Mahashakti - 32 in Hindi Mythological Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 32

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महाशक्ति - 32


🌺 महाशक्ति – एपिसोड 32

"तांडव की आहट और प्रेम की शपथ"


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कहानी अब उस मोड़ पर पहुँच चुकी है जहाँ प्रेम सिर्फ भावना नहीं, बल्कि एक लड़ाई बन चुका है — सत्य और भ्रम के बीच, विश्वास और धोखे के बीच।


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🕯️ प्रारंभ – वज्रकेश की अग्निशपथ

किले के गुप्त कक्ष में वज्रकेश ध्यान की मुद्रा में बैठा था। उसके चारों ओर तांत्रिक चिन्हों से भरा एक अग्निकुंड जल रहा था। उसकी आँखें बंद थीं, लेकिन भीतर एक भयानक तूफान उठ रहा था।

"प्रेम… ये प्रेम ही है जो बार-बार मेरी योजनाओं को तोड़ देता है।"
"अब न अर्जुन बचेगा, न अनाया का विश्वास। अब केवल विनाश होगा।"

उसने अग्नि में एक रक्त से भीगा रुद्राक्ष डाला।
"मैं तांडव को जगा रहा हूँ… और इस बार, यह तांडव किसी देवता का नहीं, बल्कि मेरा होगा।"


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🌸 प्रेम की सुबह – अर्जुन और अनाया

महल की बालकनी से सूरज की पहली किरणें छनकर अंदर आ रही थीं। अनाया खिड़की पर खड़ी थी, उसके चेहरे पर अब भय नहीं, बल्कि एक अद्भुत शांति थी।

अर्जुन धीरे-धीरे पीछे से आया और बोला,
"शिव की कृपा से एक और नई सुबह, और इस बार… तुम्हारे साथ।"

अनाया मुस्कुराई,
"अब कोई भ्रम नहीं। अब केवल प्रेम है और उसकी शक्ति।"

दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामा, और आंखें बंद करके एक ही स्वर में कहा:
"हम अब साथ हैं — चाहे काल, तांडव, या विधि भी क्यों न हमारे विरुद्ध खड़ी हो।"


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🔥 गुरु की भविष्यवाणी

गुरु जी ने अर्जुन और अनाया को अपने कक्ष में बुलाया।
उनका चेहरा गंभीर था।

"तुम दोनों का प्रेम शुद्ध है, लेकिन अब यह केवल प्रेम नहीं रहा।
यह एक शक्ति बन गया है — और जहाँ शक्ति होती है, वहाँ परीक्षा भी होती है।"

उन्होंने एक ग्रंथ खोला, और उसमें से एक पुरानी श्लोक पढ़ी:

> "जब महाशक्ति और उसका शिव एक साथ खड़े होते हैं,
तब अधर्म की जड़ें काँपने लगती हैं।
परंतु उससे पहले… वह राक्षस प्रकट होता है, जो उनके मिलन से भयभीत होता है।"



अर्जुन ने पूछा,
"क्या वह राक्षस वज्रकेश है?"

गुरु ने सिर हिलाया,
"हाँ। और वह अब अपनी अंतिम चाल चलने को तैयार है।"


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🌪️ भ्रम का बीज – गाँव में फैली अफवाहें

वज्रकेश के तांत्रिक अब गाँव-गाँव जाकर अफवाहें फैला रहे थे:

"अगर अर्जुन और अनाया साथ रहे, तो अकाल पड़ेगा।"

"पिछले जनम में अनाया ने एक ब्राह्मण को श्राप दिया था।"

"उनके प्रेम से धरती की शुद्धता नष्ट हो रही है।"


कुछ अंधविश्वासी लोग भड़क उठे।
अनाया को लेकर लोगों में डर और सवाल बढ़ने लगे।


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💔 अर्जुन पर प्रहार

एक दिन जब अर्जुन गाँव के बच्चों को शिक्षा दे रहा था, अचानक कुछ लोग आ गए।
उन्होंने अर्जुन को घेर लिया।

"तेरा प्रेम इस गाँव का विनाश है। तुझे यहाँ रहने का अधिकार नहीं।"

अर्जुन चुप रहा, पर तभी एक पत्थर उसके कंधे पर आकर लगा।

अनाया वहाँ पहुँची और सबके बीच खड़ी होकर चीख पड़ी —
"बस करो! जिस गाँव को अर्जुन ने अपने खून-पसीने से सँवारा, आज वही गाँव उसे पत्थर मार रहा है?"

