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आतंकवादी
एक आवाज़ बेसुध पड़े अश्विन के कानों में पड़ रही है, “सर, सर उठ जाए, ” सर,” अब अश्विन ने धीरे-धीरे आँखें खोली तो देखा कि उसके आसपास ट्रैफिक रुका हुआ हैI चारों तरफ भीड़ है, सभी लोग शोर कर रहें हैं, कुछ लोग तो उसे “बेवड़ा, शराबी और कई तरह की उपमाओं से नवाज़ रहें हैंI” अब उसने यश के हाथ का सहारा लेकर ख़ुद को खड़ा किया और फिर वह लडख़ड़ाता हुआ अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ने लगाI यश ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो उसने मना कर दिया तो यश बोला, “सर मैं आपको घर छोड़ आओI” “यश अब मैं सर नहीं रहा और मैं चला जाऊँगा, तुम यहाँ सम्भालोंI” अश्विन के वहाँ से जाते ही यश ने ट्रैफिक पुलिस को ईशारा किया तो उन्होंने लोगों को हटाते हुए ट्रैफिक आगे बढ़ाना शुरू कर दियाI
घर आते ही अश्विन ने अपना डेड फ़ोन चार्जिंग पर लगाया और बाथरूम में फ्रेश होने चला गयाI अनुज ने कोमल को ब्रेकफास्ट के लिए आवाज़ दी तो वह मुँह बनाते हुए अपने कमरे से आई और उसके साथ बैठकर नाश्ता करने लगीI दोनों ख़मोशी से नाश्ता कर रहें हैंI अनुज, अश्विन के बारे में सोच रहा है इसीलिए उसे कोमल से बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं हैI अब कोमल ने ही चुप्पी तोड़ते हुए पूछा, “कल रात कहाँ चले गए थें?” उसने पोहे से भरा चमच्च मुँह में डालते हुए कहा, “पुलिस हेडक्वॉर्टर गया थाI “ “क्यों, सब ठीक तो है?” कोमल अनुज को ही देखे जा रही है पर वह उसे अनदेखा करते हुए नाश्ता करने में लगा हुआ हैI “मैं कुछ पूछ रही हूँ?” कोमल ने थोड़ा तेज आवाज़ में कहा तो वह उसकी तरफ देखकर बोला, “अश्विन को सस्पेंड कर दिया गया हैI” यह सुनकर कोमल का मुँह खुला का खुला रह गयाI “पर क्यों?” “क्योंकि एक औरत नहीं चाहती थी कि वह अपनी ड्यूटी करेंI “ यह कहकर उसने कोमल को कुछ सेकण्ड्स के लिए घूरा और फिर वहाँ से उठकर बाहर निकल गया और कोमल अभी भी मूक बनी उसकी बात का मतलब समझने की कोशिश कर रहीं हैI
पुलिस स्टेशन में पहुँचकर उसने देखा कि राठी का वकील विनीत मेहरा उसी का इंतज़ार कर रहा है, उसने अनुज को देखते ही उससे राठी से मिलने की परमिशन ली और वह सीधे राठी के सेल की तरफ जाने लगाI अब राठी और विनीत एक टेबल के आमने-सामने बैठे हुए हैंI अब विनीत ने इधर-उधर देखा और धीरे से एक लिफाफा उसकी ओर बढ़ा दिया, उसने भी चोरी से लिफाफा खोला और उसके अंदर रखा खत पढ़ने लगा,
“राठी तुम्हें भी पता है, अगर सम्राट मारने पर आए तो कहीं भी मार सकता है पर तुम्हें ज़िंदा रहने का एक मौका दे रहा हूँ इसलिए इस जेल से बाहर निकलो क्योंकि तुम्हें मेरा एक काम और करना है, अगर तुम कामयाब हुए तो तुम्हारी ज़िन्दगी बख़्श दी जाएँगीI”
सम्राट!
यह पढ़कर राठी ने मेहरा से पूछा, “यह तुम्हें किसने दिया?” “ मेरी गाड़ी में पड़ा मिलाI” अब राठी ने कुछ सोचते हुए कहा, “यह सम्राट अब मुझसे क्या चाहता है, खैर जो भी है, तुम मुझे यहाँ से बाहर निकलवाओI” यह सुनकर विनीत ने हाँ में सिर हिला दियाI
अब अनुज ने यश को कहा, “यश जितने भी हमारे खबरी, स्ट्रिंगर और पुलिसवाले है, उन सबको उस आदमी को पकड़ने में लगा दो जिसने माया पर होटल में हमला किया थाI मुझे हर हाल में वह आदमी चाहिएI इस माया के मायाजाल से अश्विन को निकलाने का एक यहीं एक तरीका है और अब मेरे साथ चलो, एक बार उस गोदाम की भी रेकी करके आते हैं, क्या पता कोई सबूत मिले क्योंकि अश्विन ने उस आदमी को देखा है तो वह ज़रूर दिल्ली में ही हैI ‘ यह कहते हुए अनुज यश के साथ स्टेशन से बाहर निकल गयाI
शाम का वक्त है, अनुज वापिस पुलिस स्टेशन आता है तो अश्विन की कुर्सी पर अरविंद को बैठा देखकर उसे ज्यादा हैरानी नहीं होतीI अरविन्द उसे देखकर उससे हाथ मिलाता है और फिर अनुज वापिस अपनी कुर्सी पर बैठ जाता हैI अब अरविंद अनुज को देखते हुए कहता है, “मैं काफी देर से अश्विन को कॉल कर रहा हूँ, मगर वह मेरा फ़ोन नहीं उठा रहा,” “ वह मेरा भी फ़ोन नहीं उठा रहाI अनुज ने उसकी बात का मतलब समझते हुए जवाब दियाI “ “मुझे सम्राट के केस की फाइल चाहिए थी,” अब उसने सुनील को ईशारा किया और उसने एक अलमारी से फाइल निकालकर उसे पकड़ा दीI “थैंक्सI” अब उसने फाइल खोलते हुए कहा, “कितनी अजीब बात है, अश्विन ने मुझे इस केस से रिप्लेस किया था और आज वह खुद ही इस केस से रिप्लेस हो गयाI” “ मुझे यकीन है, उसके पास ऐसा करने की कोई वजह होगीI” “ क्या तुम्हें कुछ सम्राट के बारे में मालूम है? “ अरविन्द का सवाल हैI “उतना ही जितना इस फाइल में लिखा है, एनीवे मैं चलता हूँI” यह कहकर वह जाने लगा तो वह उसे टोकते हुए बोला, “ मुझे पता है कि उसे फँसाया गया हैI” अनुज ने अब उसे मुस्कुराकर देखते हुए कहा, “हाँ क्योंकि वो सम्राट उससे डर गया था और उसका यही डर हमारी जीत हैI” यह बोलकर वह निकल गया और अरविन्द उसे जाते हुए देखने लगाI
अनुज की गाड़ी इंडियागेट पर आकर रुक गई, वह अंदर गया तो देखा कि अश्विन अपनी गाड़ी से लगकर खड़ा है और उसकी नज़र इन शहीदों के स्मारक पर ही टिकी हुई हैI “मुझे पता था, तू यही मिलेगा, उसने उसके पास खड़े होते हुए कहाI” “तुझसे बेहतर मुझे कौन जानता हैI” “ कल की रात सड़क पर गुज़ारकर कैसा लग रहा हैI” “यकीन हो गया है कि अभी मेरा मरने का टाइम नहीं आया हैI” अश्विन ने अनुज को देखते हुए जवाब दियाI “कल तूने कुछ ज्यादा ही पी ली थी,” अब अनुज गंभीर हैI “अपने ग़मों को भुलाने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रह था, I “ अश्विन अब फिर उदास हो गयाI “यार मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि तू अपने ग़म को मुझसे बाँट लें, वरना मैं समझूंगा तू मुझे इस काबिल भी नहीं समझता कि अपनी ज़िन्दगी का कोई पन्ना मेरे सामने खोल सकेंI” अश्विन ने एक गहरी साँस ली और फिर वहीं बिछी घास पर बैठ गयाा और अनुज भी उसके हाथ बैठ गयाI दोनों बैठे घास पर है पर उनकी पीठ गाड़ी से टिकी हुई हैI अब अश्विन ने बोलना शुरू किया,
“तूने गफ्फूर भाई का नाम तो सुना होगा? “वो माउद इब्राहिम का भाई और देश का मोस्ट वांटेड आतंकवादी?” “हम्म वहीँ, जब तीन साल पहले मेरी पोस्टिंग कोलकत्ता में हुई थी तो हमें अपने ख़ुफ़िया एजेंसी से पता चला कि गफ्फूर भाई के पास हमारे देश की आर्मी के उन सीक्रेट एजेंट की फाइल यानी एक फ्लॉपी लग गई है जो मिडिल ईस्ट के देशो में रहकर इंडियन आर्मी को वहाँ छुपे आतंकवादियों की खबर देते थें, साथ ही उस फाइल मे हमारे देश की आर्मी के वो राज़ भी थे जो गलत हाथो में पड़ जाते तो हिंदुस्तान पर कोई बड़ा हमला करना या उसे अंदर से खोखला करना कोई मुश्किल काम नहीं होता I यह सुनते हुए अनुज ने अश्विन की तरफ देखा तो अश्विन ने शहीदों के स्मारकों की तरफ देखते हुए अपना बोलना ज़ारी रखा......!!!!!