Ek Musafir Ek Hasina-8 in Hindi Thriller by Swati Grover books and stories PDF | एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 8

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एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 8

8

नागिन     

 

अश्विन  ने माया के चेहरे को देखा तो उससे पूछा, “ कुछ हुआ है क्या?”  “मुझे लगता है,  हमें  यहाँ से चलना चाहिएI” “ क्यों?” “ वह आदमी मुझ पर नज़र  रख  रहा  हैI”  माया ने आँखों  के ईशारे  से कहा  तो  अश्विन ने उस आदमी  की तरफ देखा और  उस आदमी ने इधर-उधर देखना शुरू  कर दियाI “इसे  जानती हो  या मैं मदद  करो?” “इसे भाई  ने मेरे पीछे  लगा रखा  हैI” माया  ने ड्रिंक पीते  हुए कहाI “लगता है, तुम्हारे  भाई को तुम पर भरोसा  नहीं हैI” यह सुनकर  माया  थोड़ा  झेंप  गईI  “अच्छा  चलो यहाँ  से, “ उसके यह कहते ही दोनों लिफ्ट  से उस  होटल  के बारहवे  फ्लोर पर जाने लगेI अपने  रूम  202  के पास  पहुँचकर  उसने अश्विन  को इंटेंस  नज़रों से देखा तो उसने उसे अपनी  तरफ खींचकर  किस  करना शुरू  कर दिया और माया  ने भी उसका पूरा  साथ  दियाI अब  उन दोनों  का किस  गहरा  होता चला गया और वे दोनों  इसी  तरह एक दूसरे  को चूमते  हुए एक दूसरे के बदन से कपड़े अलग  करने लगेI अब अश्विन  ने माया  को बेड  पर लिटा  दिया और उसके ऊपर  सवार  हो गयाI  “क्या यह होटल तुम्हारे  भाई  का है?” उसने उसके सीने  को चूमते  हुए पूछा तो माया  ने मदहोश  आवाज़  में  ज़वाब  दिया, “हम्म  और यह कमरा  मेरे  लिए हमेशा  बुक  रहता हैI” अब कुछ पल  तक दोनों  एक दूसरे के  बदन से खेलते  रहें  और फिर देखते ही देखते दोनों  चरम  सुख  के आनंद  में  विलीन  हो गएI

 

वहीं  दूसरी  तरफ  अमन  हॉस्पिटल  में  कोमल के वार्ड  में  बैठा लैपटॉप  पर पैराडाइस  क्लब  से थोड़ी  आगे  सी.पी  की तरफ जाती रोड  की  फुटेज  देख रहा हैI फुटेज  में  उसे अमन  की  गाड़ी  उस सड़क से निकलती नज़र आ रही हैंI  अब उसने देखा कि एक गाड़ी  अमन  के पीछे  लगी हुई  हैI  उस एक घंटे  की फुटेज  में  अमन  की गाड़ी के पीछे  लगातार  एक गाड़ी  लगी हुई  हैI अब उसने ध्यान से गाड़ी  को देखा तो वह  पीले  रंग  की सैंट्रो  हैI  उसने जल्दी  से यश को कॉल  करकर  उस गाड़ी  का पता  लगाने  के लिए कहाI  “इसका मतलब किलर  अमन  के पीछे  था और मौका  देखते ही वह गाड़ी  के अंदर घुस गया लेकिन अगर  वो क्लब पैराडाइस  से उसकी गाड़ी  में  बैठा  था तो फिर यह कौन है जो अमन  की गाड़ी  का पीछा  कर रहा है और माया  की सोसाइटी  के बाहर  का कैमरा  भी तो ख़राब  थाI “ अमन  ने सोचते हुए कहाI

 

कुछ देर के के इस चरम  आनंद  के बाद, माया  अश्विन  के सीने  पर सिर  रखकर  बोली,  “थैंक्स !! आज की रात  हसीं  बनाने  के लिएI” अश्विन  ने उसकी आवाज  में  उदासी  महसूस  की तो उसके बालों  में  हाथ फेरते  हुए कहा,  “लगता है, अमन के जाने  का सचमुच  तुम्हें  सदमा लग गया थाI”  यह सुनकर माया  के चेहरे  पर एक फीकी  हँसी उभर आई और वह फिर कुछ सोचते  हुए बोली,  “उस रात  जब हम क्लब  पैराडाइस से निकले तो रास्ते  में  हमने  एक दूसरे  के साथ यू  नो रक सुनसान  सड़क पर कुछ देर तक टाइम स्पेंड  किया था और उस पल  मुझे अमन  की आँखों  में  अपने  लिए सच्चा  प्यार  दिख रहा थाI” माया  ने थोड़ा  भावुक  होते हुए कहा तो अश्विन  ने चौंकते  हुए पूछा,  “तुमने पुलिस  को तो यह बताया नहीं कि  तुम दोनों  बीच  में  कहीं  रुके भी थेंI” “भूल गई  होगी!!” माया  ने लापरवाही  से कहा तो उसने माया को खुद  से अलग  करते हुए  कहा, “इस तरह के भूलना  हमें  बहुत महंगा  पड़  सकता हैI” अब वह बेड  पर बैठ  गया और अपने  करीब लेटती  माया  को  देखकर पूछा,

