Schoolmates to Soulmates - Part 11 in Hindi Love Stories by Guddi books and stories PDF | Schoolmates to Soulmates - Part 11

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Schoolmates to Soulmates - Part 11

भाग 11 – school day



नीतू जी तीनो को अच्छे से पढाई करने की और ज्यादा शरारते ना करने क सख्त हिदायत देती है। तीनो उनकी बात मान के हां में सीर हिला देते है। बस स्कूल की तरफ चली जाती है। नीतू जी भी घर में जाके काम करने लगती है। राम जी नास्ता करके अपने काम की तरफ निकल पड़ते है। राम जी एक प्राaइवेट कंपनी में अकाउंटेंट की जॉब करते है।

 

यहाँ मीठी के चेहरे पे एक अलग ही चमक थी। अब ये चमक स्कूल जाने की या किसी और की वजह से थी... ये समझ पाना मुश्किल था। मीठी पढाई में काफी अच्छी थी इसीलिए कुछ बच्चो को मीठी से बहुत जलन होती थी। लेकिन मीठी को इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता था। वो तो हमेशा अपनी पढाई में मशगूल रहती। 

 

इधर आदित्य भी अपने स्कूल के लिए चल पड़ता है। आदित्य रोज़ अपनी कार से स्कूल जाता। हलाकि वो अभी कार नहीं चला सकता था क्यों की हिरदेश जी ने सख्त मना किया था। घर में सभी को 20 साल के बाद ही कार या बाइक चलाने की इजाजत थी। इसलिए ड्राइवर हर रोज़ आदित्य को स्कूल पहुचाता और वापिस लेने भी आता। रणवीर और आद्रिका भी उसी के साथ कार में जा। क्यों की वे दोनों भी उसी एरिया में रहते थे। आद्रिका को भी आदित्य के साथ टाइम स्पेंट करने का मौका मिल जाता इसलिए वो इस मौके को गवाना नहीं चाहती।

 

आद्रिका आदित्य से बाते किये जा रही थी लेकिन आदित्य बिना भाव के बैठा था। वो आद्रिका की बात को सुन के भी अनसुना कर रहा था। उसके मन में इस वक़्त क्या चल रहा था वो कोई नहीं समझ पा रहा था। रणवीर को भी आदित्य का यूँ चुप रहना खल रहा था। आदित्य का चेहरा देख कर ही लग रहा था की उसे आद्रिका की बातो में कोई भी इंट्रेस्ट नहीं है... पर रणवीर कुछ कहने से कतरा रहा था। क्यों की वो आदित्य के गुस्से से वाकिफ था। आदित्य को एक बार गुस्सा आ गया फिर वो किसी की नहीं सुनता... इसलिए उसने चुप रहना ही सही समझा। 

 

आद्रिका को आदित्य का इग्नोरेंस पसंद नहीं आया। आखिर में वो आदित्य से कुछ कहने ही वाली थी की तभी कार रुक गयी। उसने देखा की उनका स्कूल आ चूका था। तीनो कार से बहार आये और कैंपस की और बढ़ गए...!!!

 

राणा ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड इंस्टिट्यूट ( काल्पनिक नाम )... 

 

एक बहुत बड़ा सा गेट... थोड़ा आगे बढ़ते ही पार्किंग एरिया आता है जिसमे स्टूडेंट अपनी साइकिल पार्क करते है। वहा से आगे की तरफ स्पोर्ट्स का बड़ा सा मैदान, दाई तरफ बड़ा सा ऑडिटोरियम था। स्कूल के अंदर जाते ही लॉकर रूम था जो दूर से आते स्टूडेंट के लिए बनाया गया था... जिसमे वे अपनी चीज़े रख सके, जैसे की मोबाइल वगेरा। वैसे तो मोबाइल स्कूल में अलाउड नहीं था... पर जो बच्चे दूर से आते है उनके लिए मोबाइल स्कूल से दिया जाता है ताकि बच्चे अपने माँ बाप के संपर्क में रह सके। लॉकर रूम के दूसरी तरफ क्लास शुरू होती है, सेकंड फ्लोर जाके आगे बढ़ने पर हर तरफ क लैब थी और क्लासेस भी थे। थर्ड फ्लोर पर म्यूजिक रूम, डांसिंग रूम, आर्ट क्लब, मेडिकल रूम और कैंटीन भी थे। काफी अच्छी फैसेलिटी थी स्कूल में। स्कूल के पीछे की तरफ ही कॉलेज था।

