Schoolmates to Soulmates - Part 4 in Hindi Love Stories by Guddi books and stories PDF | Schoolmates to Soulmates - Part 4

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Schoolmates to Soulmates - Part 4

भाग –4 Strict Parents 



अपने पापा की बात सुन के मीठी की आँखों मे से आंसू बहार आने ही वाले होते है की वो उसे पोछ देती है... ऐसा करते हुए किंजल उसको देख लेती है... उसको मीठी के लिए काफी बुरा लगता है।  


 

तनुश्री जी कुछ याद करते हुए - संस्कारी तो वो भी थी लेकिन के किया उसने... हमारी नाक के निचे से ही...  

 

इतना बोलने के साथ ही उनके आँखों में आँशु आ जाते है यह देखके मीठी जल्दी से अपनी दादी के पास जाती है और उनके आंसू पोछते हुए कहती है - दादी... दादी आप परेशान ना हो। में कभी भी अपनी जिंदगी में ऐसा कदम नहीं उठाउंगी... जिससे मेरे माँ पापा का सर झुक जाये... में कभी कोई गलत काम नहीं करुँगी... जिससे मेरे परिवार को किसी के ताने सुनने पड़े। यह मेरा वादा है आपसे। मुझपे भरोसा रखो दादी। 

 

अपनी बेटी की बात सुनके राम जी और नीतू जी के मन में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है। तभी नवी जी वहा आके माहौल हल्का करने की कोशिश करते हुए कहती है - चलो, बस... बहुत हो गया रोना धोना... अभी सब बीती बाते छोडो और देखो मेने सबके लिए आलू के पकोड़े बनाये है।

 

किंजल - वाह मम्मी, आलू के पकोड़े... देखते ही मुँह में पानी आ गया। मुझे तोह बहुत भूख लगी है।

 

किंजल जैसे ही पकोड़े को हाथ लगाने वाली होती है की तभी नवी जी अपने हाथ में पकड़ी उस थाल को साइड में कर देती है...!!!

 

नवी - रे बावरी छोरी, थारे को कोई शर्म लाज है के कोणी। अठे सब बड़े बैठे है थारे सामने ... इतनी भी तमीज़ नहीं की पहले बड़ो को खाने दो फिर तुम खाओ। चलो, अब हटो।

 

अपनी मम्मी की बात सुनके किंजल चिढ जाती है. फिर नवी जी सभी को गरमा गरम पकोड़े और साथ में चाय देती है। उसके बाद मीठी और किंजल के आगे प्लेट करते हुए कहती है - यह लो, तुम तीनो के लिए। जाओ ऊपर छत पर प्रतिक बैठा है... वह जाके खाओ लेकिन झगड़ना नहीं है, म्हारी बात समझमे आई...!!! 

 

किंजल अपने हर बोल पर जोर लगाते हुए बोली - जी मम्मी जी ...!!!

 

फिर दोनों प्लेट लेके छत पर चली जाती है...

 

उनके जाने के बाद राम जी अपनी माँ तनुश्री जी से कहते है - माँ, आपसे विनती है... आप बार बार उसकी बात बच्चो के सामने मत कीजिये।  

 

तनुश्री - क्यों...??? उन्ही के सामने ही तो यह सब हुआ है और इस बात से दोनों अनजान कोणी। दोनों उसकी करतूत के बारे में अच्छी तरह जाने है। 

 

राम - हां माँ, लेकिन फिर भी में तोह बस...

 

तभी नीतू जी अपनी आँखों से कुछ इशारा करती है और शांत रहने को कहती है। उसके बाद राम जी आगे कुछ नहीं कहते।

 

नीतू - माँ, आप चलिए अपने कमरे में... आपकी दवाई लेने का समय हो गया है।

 

नीतू जी और तनुश्री जी कमरे में चली जाती है। तनुश्री जी वैसे तोह काफी पुरानी सोचवाली है, जिनका मानना है की लड़कीओ को हमेशा चार दीवारी के अंदर ही रहना चाहिए और कभी भी अपनी मर्यादा लांघनी नहीं चाहिए। कुछ ऐसा ही नीतू जी के मन में भी है पर नीतू जी पहले ऐसी नहीं थी कुछ राज़ के चलते इनकी सोच ऐसी हो गयी है पर राम जी के मन में ऐसा कुछ नहीं था। भले ही उनको चिंता है लेकिन मीठी और किंजल को किसी चीज़ के लिए रोका नहीं। वो दोनों कही बिगड़ न जाये और किसी गलत रस्ते पर न चले इसलिए नीतू जी उनके साथ हमेशा स्क्ट्रिक्ट रहती है।

 

यहाँ छत पर किंजल और प्रतिक पकोड़े के लिए एकदूसरे से लड़ रहे थे...