 

“अब बताओ उस दिन क्या हुआ था?”

 

“ वही  क्लब से निकले, रास्ते  में  रुके और फिर उसने मुझे  घर छोड़  दियाI”

 

“कौन  से रास्ते  पर रुके थें? “

 

“यार! काफी  रात  थी अँधेरा  था,  मेरे ख्याल से सराय  काले  खा  के पास एक सड़क जाती है, जिसके  आसपास  काफी  पेड़ हैI” उसने सोचते  हुए जवाब  दियाI

 

“ज़ाहिर  सी बात है, वहां  कोई कैमरा  तो होगा नहीं?”

 

“नहीं, वहां  तो लाइट भी नहीं थी, अमन  ने ही गाड़ी  की लाइट  जला  रखी  थीI”

 

“क्या  तुम्हें उस समय ऐसा  कुछ लगा कि  तुम्हारे आसपास  कोई हैI” माया  ने ना  में  सिर  हिलाते  हुए कहा, “यार  अब बहुत  पूछताझ  हो गई,” यह कहकर उसने  अश्विन  को अपनी  तरफ खींच लिया आयर  उसके  होंठो  को चूमना  शुरू  कर दियाI

 

अमन  वार्ड में  हाथ में  कॉफी  का कप  पकड़े  खिड़की  से बाहर  देख रहा हैI तभी उसे कोमल की हल्की  आवाज़  सुनाई  देती है तो वह  जल्दी से उसके पास  जाकर पूछता  है,  “कुछ चाहिए ?” “नहीं!! बस मेरे पास  बैठे  रहो,”  अब अनुज  ने उसे अपनी  बाँहों  में  ले लिया और वह  आँख  बंद किए अनुज के पास होने के एहसास  को महसूस  करती रहीI 

 

अश्विन को  कपड़े पहनते  देखकर माया  ने पूछा,  “फिर कब  मिलोगे? “ “मिस माया,  मैं हमेशा  साथ रहने  वालो  में  से नहीं हूँI” “ पता है, तुम्हारी  आँखों  में  दिखाई  देता हैI “अश्विन यह  सुनकर  मुस्कुरा  दिया और फिर बाथरूम  की  तरफ  चला गयाI  खुद  को फ्रेश  करने के बाद,  उसने शीशे  में  मुँह  धोया और अपने बालों में कंधी  करने के  लिए ड्रावर  खोला  तो उसकी  नज़र  बहुत  सारी  कांटेक्ट  लेंस  की डिब्बियों  पर गई I उसने अब एक-एक करके डिब्बी खोली  तो उसे  हर तरह के कांटेक्ट  लेंस नज़र आये, काले, हरें, नीले और भूरे I  

 

अब  वह कुछ सोचते हुए वापिस बेडरूम  में  गया तो देखा कि  माया  ने अपना  गाउन  पहन  लिया है और वह बेड पर लेटे-लेटे अपना  फ़ोन छेड़  रही हैI  वह अब बड़े  आराम  से बेड  के किनारे बैठा  और उसकी टाँगो  पर उँगलियाँ  चलाने  लगाI  “इस हरकत  को क्या  मैं  कोई ईशारा समझूँ?”  यह कहते हुए माया  के होंठो  पर  शरारती  मुस्कान  है पर अश्विन  के मन  में  कुछ और ही चल रहा हैI उसके हाथ  अब उसके  पैरो  तक गए तो उसने उसके दाहिने  पैर  को मोड़ते हुए उसकी ऐड़ी  को देखा तो उस  पर टैटू  देखकर, वह सकते  में  आ गयाI  अब वह मुस्कुराती  माया के करीब  पहुंचा  और उसकी उम्मीद  से विपरीत  उसने उसकी गर्दन पकड़ते हुए कहा, “और तुम्हारी  आँखे  पता है क्या बताती है, कि  तुम किसी  को  भी नागिन  की तरह  डस  सकती हो,  माया  सिंघल !!”