Gunahon Ki Saja - Part 11 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | गुनाहों की सजा - भाग 11

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गुनाहों की सजा - भाग 11

वरुण ने आकर सबसे पहले नताशा से कहा, "सॉरी यार, मैं लेट हो गया हूँ। तुम्हें काफी देर खड़े रहकर मेरा इंतज़ार करना पड़ा।"

नताशा ने मुस्कुराकर कहा, "कोई बात नहीं वरुण, तुम आ गए, यही बहुत है।"

उसके बाद दोनों बाइक से एक होटल पहुँच गए। यहाँ उन्होंने कुछ समय साथ में बिताया। वे दोनों एक-दूसरे के विषय में जानने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने कॉफी भी पी।

कुछ देर बाद नताशा ने कहा, "वरुण, बहुत देर हो गई है, अब मुझे घर जाना होगा, वहाँ सब इंतज़ार कर रहे होंगे।"

"हाँ, तो ठीक है, चलो, मैं तुम्हें वहाँ तक छोड़ देता हूँ जहाँ सुबह हमने तुम्हारा स्कूटर रिपेयरिंग के लिए दिया था।"

"हाँ, ठीक है।"

वरुण के पीछे बाइक पर बैठकर नताशा उस मैकेनिक की वर्कशॉप पर पहुँच गई।

उतरते समय उसने वरुण से कहा, "वरुण, तुम्हारे साथ बिताए ये 2 घंटे मुझे हमेशा याद रहेंगे क्योंकि इस समय मैं बहुत ख़ुशी महसूस कर रही थी। क्या हम फिर से और मिल सकते हैं?"

वरुण ने कहा, "अरे नताशा, ऐसा क्यों कह रही हो? मुझे भी यह समय मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा समय लग रहा है। दरअसल, मैं ख़ुद ही तुमसे पूछने वाला था कि क्या कल भी हम इसी तरह मिल सकते हैं?"

"हाँ वरुण, बिल्कुल मिल सकते हैं, पर आज की तरह नहीं। आज तो स्कूटर ने बहुत परेशान कर दिया था," कहते हुए वह हंसने लगी तो वरुण भी हंस दिया।

उसके बाद उनका मिलना-जुलना लगभग रोज़ की बात हो गई। वे दोनों रोज़ मिलने लगे। 15 दिनों के अंदर ही वरुण एक दिन लाल रंग के गुलाब का बहुत सुंदर-सा एक गुच्छा ले आया। उस दिन ऑफिस से छूटने के बाद जब नताशा उसके पास आई, तो वे दोनों होटल पहुँच गए। वहाँ पर उसने दोनों घुटनों पर बैठकर नताशा को गुलाब देते हुए उससे पूछा, "क्या तुम मुझसे शादी करोगी?"

नताशा के आश्चर्य और ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। उसने कहा, "हाँ वरुण, बिल्कुल करूंगी। तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी।"

उसके हाथों से गुलाब का गुच्छा लेते हुए नताशा ने कहा, "आई लव यू वरुण।"

वरुण ने कहा, "आई लव यू टू नताशा। मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि भारत पहुँचते ही वहाँ की सबसे खूबसूरत राजकुमारी मुझे मिल जाएगी। लगता है ऊपर वाले ने बिन मांगे ही मुझे सब कुछ दे दिया है। तुम्हारे साथ जीवन बड़ी ही ख़ुशी के साथ बीतेगा।"

नताशा ने कहा, "वरुण, तुम्हें पाकर मैं भी ऐसा ही कुछ महसूस कर रही हूँ।"

वरुण ने उसे बीच में टोकते हुए कहा, "नताशा, मेरे माता-पिता कोई नहीं हैं। मेरी दादी ने मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया था, पर अब वह भी इस दुनिया में नहीं हैं। मैं बिल्कुल अकेला हूँ, इसीलिए तुम्हारे घर बात करने मैं अकेला कैसे...?"

नताशा ने कहा, "वरुण, तुम चिंता मत करो, मैं पहले ही सब को यह सच बता दूंगी। मेरे घर में कोई भी हमारे रिश्ते के लिए मना नहीं करेगा क्योंकि सब लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं। वे हमेशा मुझे खुश भी रखना चाहते हैं। मैं अपने घर की राजकुमारी हूँ। आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी ने मेरी एक भी बात न मानी हो। परंतु इस तरह हमारे बारे में सुनकर सब लोग आश्चर्यचकित ज़रूर हो जाएंगे।"

वरुण ने कहा, "ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है कि सब हमारे रिश्ते के लिए मान जाएंगे।"

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः