भाग 3 – Family
आद्रिका : अरे लेकिन आदि, Listen... सुनो तो मेरी बात । में भी तुम्हारे साथ चलूंगी, मुझे अपने साथ ले चलो प्लीज। तुम मुझे ऐसे छोड़ के नही जा सकते ।
आद्रिका उठते हुए आदित्य के पीछे जाने लगी की तभी जसदीप उसे रोक देता है...
जसदीप : आद्रिका, जाने दो उसे। मुझे पता है जब उसका मूड उखड़ा होता है तब वो किसी की नही सुनता। थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा।
आद्रिका गुस्से से बोली : मुझे नही बैठना तुम जैसे मिडिल क्लास के साथ। सब तेरी वजह से हुआ है, बेचारा मेरा आदि। वो चला गया सिर्फ तुम्हारी वजह से। और वैसे भी तुम्हे तो फ्री फोगट का खाना मिल रहा है ना तो तुम ठुसो, में भी घर जा रही हु।
आद्रिका की बात सुनके जसदीप की आंखो में नमी आ गई। जसदीप के मिडिल क्लास होने की वजह से आद्रिका उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करती थी इसलिए कभी कबार जब आदित्य नही होता था तब वो जसदीप को जी भर कर सुना देती थी, उसे हमेशा नीचा दिखाती थी जिससे जसदीप काफी हर्ट हो जाता था ।
पूजा : दीप, तुम टेंशन ना लो। आदि तुम्हारी वजह से नही गया इसलिए तुम फिक्र मत करो, हम है ना। और आद्रिका की बात को सीरियसली मत लो तुमको तो पता है ना कि वो कैसी है। चलो, यह लो, तुम्हारा फैवरेट सैंडविच खाओ।
पूजा सैंडविच जसदीप की तरफ बढ़ा देती है और जसदीप एक फीकी सी स्माइल करते हुए उसको खा लेता है। कुछ ही देर बाद सभी अपने अपने घर पर चले जाते है।
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राधनपुर गांव.....
अग्रवाल सदन....
छोटा सा लेकिन बहुत खूबसूरत सा घर... जिसकी नींव संस्कार, प्यार और अपनेपन पे टिकी हुई थी। अग्रवाल सदन के अंदर एक छोटा सा गार्डन है... जिसमे कई सारे छोटे छोटे पैड पौधे लगे हुए थे। मीठी को पैड पौधो से काफी लगाव है और वो उनका काफी खयाल रखती है। अंदर जाते ही हॉल आता है... हॉल के राइट साइड किचन और हॉल की लेफ्ट साइड एक छोटा सा रूम और उसके पास सीडी थी... जो दूसरे फ्लोर तक जाती थी।
अग्रवाल सदन में सभी मिल झूल के रहते हैं...!!! जिनमे...
तनुश्री अग्रवाल : घर की मुखिया, मीठी और किंजल की दादी
राम अग्रवाल : मीठी के पिता
नीतू अग्रवाल : मीठी की मां
प्रतीक अग्रवाल : मीठी का छोटा भाई
वैशल अग्रवाल : मीठी के चाचा और किंजल के पिता
नवी अग्रवाल : मीठी की चाची और किंजल की मां
नीतू अग्रवाल और नवी अग्रवाल दोनो सगी बहनें हैं... लेकिन दोनो के स्वभाव बेहद अलग। जहा नीतू जी बेहद स्ट्रिक्ट है वही नवी जी थोड़ी सी मजाकिया । किंजल हूबहू अपनी मां को कॉपी है... दिखने में भी और स्वभाव में भी। मीठी किंजल से 15 दिन बड़ी है। जहा मीठी दिखने में सांवली ... वही किंजल काफी खूबसूरत...!!!
मीठी और किंजल ने जैसे ही घर में कदम रखा की तभी एक रौबदार आवाज आई : रुक जाओ वही...!!!