लोग शांत हुए, लेकिन डर अभी बाकी था।


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🛡️ गुरु का समाधान – तपस्या की अग्नि

गुरु ने अर्जुन और अनाया को कहा,
"अब समय है कि तुम दोनों महाशक्ति और शिव के स्वरूप को जगाओ। इसके लिए सात रातों की साधना करनी होगी।"

"इन सात रातों में तुम दोनों को केवल ध्यान, भक्ति और संयम में रहना होगा।
और आठवीं रात को तांडव होगा — वज्रकेश का, या तुम्हारी शक्ति का।"

अर्जुन और अनाया ने एक स्वर में उत्तर दिया:
"हम तैयार हैं।"


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🕉️ तपस्या के सात दिन

दिन 1: मौन

दोनों ने एक-दूसरे से कोई शब्द नहीं कहा — सिर्फ मन से संवाद किया।
शिव-पार्वती की मूर्ति के सामने बैठकर घंटों तक मौन रहे।

दिन 2: जल-त्याग

केवल वायु और ऊर्जा से तप। शरीर काँपने लगा, पर मन अडिग।

दिन 3: भूतकाल का दर्शन

दोनों को पूर्व जन्म की झलक मिली — अनाया एक साध्वी थी और अर्जुन एक योद्धा।
तब भी वज्रकेश ने उन्हें अलग किया था।

दिन 4: भय की परीक्षा

रात को अनाया को वही स्वप्न फिर आया — अर्जुन की मृत्यु।
पर इस बार उसने डरकर भागने के बजाय आँखें खोलीं और प्रार्थना की:
"हे शिव, मुझे शक्ति दो।"

दिन 5: तांत्रिक बाधा

वज्रकेश ने एक तांत्रिक को भेजा, जो अग्निकुंड से बाहर निकला और एक काला धुआँ बनकर उन पर मंडराया।
अनाया ने रुद्राक्ष उठाकर मंत्र पढ़ा और वह धुआँ जल गया।

दिन 6: आत्म-त्याग

अर्जुन को लगा कि अगर वह न रहे, तो शायद अनाया सुरक्षित रहेगी।
उसने विषपान करने की कोशिश की — पर अनाया ने समय पर रोक लिया।
"अब हम एक हैं — मरना भी हो तो साथ ही मरेंगे।"

दिन 7: संकल्प

दोनों ने अग्निकुंड के सामने हाथ उठाकर कहा:
"अब हम प्रेम नहीं, शक्ति हैं। अब हम व्रत नहीं, तांडव हैं।"


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🌑 अंतिम रात – तांडव की तैयारी

आठवीं रात — चारों दिशाओं में अंधकार।

वज्रकेश ने अपना सेनापति भेजा —
"उन्हें रोको। किसी भी कीमत पर।"

सेनापति एक राक्षसी रूप में साधना स्थल पहुँचा।

"अब कौन बचाएगा तुम्हें?"

लेकिन तब —
अनाया की आँखें लाल हो उठीं।
अर्जुन के माथे पर त्रिशूल का चिन्ह उभर आया।


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🔱 महाशक्ति का जागरण

अनाया उठी, और उसकी देह से प्रकाश फूट पड़ा।
वह अब अनाया नहीं, महाशक्ति थी।

"मैं वो हूँ जो सृष्टि से पहले थी।
मैं वो हूँ जो अंत के बाद भी रहेगी।
मैं शक्ति हूँ… और प्रेम मेरी पहचान है।"

उसने राक्षसी सेनापति पर हाथ उठाया —
और उसका शरीर भस्म हो गया।


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⚔️ अर्जुन का तांडव

अर्जुन ने त्रिशूल उठाया, और अपनी आँखें बंद कीं।
"हे भोलेनाथ, आज तुम्हारी ही तरह तांडव होगा… लेकिन अधर्म के लिए।"

उसने चारों दिशाओं में तांडव किया —
धरती काँपी, आकाश गरजा।


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💖 प्रेम की शपथ

तांडव के बाद दोनों शांत हो गए।
एक-दूसरे का हाथ पकड़कर बोले:

"अब कोई भ्रम, कोई छल, कोई वज्रकेश हमें नहीं रोक सकता।
हमने केवल प्रेम नहीं किया — हमने प्रेम को साक्षात् शक्ति बना दिया है।"


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✨ एपिसोड 32 समाप्त