 

किंजल प्रतिक के हाथो से प्लेट को खिचंते हुए - ओये मोटे बस कर, तूने सब पकोड़े खा लिए, मुझे तोह बहुत कम मिले। तुझे तोह पता है न की मुझे आलू के पकोड़े कितने पसंद है। अरे बस भी कर, खा खा के मोटा हो गया है तू... कोई लड़की भी पसंद नहीं करेगी तुझे देखना।

 

प्रतिक - क्या है जीजी, खाने दो न। कितने टाइम के बाद गाँव में आके पकोड़े खाने को मिल रहे है। और एक बात... मुझे किसी लड़की में इंट्रेस्ट नहीं है और जिसको भी मुझमे इंट्रेस्ट होगा वो खुद एडजस्ट करेगी... और वो ही होगी मेर सच्ची SOULMATE, समझी मेरी पगली बहना। 

 

कहते हुए प्रतिक किंजल के गालो को पिंच करता है। मीठी और किंजल अपने भाई प्रतिक की ऐसी बाते सुनके शौक हो जाती है और एक दुसरे की तरफ देखती है फिर प्रतिक की तरफ...!!!

 

किंजल - वाह भाई, तेरी बातो से तो लगता है की तू बहुत आगे जायेगा। 

 

प्रतिक अपनी दोनों बहनो के गालों को खींचते हुए हुए - में आगे जाऊंगा नहीं बल्कि में आगे हु।

 

फिर भागके निचे तरफ चला जाता है। वही मीठी और किंजल आँखे फाडे प्रतिक जाते हुए देखती रही... फिर एकदूसरे की और देख के एकदम से हस पड़ी।

 

कुछ देर बाद किंजल मीठी की तरफ देख के कहती है - मीठी, स्कूल खुलने में 10 दिन ही रह गए है...!!!

 

किंजल की बात सुनके मीठी के दिल में हलचल होने लगती है। उसके दिमाग में किसी का चेहरा आ जाता है।

 

किंजल - तू तो काफी एक्साइटेड होगी न, है ना, बोलना यार चुप क्यों है...!!!

 

मीठी - अरे अरे बस, तू बोलने देगी तभी तोह में कुछ कह पाऊँगी ना। सच कहु तो, हां, एक्साइटेड तोह हु। रोज़ उसको देखना, मैथ्स की प्रॉब्लम सॉल्व करना, फिर साथ में बैठ के होमवर्क करना, सब बहुत अच्छा सा लगता है। लेकिन...!!!

 

किंजल - लेकिन क्या मीठी...??? 

 

मीठी एक लंबी सांस लेके - लेकिन यह सिर्फ मेरी तरफ से है। में नहीं चाहती की यह बात उस तक पहुंचे, सिर्फ उस तक ही नहीं बल्कि किसी तक भी नहीं। अगर गलती से भी उसे पता चल गया तोह मेरी दोस्ती भी ख़तम हो जाएगी और हमारे परिवार के मानसम्मान पर भी असर पड़ेगा। तुझे तोह पता है न सालो पहले क्या हुआ था... उस बात को लेकर दादी और माँ आज तक वैसे ही परेशान रहते है। इसीलिए में नहीं चाहती की उन्हें और चोट पहुंचे।  

 

किंजल - हम्म, बात तोह तेरी सही है लेकिन यार हमारे भी तो कुछ सपने है, हम भी बहार जाना है, दोस्त बनाना चाहते है, घूमना चाहते है... ऐसे घर में कैद नहीं रहना चाहते।  

 

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राधे राधे...