यह सुन के दोनो के चेहरों पर गभराहट आ जाती है। जिसने आवाज लगाई वो मीठी की मां नीतू अग्रवाल थी । मीठी अपनी मां से बहुत डरती है।
हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहने... चेहरे पर चमक और आंखो में गुस्सा लिए नीतू जी... मीठी और किंजल को घूर रही थी।
नीतू : कितनी बार कहना पड़ेगा कि लड़कियों का घर से देर तक बाहर रहना अच्छा नहीं है। मेने तुम दोनो को आधे घण्टे में वापिस आने को कहा था और अभी 45 मिनिट हो गए है... कहा थी तुम दोनो अब तक और क्या कर रही थी ???
मीठी डरते हुए : वो.... मां वो में.... वहा...
नीतू : वो में वो में क्या लगा रखा है हां..??? में तुम दोनो को बाहर जाने की इजाजत देती हूं... इसका मतलब यह नहीं कि अपनी मर्जी में आए वो करो... यह वहा घूमो। बताओ क्या कर रही थी...???
नीतू जी की बात सुन कर मीठी के गले से आवाज ही नहीं निकल रही थी और उसकी आंखो में पानी आ जाता है...!!!
किंजल थोड़ी हिम्मत करते हुए बोली : वो... मासी मां... मंदिर में आज आरती थोड़ी देर से शुरू हुई... तो हम तब तक तालाब के पास ही थे... बस थोड़ी देर बैठे थे और वापिस बाते करते हुए आ रहे थे तो थोड़ी देर हो गई ...!!!
नीतू : बाते करते करते आ रहे थे ... ऐसी भी क्या बाते करनी होती हैं तुम दोनो को। घर में पूरा दिन साथ रहती हो तब बाते नही करने को मिलती जो बाहर जाके करनी पड़ती है.... बोलो कुछ...!!!!
किंजल धीरे से : आप बोलने दोगी तब ना..!!!
नीतू : क्या बोली तुम जोर से बोलो ।
किंजल : कु.. कुछ नही... मासी मां... में बोल रही थी की...
नीतू जी अपना एक हाथ दिखाकर बोली : बस... बहुत हो गई तुम दोनो की बाते। अब जाओ रसोई के कामों में हाथ बटाओ चलो...!!!
तभी राम जी बहार से घर के अंदर आते हुए कहते है की - अरे भाग्यवान, क्यों सुबह शाम बच्चीओ को परेशान करती रहती हो... अब इस उम्र में खेल कूद ना करे तो क्या हमारी उम्र में करे...
नीतू - आप तो चुप ही रहिये। ये सब आपकी ही वजह से होता है। आप इनको हमेशा बचाते रहते हो, तभी ये अपनी मनमानी पर उतर आई है। पर निकल आये है दोनों के, खास कर के आपकी उस छोटी लाड़ली के। ( किंजल के )
तनुश्री जी अपना चश्मा ठीक करते हुए वहा आ पहोची और बोली - सही कह रही है बहु। सालो पहले हमारे घर में जो हुआ... उस बात से दोनों अनजान कोणी... इतना तोह दोनों को समझना चाहिए की देर तक छोरिओ का घर से बहार रहना नहीं चाहिए। हमेशा तौर तरीको के साथ ही रहना पड़े। वरना आज कल को समाज चार बाते बना देवे है..।
राम - माँ, आपकी बात सही है लेकिन बच्चो को घर में कैद करके भी नहीं नहीं रखना चाहिए। ऐसे तोह उनके दिमाग पर प्रभाव पड़ सकता है, थोड़ी देर के लिए ही सही उनका मूड अच्छा रहता है। और वैसे भी हमारी बच्चियाँ तो संस्कारी है, हमारा खून दौड़ रहा है उन दोनों में। मुझे अपनी बच्चियों पर पूरा विश्वास है, वह कभी ऐसा गलत कदम नहीं उठाएगी।
अपने पापा की बात सुन के मीठी की आँखों मे से आंसू बहार आने ही वाले होते है की वो उसे पोछ देती है...
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राधे राधे...