MAHAASHAKTI - 27 in Hindi Mythological Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 27

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महाशक्ति - 27

महाशक्ति – एपिसोड 27

"शिवजी की चेतावनी और अज्ञात शत्रु"

गुफा की रहस्यमयी रोशनी धीरे-धीरे मंद पड़ने लगी। अर्जुन के हाथ में अब कालचक्र था, लेकिन उसके मन में असंख्य प्रश्न उमड़ रहे थे। उसने जो भविष्य देखा था, उसमें अनाया घायल थी और एक भयानक राक्षस उसके सामने खड़ा था।

"क्या यह भविष्य निश्चित है?" अर्जुन ने खुद से सवाल किया।

वीरभद्र ने गंभीर स्वर में कहा, "भविष्य निश्चित नहीं होता, अर्जुन। यह तुम्हारे कर्मों पर निर्भर करता है।"

लेकिन तभी, गुफा के भीतर अचानक हवा तेज़ चलने लगी और चारों ओर मंत्रों की गूँज सुनाई देने लगी। शिवजी की दिव्य छवि प्रकट हुई। उनका स्वर गंभीर था, मानो वे अर्जुन को चेतावनी दे रहे हों।

"अर्जुन, तुम्हारे सामने केवल युद्ध नहीं, बल्कि समय की सबसे कठिन परीक्षा है। यह कालचक्र केवल एक अस्त्र नहीं, बल्कि भाग्य की कुंजी है। इसका सही उपयोग ही तुम्हें और अनाया को सुरक्षित रख सकता है।"

अर्जुन ने सिर झुका लिया, "प्रभु, क्या मैं अपने भविष्य को बदल सकता हूँ?"

शिवजी की मुस्कान हल्की थी, "विनाश को रोकना संभव है, लेकिन उसके लिए तुम्हें त्याग और बलिदान के मार्ग पर चलना होगा।"

अर्जुन कुछ कहता, इससे पहले ही शिवजी की छवि धीरे-धीरे विलीन हो गई।


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राक्षसों की चाल

उसी समय, काशी से दूर एक अंधकारमय स्थान पर, एक रहस्यमयी सभा चल रही थी। वहाँ कई राक्षस एकत्र थे, और उनके बीच सबसे आगे एक काला-साया बैठा था—असुरराज वज्रकेश।

उसकी आँखों में क्रूरता थी, और उसके होंठों पर एक शातिर मुस्कान।

"तो शिवजी ने अर्जुन को कालचक्र दे दिया?" वज्रकेश ने धीमे स्वर में कहा।

सामने खड़ा एक दानव सिर झुकाकर बोला, "हाँ स्वामी, लेकिन वह इसे संभाल नहीं पाएगा। मनुष्य की शक्ति इस दिव्य अस्त्र को सहन नहीं कर सकती।"

वज्रकेश हँस पड़ा, "हमें कुछ नहीं करना होगा। समय ही उसका सबसे बड़ा शत्रु बन जाएगा। लेकिन हमें अनाया को कमजोर करना होगा।"

एक अन्य राक्षस ने पूछा, "कैसे स्वामी?"

वज्रकेश की मुस्कान और गहरी हो गई, "उसके अपने संदेह और भ्रम उसे गिराने के लिए काफी होंगे। बस सही समय का इंतजार करो!"


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अनाया की बेचैनी

काशी में अनाया अकेली खड़ी थी। उसके मन में एक अजीब-सी घबराहट थी। अर्जुन के लौटने में देर हो रही थी और उसे अंदर ही अंदर लग रहा था कि कुछ भयंकर होने वाला है।

तभी, हवा में एक हलचल हुई और एक रहस्यमयी आवाज़ गूँजी, "अनाया, तुम्हारा प्रेम तुम्हारे लिए सबसे बड़ी बाधा बनेगा।"

अनाया ने तुरंत पलटकर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

"यह क्या था?" अनाया के मन में संशय पैदा हो गया।

क्या यह केवल उसका भ्रम था या सच में कोई शक्तिशाली ताकत उसके मन पर प्रभाव डालने की कोशिश कर रही थी?


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अर्जुन की शपथ

अर्जुन और वीरभद्र काशी की ओर लौट रहे थे। अर्जुन के चेहरे पर गंभीरता थी। शिवजी की चेतावनी उसे बार-बार याद आ रही थी।

"मुझे हर हाल में अनाया को सुरक्षित रखना होगा। मैं अपनी नियति खुद तय करूँगा!"

लेकिन क्या वज्रकेश की चालें अर्जुन और अनाया को अलग करने में सफल होंगी?

(अगले एपिसोड में जारी…!)

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