोग कर उस वार को निष्क्रिय कर दिया।
"यह असंभव है!" कालनेश चौंक गया।
अर्जुन ने अपनी दोनों हथेलियों को जोड़ा और "हर हर महादेव!" का उद्घोष किया। एक शक्तिशाली किरण निकली और कालनेश को ज़ोरदार धक्का देकर पीछे फेंक दिया।
कालनेश की आँखों में आश्चर्य था। उसे लगा था कि अर्जुन उसकी शक्ति का सामना नहीं कर पाएगा, लेकिन अर्जुन ने सिर्फ अपनी भक्ति और विश्वास के दम पर यह कर दिखाया था।
"अब यह युद्ध समाप्त हो चुका है।" अर्जुन ने कहा।
कालनेश का रहस्य
कालनेश ने घायल अवस्था में अर्जुन की ओर देखा और मुस्कुराया, "तुम सच में योग्य हो, अर्जुन। यह परीक्षा केवल तुम्हारी शक्ति की नहीं, बल्कि तुम्हारे धैर्य और आत्मनियंत्रण की भी थी।"
यह सुनकर अर्जुन और अनाया चौंक गए।
"क्या मतलब?" अनाया ने पूछा।
कालनेश ने धीरे-धीरे उठते हुए कहा, "मैं इस शिवनील मणि का अंतिम रक्षक था। मेरी परीक्षा का उद्देश्य यह था कि क्या तुम इस शक्ति का उपयोग सही तरीके से करोगे या नहीं। और तुमने साबित कर दिया कि तुम इसके सच्चे अधिकारी हो।"
शिवनील मणि की असली शक्ति
कालनेश ने आगे कहा, "शिवनील मणि केवल एक रत्न नहीं है, यह एक माध्यम है जो आत्मा को शुद्ध करता है और उसे दिव्य शक्ति प्रदान करता है। लेकिन याद रखना, यदि यह गलत हाथों में चली गई, तो इसका विनाशकारी प्रभाव हो सकता है।"
अर्जुन ने सिर झुकाकर कहा, "मैं इस शक्ति का उपयोग केवल धर्म और सत्य की रक्षा के लिए करूंगा।"
कालनेश ने संतोष की सांस ली और धीरे-धीरे एक दिव्य प्रकाश में लुप्त हो गया।
गुफा में छिपे अन्य रहस्य
जब कालनेश अदृश्य हो गया, तो गुफा के अंदर एक अजीब सी हलचल हुई। चारों ओर शिलाएं हिलने लगीं, और फिर एक गुप्त द्वार खुल गया।
अर्जुन और अनाया ने एक-दूसरे को देखा।
"लगता है यह शिवनील मणि की अगली परीक्षा की ओर इशारा कर रहा है।" अनाया ने कहा।
अर्जुन ने मणि को अपने पास सुरक्षित रखा और दोनों उस गुप्त द्वार से अंदर चले गए।
वहाँ एक विशाल शिवलिंग स्थापित था, जिसके चारों ओर दिव्य ऊर्जा प्रवाहित हो रही थी।
अचानक एक तेज़ आवाज़ आई—"अर्जुन! यह तुम्हारी अंतिम परीक्षा है। क्या तुम तैयार हो?"
अर्जुन ने बिना किसी संदेह के उत्तर दिया, "हर हर महादेव! मैं तैयार हूँ।"
आगे की यात्रा कैसी होगी? अर्जुन और अनाया को कौन-कौन से नए रहस्य मिलेंगे?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए—महाशक्ति!