शिजिन ने हिम्मत नहीं हारी और बेहोश बेला को कंधे पर उठा कर आगे बढ़ा। कुछ आगे जाते ही उसे हेलीकॉप्टर की आवाज़ आई साथ में दिल में खौफ आया के कहीं यह हेलीकॉप्टर दुश्मनों की हुई तो अब वे बच नहीं पाएंगे लेकिन इसी के साथ एक उम्मीद भी उभर रही थी के शायद यह उनके लिए मदद भेजा गया है। उसने असमंजस में अपने टॉर्च को हेलीकॉप्टर की ओर दिखाया। हेलीकॉप्टर के पंखों की तूफानी हवाओं में शिजिन और बेला के भीगे कपड़े और बाल सुखने लगे। बेला के बाल उड़ उड़ कर बिखर रहे थे। शिजिन के घने बाल उसके माथे पर लहलहा रहे थे। जब हेलीकॉप्टर पास आ गया तो शिजिन ने अपने दोस्त कैप्टन रूमान को देखा जो खिड़की से सर निकाल कर तलाश की नज़रों से झांक रहा था। उसे देख कर शिज़िन के मन में एक नई ज़िंदगी बसी। बदन के चिथड़े उड़े हुए थे लेकिन दिल में हौसला बढ़ गया। उसने खुश हो कर बेला को बताना चाहा के हम अब अपने देश जा सकते हैं लेकिन बेला उसके कंधों पर बेफिक्र आंखें बंद किए पड़ी थी। उसने हाथ हिला हिला कर अपने दोस्त को नीचे आने का इशारा किया। हेलीकॉप्ट की तेज़ गड़गड़ाहट में कान के पर्दे थर्रा रहे थे लेकिन यही आवाज़ उनके लिए खुशखबरी थी। हेलीकॉप्टर नीचे आया और वह बेला को उठाए अंदर चला गया। उसने एक गहरी सांस ली और कैप्टन रूमान से फर्स्ट एड बॉक्स मांगा। कैप्टन रूमान ने बुलंद आवाज़ में पूछा :" रेन तुम ठीक हो न? ये कौन है और क्या हो गया है इसे?
शिजिन ने जल्दी जल्दी बेला के पैर पर मरहम पट्टी करते हुए कहा :" ये कौन है ये बात मैं घर जा कर बताऊंगा बस इतना जान लो के यह भी हमारे ही देश की बेटी है! इसे गोली लगी है।"
" ठीक है फिर चलो अपने घर चलते हैं! वेलडन शिज़िन बहराम, उर्फ रेन! तुम ने बहुत अच्छा काम किया और मैने तुम्हें बहुत याद किया।"
रूमान ने मुस्कुरा कर कहा और हेलीकॉप्टर को अपने देश की ओर मोड़ कर उड़ाने लगा।
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सुबह की भीनी खुशबू हवाओं में घुली हुई थी। गुदगुदी करती हुई नर्म धूप बेला के चेहरे पर पड़ी जब शिजिन ने खिड़की से पर्दा हटाया। उसने धीरे धीरे आंखें खोली, पलकें मोटी और भारी महसूस हो रही थी। उसकी आंखों में बुखार की तपिश से सुर्खी छा गई थी। उसने अपने सर को धीरे से घुमा कर शिजिन को देखा जो खिड़की की ओर मुंह किए खड़ा था। वह किसी सोच में खोया हुआ था। सड़क पर आते जाते लोगों को देखता, परिंदों को झुंड में उड़ते हुए देखता, बच्चों को स्कूल जाते हुए देख एक पुरसुकून मुस्कान उसके चहरे पर बिखरी हुई थी। आसपास की फिज़ाओं को ऐसे देख रहा था जैसे अपने देश की खुशहाली को निहार रहा हो।
बेला ने दबी हुई आवाज़ में उसे पुकारा " शिजिन"
अपना नाम सुनते ही वह चौंक कर मुड़ा देखा तो बेला टुकुर टुकुर ताक रही है। उसके होंठ जिस्म की हरारत से लाल हो रहे थे। शिजिन फौरन उसके पास आया और उसे होश में देख कर उसकी आंखों में चमक आ गई।
" तुम जाग गई? देखो अब हम अपने देश में हैं। यहां हमें किसी से खतरा नहीं है।"
शिजिन ने खुश हो कर उसे खुशखबरी देते हुए कहा लेकिन बेला ने असमंजस में किसी एक तरफ देखते हुए कहा :" क्या मैं ख़्वाब देख रही हूं? या मैं मर चुकी हूं। मैं तो जंगल में थी न, फिर ये कौन सी जगह है?
