मोमबत्तियों की मंद रौशनी में उसने बेला को आधी बंद और आधी खुली आंखों से देखते हुए गहरी आवाज़ में कहा :" क्या तुम मेरी जान लेने वाली हो?
बेला :" मैं कोई मौत का फरिश्ता नहीं हूं।
उसने थके हुए लहज़े में कहा :" कौन हो तुम? और मैं कहां हूं?
बेला ने सख़्त लहज़े में कहा :" सवाल सिर्फ मैं पूछूंगी!....अगर मेरे सवालों का सही सही जवाब दिया तो मुझ से थोड़ी रहम की उम्मीद कर सकते हो!...चलो बताओ तुम्हारा नाम क्या है और किस जुर्म में क़ैद में थे और टॉर्चर हो रहे थे?
उसने कराहते हुए कहा :" रेन!....
बेला गरज कर :" असली नाम बताओ जो तुम्हारे मां बाप ने रखा था!"
रेन का गला सूखा था। उसने इल्तेज़ा किया :" अगर तुम में थोड़ी सी रहम है तो मुझे पहले पानी दो वरना मै मर जाऊंगा!"
बेला को उस पर थोड़ा सा रहम आया और उसकी आंखों में कुछ देर देखते हुए बाहर पानी लाने चली गई। अपने बड़े से और बुलंद हॉल कमरे में आई जहां एक पंद्रह फीट लंबी टेबल रखी थी। उस पर फल का टोकरी और पानी का जग रखा था। उसने वहां से जग और ग्लास उठाया और वापस उस कमरे में गई। रेन के आगे पानी का ग्लास बढ़ाते हुए बोली :" ये लो! जानवर को पानी पिलाने से कोई जन्नत चला जाता है तुम तो खैर इंसान हो!"
रेन ने ढलकी हुई आंखों से देखते हुए कहा :" पर मै जानवर नहीं हूं हाथ से पानी पिता हूं और मेरे हाथ पीछे बंधे हैं!"
बेला ने लंबी सांस ली और उसका हाथ खोल दिया लेकिन पैर अब भी बंधा हुआ था। रेन गटागट दो ग्लास पानी पी गया। पानी पीने के बाद वह सुस्त हो गया और बदन को ढीला छोड़ कर दीवार पर टेक लगाए बैठा। उसके ज़ख्म नासूर हो रहे थे जिनमें कांटों सी चुभने वाली टीस उसे कमज़ोर कर रही थी।
बेला ने गन प्वाइंट करते हुए कहा :" अब बताओ! क्या तुम उस पार से आए हो?...किस तरह के एजेंट हो?
रेन ने एक गहरी सांस ली और कहा :" मैं जानता हूं मैने सच बताया तो तुम मुझे मार डालेगी और नहीं बताया तब भी मार डालेगी!....लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं के तुम ने मुझे इतने बड़े खतरे में कूद कर उस कैद से क्यों निकाला?"
वह सुबह हुए उस पल में खो गया जब बेला सर पर स्कार्फ बांधे और हाथों में दस्ताने पहने छोटी सी खड़की से उसके सामने कूद पड़ी थी। जब रेन निम बेहोशी में था तब उसने उसकी निडर आंखों को देखा था।
सुबह सवेरे अपनी पुरानी जीप लेकर बेला अपने इस जंगली आशियाने से निकल कर शहर की तरफ गई थी ताकि कुछ ज़रूरी सामान खरीदे लेकिन एक कैफे के पास उसे दो तीन लोग दिखे जो बड़ी ही गंभीरता से पहाड़ के उस पार के देश की बात कर रहे थे। बेला अंजान बन कर वहां रखे लकड़ी के बेंच पर बैठी मोबाइल चलाने का दिखावा करने लगी ताकि उनकी बातें सुन सके, वे तीनों कह रहे थे कि " हम ने उस पार के भेजे हुए एजेंट को पकड़ तो लिया है पर पता नहीं उसने कितने बड़े बड़े सीक्रेट अपने देश में दे दिया है! हमे उस से और सख़्ती कर के सारी बातें उगलवाने होंगे! इतने टॉर्चर के बाद भी उसने मुंह नहीं खोला। बड़ी सख़्त जान है बस ध्यान रखना मर न जाए!"
चलो कुछ गर्मा गर्म खा पी कर आते हैं बड़ी ठंड लग रही है।"
बात चित कर के वे लोग वहां से चले गए, बेला ने देखा के ऊपर की चोटी पर एक छोटा सा मकान बना है। उसे शक हुआ के जिस एजेंट की बात यह लोग कर रहे हैं हो सकता है वह उसी मकान में है।
उसने अपने मुंह पर भी स्कार्फ चढ़ा लिया बस आंखें दिख रही थी। ऊपर जाने के लिए छोटी छोटी सीढ़ियां बनी हुई थी। सीढ़ियों पर दबे पांव चलते हुए ऊपर गई। देखा तो एक सिपाही मकान के दरवाज़े पर तैनात है। वह धीरे धीरे उसके ठीक पीछे गई और अपने बैग से बंदूक निकाल कर उसके सर पर ज़ोर से दे मारा। वोही बेहोश हो कर ढेर हो गया। मौके का फायदा उठा कर वह अन्दर गई लेकिन अंदर का अजीब ही हुलिया था। अंदर जाने के बाद सीधा एक तह खाना देखा। दो सीढ़ियां उतरी ही थी के नीचे जाने का दरवाज़ा बंद देखा जिसे बड़े से ताले से बंद किया गया था। वोही दूसरे सीढ़ी के पास एक खिड़की थी। बेला ने खिड़की से झांका तो उसे एक कमरा दिखा जिसमें एक और दरवाज़ा था जो अंदर से बंद था। वह दूसरी ओर खुलता था। उसी कमरे में रेन नज़र आया जिसे ईसा मसीह के तरह हाथों को पंखों की तरह फैला कर दो खंभों में राशियों से बांधा गया था। बेला किसी निंजा की तरह उस खड़की से कूद गई। उसने देखा के दूसरा दरवाज़ा बाहर की ओर खुलता है। उसने जल्दी जल्दी रेन को आज़ाद किया और उसे चलने को कहा। रेन की हालत चलने की नहीं थी लेकिन फिर भी वह एक उम्मीद के साथ चला। दोनों रोड तक छुपते छुपाते आए , बेला ने उसे अपनी गाड़ी में बैठाया और सीधा अपने किले में ले आई। अब तक रेन बेहोश हो गया था। उसने उसके हाथ पैर फिर से बांध दिए और बाहर दिन भर पहरा देने लगी। उसे शक था के कोई उसका पीछा करते हुए आ जाएगा।
बेला ने आखिर रेन की जान क्यों बचाई? क्या वह सच में उसे बचाना चाहती है या उसका कोई मक़सद है? आखिर क्या है बेला का राज़ जानने के लिए पढ़ते रहें "Behind the Hill"
To be continued........