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याद
अब दोनों गाड़ियों के बीच चूहा-बिल्ली का खेल शुरू हो गया। अश्विन जहाँ -जहाँ गाड़ी घुमाता वह काली गाड़ी भी वहीं मुड़ जाती। अनुज ने गाड़ी में बैठे शख़्स को देखने की बहुत कोशिश की मगर काले शीशे लोगे होने की वजह से वह क़ामयाब नहीं हो गया। अब उसने रेस लगाते अश्विन से पूछा, “यह कौन हो सकता है? “ “पता होता तो अब तक यह गाड़ी चलाने लायक नहीं रहता ।“ अश्विन ने ताव में ज़वाब दिया। “मुझे लगता है, अब एक्शन दिखाने का टाइम आ गया है, “ यह कहते ही अश्विन ने उसे एक तिरछी मुस्कान के साथ देखा और फिर उसने एक मोड़ पर आकर गाड़ी ऐसे मोड़ी कि उसकी गाड़ी काली गाड़ी के सामने आकर खड़ी हो गई। यह देखकर काली गाड़ी में बैठा शख़्स डर गया। अब जैसे ही अश्विन की गाड़ी उसकी तरफ बढ़ी, उसने गाड़ी पीछे लेना शुरू कर दिया। अब उल्टा हो चुका था, काली गाड़ी के पीछे अश्विन की गाड़ी लग चुकी थी। अब अश्विन और अनुज बिल्ली बने उसे चूहे के पीछे दौड़ लगा रहे हैं । यह खेल जब अपने अंतिम मोड़ पर पहुँचा तो काली गाड़ी एक तंग गली में घुसी और उसने वहाँ कोने में रखी रेढ़ियों को इतनी ज़ोर से धक्का दिया कि वे सब की सब सड़क पर गिर गई, वह खुद तो निकल गया पर अश्विन की गाड़ी अटक गई।
“बास्टर्ड !!” यह कहते हुए अश्विन ने गाड़ी पीछे की और उस काली गाड़ी को पीछे से घेरने के लिए वह साथ वाली गली में मुड़ गया। जैसे ही वह उस गली के मोड़ पर पहुँचा, अनुज ने कहा, “देख यह काली गाड़ी यहाँ खड़ी है।“ दोनों ने गाड़ी रोकी और फिर वे उस काली गाड़ी की तरफ जाने लगें।
गाड़ी के पास पहुँचकर उन्होंने गेट खोला तो उसमे कोई नहीं था। अश्विन ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “मुझे पता था, भाग जायेगा।“ अनुज ने गाड़ी की तालाशी ली तो उसे एक लाल रंग की लिपस्टिक मिली। “इसका मतलब कोई औरत थी?” अनुज ने लिपस्टिक को रूमाल से उठाते हुए कहा। “कोई भी हो सकता है, क्या पता चलाने वाला ड्राइवर औरत के साथ कभी बैठा हो और यह उसकी हो या फिर गाड़ी में दो लोग हो।” अश्विन की बात सुनकर अनुज ने हाँ में सिर हिला दिया। अब अनुज ने यश को फ़ोन करकर गाड़ी को ज़ब्त करने के लिए कहा तो अश्विन ने एक सरसरी आवाज़ पूरी गली में डाली और फिर दोनों वापिस अपनी गाड़ी की ओर मुड़ गए। अनुज को छोड़ने के बाद, अश्विन भी अपने गहर की ओर कूच कर गया। वह अपने अपार्टमेंट में सिर्फ लोवेर्स डाले, अपनी बॉलकनी में खड़ा सिगार फूँक रहा है। अब वह उस लाल रंग की लिपस्टिक के बारे में सोचने लगा तो उसके सामने माया का चेहरा आ गया । जब वह उस दिन पुलिस स्टेशन आई थी तो उसके होंठो पर भी इसी रंग की लिपस्टिक थी। अब अश्विन ने कुछ सोचकर माया का नंबर डायल कर दिया,
माया ने चार बेल के बाद फ़ोन उठा लिया, “हेल्लो!” उसकी सिडक्टिव आवाज़ को सुनकर अश्विन के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
“हेल्लो, मैं इंस्पेक्टर अश्विन बोल रहा हूँ।“
“ओह मिस्टर अश्विन बहुत जल्दी आपको मेरी याद आ गई, बताएं।“ वह लम्बी-लम्बी साँस लेते हुए बोली।
“ऐसे क्यों लगा रहा है कि तुम हाँफती हुई आई हो?”
“वो मेरा कुत्ता बुज़ो मुझे अपने पीछे बहुत दौड़ाता है।“ उसने पानी का एक गिलास पीते हुए जवाब दिया। “वैसे आप बताएं आपने क्यों कॉल किया?”