शिजिन :" न तुम ख़्वाब देख रही हो न मरी हो! ये मेरा घर है और रात के क़रीब तीन बजे हमारे लिए हेलिकॉप्टर भेजा गया था। पहुंचते ही डॉक्टर ने तुम्हारा इलाज कर दिया था। देखो अभी भी तुम्हें तेज़ बुखार है। तुम आराम करो!"
शिजिन ने उसके माथे पर हाथ रख कर बुखार चैक किया और उठ कर कहीं जाने लगा। बेला ने उसे टोका " शिजिन!...ये हमारा देश तो है पर इस देश में मेरा घर नहीं है।"
" तुम उसकी फिक्र मत करो! जब तक ठीक नहीं हो जाओगी तब तक यहीं रहो! मैं तुम्हारे लिए ब्यूरो से एक घर की मांग करूंगा! और तुम्हारे पास इतना सारा सोना भी तो है। उस से तुम एक घर खरीद सकती हो।"
शिज़िन ये कह कर कमरे से बाहर चला गया। उसकी तबियत भी ख़राब थी लेकिन उसने बेला के सामने ज़ाहिर नहीं किया। उसे भी तेज़ बुखार था और सांसे गर्म और बेचैन थी पर अपने घर वापस आने की खुशी में ये सब उस पर हावी नहीं हो पाई। बाहर लॉन में कैप्टन रूमान और तीन ब्यूरो के ऑफिसर आए हुए थे। शिजिन को देखते ही कैप्टन ने पूछा :" वो ठीक है?
" हां लेकिन बुखार चढ़ा हुआ है।"
शिजिन के जवाब में कैप्टन ने कहा :" क्या तुम ने उसे बताया के वह अब एक पैर से चल नहीं सकती! उसका एक पैर माज़ूर हो गया है।"
शिजिन ने एक अफसोस भरी लंबी सांस ली और कहा :" नहीं बताया! हिम्मत नहीं हुई, बता दूंगा या फिर उसे खुद पता चल जाएगा! (उसने ऑफिसर्स से मुखातिब होते हुए कहा) सर उसे एक घर चाहिए! वो एक खुद्दार लड़की है मेरे घर में नहीं रहेगी!"
ऑफिसर ने कहा :" हम आगे की तैयारी तभी करेंगे जब इस लड़की के बारे में सारी बातें क्लियर होंगी! आपका काम है उसके बारे में जो भी पता चले हमें रिपोर्ट कीजिए!"
" Yes sir! I'll report you!"
शिज़िन से बात कर के वे लोग चले गए। जाते हुए रूमान मुड़ा और शिजिन को गले लगा कर बोला :" आराम कर ले भई! अपने जिस्म के आखरी खून के बूंद को भी निचोड़ मत डाल और अपना ख्याल रख! As a friend मुझे तेरी चिंता है।
शिज़िन ने उसे मुस्कुरा कर शुक्रिया कहा तो उसने तंज़ करते हुए कहा :" तुझे इश्क़ तो नहीं हो गया? उसे बता क्यों नहीं पाया के वो अपाहिज हो चुकी है? जासूसों पर प्यार एक बोझ होता है और इस बोझ के साथ तुम जासूस नहीं रह सकते।"
शिज़िन ने इस बात का जवाब देते हुए साफ लफ़्ज़ों में कहा :" मैं इश्क़ विश्क नहीं जानता! उसने मेरी जान बचाई थी बस उसी का क़र्ज़ उतारने की कोशिश कर रहा हूं।"
" एक शेर अर्ज़ है...."इश्क़ से इंकार करते हो? कहीं इश्क कर तो नहीं बैठे हो!"
चल ठीक है फिर मैं चलता! उम्मीद करता हूं सब ठीक हो जाएगा!"
रूमान ये कहते हुए मुस्कुराता हुआ चला गया।
शिजिन के मन में एक सवाल उठा था के क्या बेला फिर से अपने दोनों पैरों पर चल नहीं सकती?
To be continued......