 

ये स्कूल चरण राणा ने बनवाया था। वैसे तो स्कूल काफी हाई क्लास है जिसमे अमीर लोगो के काफी बच्चे आते है। यहाँ का एजुकेशन पुरे राजस्थान में सबसे ज्यादा बेहतरीन है। जो की यहाँ की फीस भी ज्यादा हाई है जो मिडल क्लास के लोगो के पहोच के ना बराबर है। लेकिन यहाँ मिडल क्लास के बच्चे भी आते है। स्कूल का एडमिशन प्रॉसेस होता है और ये कम्पलसरी भी है। जो बच्चे हाई सोसइटी से आते थे उनके लिए 60 % स्कोर था और जो बच्चे मिडल क्लास फॅमिली से थे उनके लिए 70 % के ऊपर स्कोर लाना जरूरी था। उसके बाद ही एडमिशन मिलता था। यहाँ मिडल क्लास फॅमिली से जो भी स्टूडेंट इस एग्जाम को क्लियर कर देता था तो उनकी फीस आधी हो जाती थी उन्हें पूरी फीस भरने की जरूर नहीं पड़ती थी जो की एक बेनिफिट था मिडल क्लास के लिए। 

 

चरण जी और उनके दोनों बेटे हिरदेश जी और इन्दर जी ने मिल के यह रूल्स बनाये थे ताकि इस स्कूल में हर बच्चा पढ़ सके चाहे वो अमीर हो या गरीब उनके लिए हर बच्चा एक सामान है।

 

आदित्य गेट से अंदर चला जाता है। वो स्कूल ड्रेस में भी बहुत ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहा था। लड़किया तो आदित्य को देख के आहे भर रही थी। कुछ लड़किया ऐसी भी थी जो आदित्य को पाने के सपने देख रही थी लेकिन यह बात पूरी स्कूल जानती थी... की आदित्य और आद्रिका एक साथ है। आद्रिका के रहते किसी भी लड़की में इतनी हिम्मत नहीं थी की वे आदित्य के आसपास भी भटके। सिवाय पूजा और तमन्ना के।

 

आदित्य आगे बढ़ रहा था... उसके पीछे पीछे रणवीर और आद्रिका भी आ रहे थे। आद्रिका देखती है की सब लड़किया आदित्य को देख रही है तो वो उन सभी लड़कियों को गुस्से भरी नज़रो से देखती है... तो सभी लड़किया आदित्य पर से अपनी नज़रे हटा देती है। आद्रिका आदित्य को आवाज लगा रही थी लेकिन वो कुछ सुन ही नहीं रहा था। वो बस आगे चलता जा रहा था। आद्रिका को बहुत गुस्सा आ रहा था क्यों की उसकी इग्नोरेंस सहन नहीं हो रही थी... तभी वो जल्दी से दौड़ के आदित्य के सामने जाके खड़ी रह जाती है जिससे वो रुक जाता है।

 

आद्रिका - व्हाट्स रॉंग विथ यू आदित्य ? व्हाई आर यू इग्नोरिंग मी ? में कबसे तुम्हे आवाज दे रही हु तुम सुन ही नहीं रहे हो। और ऐसे जल्दी में कहा जा रहे हो तुम प्लीज बताओ तो???

 

आदित्य थोड़ा गुस्से से - आद्रिका, जाहिर सी बात है की ये स्कूल है और हम यहाँ किस लिए आते है, पढ़ने। उसके लिए हमे क्लास में जाना पड़ता है अगर तुम्हे पढ़ना है तो चुप चाप मेरे साथ चलो और अगर नहीं पढ़ना तो घर चली जाओ... मुझे अपना टाइम वेस्ट करना बिलकुल पसंद नहीं और यह बात तुम अच्छे से जानती हो।

 

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राधे राधे


कहनी अभी जारी है