“दिल्ली में अकेला हूँ न इसीलिए कोई दोस्त ढूंढ रहा हूँ।“ यह कहते हुए अश्विन ने सिगार का धुआँ छोड़ दिया। अब इसी तरह कुछ देर बातों का सिलसिला चला और फिर अश्विन ने यह कहकर फ़ोन रख दिया कि वे बहुत जल्द मिलेंगे।
सुबह पुलिस स्टेशन में यश ने बताया कि “ सर जिसकी यह गाड़ी थी उसने तो बहुत पहले ही अपनी गाड़ी को वाहन लेने वाले कबाड़ी को बेच दिया था। गाड़ी पर जो नंबर प्लेट थी वह उसी कबाड़ी से खरीदी गई थी।“ “कबाड़ी ने कुछ बताया कि किसको बेचीं थी?” “वह कह रहा है, उसे कुछ याद नहीं है, बहुत टाइम हो गया।“ यश की बात सुनकर अश्विन ने गहरी साँस ली तो अनुज बोल पड़ा, “कहीं यह सम्राट का काम तो नहीं?” “वैसे अश्विन सर हम उस रोनित पर नज़र रखें हुए है, बहुत जल्द ड्रग्स की एक बहुत बड़ी डील होने वाली है।“ यश ने कहा तो वह बोला, “गुड!!” अश्विन ने अब सम्राट की फोटो निकालकर मेज़ पर रख दी तो यश ने उसे देखकर बोला, “ सर अब तो क्रिमिनल भी बड़े गुडलुकिंग होने लगे है। यह भी किसी हीरो से कम नहीं है, आपको टक्कर दे रहा है।“ अश्विन यश को देखकर मुस्कुराते हुए बोला, “हाँ यह टक्कर का क्रिमिनल है। इसका दिमाग चार लोमड़ियों के बराबर है, इसके बाप ने भी इतनी तरक्की नहीं की जितना कि इसने अपने माफिया ग्रुप को आगे तक पहुँचाया है तभी तो यह करोड़ो का लाइफस्टाइल मैंटेन करता है।“
अश्विन की बात सुनकर यश हैरान है। तभी अनुज बोल पड़ा, “पर तेरे पास कम से कम इसकी फोटो तो है, हमें देख।“ “यार तुझे मैंने उस दिन भी कहा था कि कहानी में तट्विस्ट है, अब अनुज उसकी तरफ सवालियाँ नज़रों से देखने लगा तो अश्विन बोल पड़ा, छह महीने पहले इसके लंदन वाले घर में आग लग गई थी, जिसमे यह बुरी तरह झुलस गया था। हमें पता चला है कि इसने या तो प्लास्टिक सर्जरी करवा ली या फिर अपने चेहरे पर सिलिकॉन मास्क लगा लिया है पर जितना मुझे पता है, सिलिकॉन मास्क की भी एक लिमिट होती है, इसने प्लास्टिक सर्जरी का ही ऑप्शन चुना है और उस सर्जरी के बाद, यह दिल्ली आ गया।“ “इसका मतलब......??” “यही कि मेरे दोस्त हमारे पास कोई चेहरा नहीं है, हमें बस इसके कांटेक्ट से इस तक पहुँचना है।“ यह कहकर अश्विन ने एक नज़र सम्राट की तस्वीर पर डाली तो यश भी हैरानगी से उसकी तस्वीर देखने लगा।
तभी सब इंस्पेक्टर राघव ने बताया कि “सर क्लब पैराडाइस के बाहर के सीसीटीवी खराब है और अमन की सोसाइटी के बाहर जो सीसीटीवी है, वह भी शॉर्ट सर्किट की वजह से ख़राब हो गया था।“ “इसका मतलब किलर होटल पैराडाइस से अमन की गाड़ी में बैठा होगा, प्रीती और अनुराग के टाइम भी यही हुआ था, जहाँ से वे दोनों आखिरी बार निकले थें, वहाँ के सीसीटीवी भी खराब थें।“ अनुज ने यह बोला तो अश्विन बोल पड़ा, “सोसाइटी के बाहर का सीसीटीवी जानबूझकर खराब किया गया होगा।“ “सर अब क्या करें? होटल पैराडाइस जाओ और पता करो क्या पता वहाँ पर किलर पहले से हो और अमन पर नज़र रख रहा हो, क्योंकि ऐसे किलर पहले अपने टारगेट के बारे में सब पता करते है और फिर अपने काम को अंजाम देते है।“ अश्विन की बात सुनकर यश और राघव दोनों स्टेशन से निकल गए।
अनुज भी जब जाने लगा तो अश्विन ने पूछा, “तू कहाँ जा रहा है?” “कोमल को डॉक्टर को दिखाने जाना है?” “ क्यों कोई गुडन्यूज़ है क्या?? “अश्विन के चेहरे पर शरारती मुस्कान है। “नहीं यार, पिछले कुछ समय से उसे पथरी की दिक्कत है, उसी केस के सिलिसिले में डॉक्टर से मिलना है।“ “ओके !! टेक केयर !!” थैंक्स कहकर अनुज चला गया और उसके जाते ही अश्विन भी स्टेशन से यह बोलकर निकल पड़ा, “उस कबाड़ी की याददाश्त को तो मैं ठीक करता हूँ।“