Part - 6
मैं आठवीं कक्षा में था, लेकिन पूरे स्कूल में मुझसे ज्यादा चर्चा किसी की नहीं थी। हर हफ्ते मेरा नाम घोषित होता था, और प्रिंसिपल मैम भी परेशान रहती थीं। कई बार मुझे सुबह प्रार्थना में आगे बुलाकर सुना देती थीं। लेकिन वो सब सामान्य था। मैं बस हर वो संभव काम करता था जिससे मैं रुही के आसपास रह सकूं। बात तो नहीं कर पाता था, लेकिन उसे जी भरके देखता रहता था। वो कई बार मुझे देखती और मेरी नजरें अपने आप नीचे हो जाती थीं। मैं उसकी आंखों में भी नहीं देख पाता था। कई बार तो मुझे समझ नहीं आता था कि मैं जो कर रहा हूं, वो सही भी है या नहीं। बस हर रोज, हर पल मेरे दिल में एक ही सवाल होता था कि क्या वो मेरी कभी हो भी पाएगी। अगर मैंने उसे नहीं बताया कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं, तो मैं उसके बिना कैसे रहूंगा। उसे एक दिन न देखूं तो पूरा दिन बेकार जाता था। और अगर कभी उसके बिना रहना पड़ा तो क्या करूंगा। ये सब सवाल उस समय बहुत डरावने थे मेरे लिए। स्कूल में इतना नाम हो गया था कि अब तो बच्चे-बच्चे मेरे किस्से जानते थे। स्कूल की हर बस में जा सकता था मैं, हर बस का ड्राइवर, कंडक्टर, सिक्योरिटी, सर हर कोई मेरा दोस्त था। उस समय मुझे कोई नहीं रोक सकता था। लेकिन रुही हमेशा बस मुझे देखती थी और उसकी आंखों में अजीब सी फीलिंग होती थी, जो मैं कभी नहीं समझ पाया। न जाने क्या था उसके मन में। मैंने सब कुछ वैसे ही चलने दिया और समय के साथ मेरी पावर बढ़ती ही रही। मैं अक्सर उसकी क्लास में माइन कराने जाता। वहीं से शुरू हुई हमारी नई कहानी। एक दिन मैं उसकी क्लास में माइन कराने ही जा रहा था। उसकी क्लास के बाहर पहुंचा कि मैंने देखा कि रुही पहले से ही उस क्लास में मॉनिटर थी। पहले मैंने सोचा कि मुझे नहीं जाना चाहिए, लेकिन मैं फिर भी चला गया। उसने मुझे देखा और कुछ नहीं कहा। मैं हमेशा की तरह अपने चेलों के बीच जाकर बैठ गया। पूरी क्लास का ध्यान मुझ पर ही था। कुछ बच्चे मुझसे जलते थे, कुछ डरते थे, बाकी सब तो मेरे चेले ही थे। कुछ लड़कियां अक्सर मेरा वहां आना पसंद नहीं करती थीं क्योंकि वो सब रुही की दोस्त थीं, लेकिन मुझे क्या फर्क पड़ता था। रुही ने चार लड़कों के नाम ब्लैकबोर्ड पर लिखे। और वो लड़के रुही से बहस करने लगे। पहले मैंने कुछ रिएक्ट नहीं किया, लेकिन शायद वो लड़के मेरे और रुही के बारे में नहीं जानते थे। उन्होंने रुही से लड़ना शुरू कर दिया अपना नाम मिटवाने के पीछे। मैं सिर्फ इसलिए नहीं जाना चाहता था क्योंकि मैं रुही के पास जाने से डरता था। लेकिन मुझसे रहा नहीं गया। मैं गया और वो चारों भी खड़े होकर रुही के आगे आकर खड़े हो गए और उससे बहस करने लगे। मैंने उनसे कहा कि चुपचाप वापस चले जाओ वरना सही नहीं होगा। उनकी भी नई-नई गर्मी थी, वो नहीं माने और उन्होंने रुही को बोला कि नाम मिटा दे वरना देख लियो। और मुझे गुस्सा आ गया। मैंने उनमें से एक को धक्का दिया और उनमें से दो आगे आए, उन दोनों को बहुत जोर से थप्पड़ मार दिया। पूरी क्लास शांत हो गई, रुही भी हैरान हो गई। मेरे चेले भी खड़े हो गए आने के लिए, लेकिन मैंने उन्हें मना किया। उन चारों की गर्मी तो मिटा दी। मैंने उनसे कह दिया, चाहे कुछ भी हो जाए, आज के बाद कोशिश भी मत करना इसे कुछ कहने की। वो सब होने के बाद मुझे उम्मीद थी कि रुही कुछ तो कहेगी मुझे, लेकिन मेरी किस्मत हमेशा की तरह बेकार ही थी। मैं पीछे मुड़ा उसकी तरफ इस उम्मीद में और मेरा हाथ चॉकबॉक्स पर लगा और सारे चॉक ही गिर गए। उसने अपने सिर पर हाथ मारा और बोली "ये क्या कर दिया?" और चॉक उठाने लगी। मैंने बहुत कोशिश की उससे कुछ कहने की, लेकिन नहीं कह पाया। और उतनी देर में मैम आ गईं और मजे की बात ये थी कि वो वही मैम थीं जिन्हें मेरे और रुही के बारे में रुही ने बताया था। एक सेकंड को तो मेरी भी फट गई। मैं रुही से दूर हुआ और बाहर चला गया। मेरे जाने के बाद क्लास में जो भी हुआ वो मैम को पता चला और मैम ने मुझसे बाद में कहा कि ये सब मत कर, पिछली बार तुझे छोड़ दिया था, अगर बात प्रिंसिपल मैम तक पहुंची तो स्कूल से बाहर हो जाएगा। वो समय ही खराब था। लेकिन उस सब का रुही पर असर पड़ा। वो मुझे देखती रहती थी और अब उसकी आंखों में कुछ अलग दिखता था। उसमें काफी बदलाव था। वो जताती नहीं थी, लेकिन वो भी शायद मुझसे बात करना चाहती थी। वो अब मुझे देखकर गुस्से में नहीं लगती थी, वो स्माइल करती थी। मैं लंच में हमेशा उसका वॉटर कूलर के पास इंतजार करता था, बस उसे एक बार देखने के लिए और वो रोज आती थी। मैं और नीरज इस वजह से न जाने कितनी बार पानी भर लेते थे। वो आती थी और एक बार देखकर चली जाती थी। मैं बस इसी उम्मीद में था कि हमारी एक बार बात हो। इतनी पावर होने के बाद भी कोई फायदा नहीं था जब मैं उससे बात ही नहीं कर सकता था। तो एक दिन मैं फिर से उसकी क्लास में माइन कराने गया। सब कुछ वैसा ही था, लेकिन आज रुही खुश थी। मुझमें एक अजीब सा डर रहता था उसे लेकर, मैं कभी उसकी तरफ देख नहीं पाता था। न जाने क्यों। मैं बस क्लास में सबको हंसाता रहता था और उसके आसपास घूमने की कोशिश करता था। उस दिन मैं उसकी तरफ से वापस ही आ रहा था कि तीसरी बार मेरी जिंदगी में उसने मेरे कंधे पर दबाव दिया और मुझे बुलाया। मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कि उसने ये किया। मैं पीछे मुड़ा और मैंने उससे कहा "हां जी, बोलो।" उसने मेरे हाथ में एक शार्पनर दिया और मुझसे कहा "मुझे बार-बार पीछे से शार्पनर मारकर कोई परेशान कर रहा है।" मैंने उससे कहा "कोई बात नहीं, अब तू देख, तुझे कोई परेशान नहीं करेगा।" उसी दिन मुझे अपनी पावर दिखाने का पहला मौका मिला। उसके पीछे जो लड़का बैठा था, मैंने उसे पकड़ा और खींचकर बाहर ले गया। मैंने नीरज को कहा "तू क्लास का ध्यान रख, मैं आया।" पूरी क्लास हैरान थी कि मैं उसे कहां ले गया। मैं उस लड़के को लेकर गया और वो मुझसे माफी मांग रहा था। मैंने उसे बहुत गुस्से में कहा "तुझे पता है न वो कौन है। मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा अगर वो परेशान हुई तो। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, तू चाहे किसी को भी शिकायत कर दे, लेकिन अगर मुझे दुबारा पता चला कि वो परेशान हुई है तो मैं एक-एक को ऐसा मारूंगा कि याद रखोगे।" मैंने उसे वापस क्लास भेज दिया। उसकी तो हालत ही खराब थी। उसने रुही से माफी मांगी और चुपचाप बैठ गया। उस दिन रुही बहुत खुश हुई। और वहां से शुरू हुई हमारी नई कहानी। धीरे-धीरे मेरी रुही से फिर से बात होने लगी। अब मैं जब भी उसकी क्लास में जाता था, वो मेरे आसपास ही रहती थी। पहले की तरह हंसती रहती थी मेरे साथ। ये सब एकदम से नहीं हुआ, इसके बीच मैंने और भी कई चीजें कीं, जिससे शायद वो सेफ फील करने लगी थी और वो हमेशा मेरे साथ रहने लगी। कोई हम दोनों को देखकर कह ही नहीं सकता था कि हमारे बीच सिर्फ दोस्ती है। पूरा स्कूल उसे मेरे नाम से जानता था। मैं उसे ढेर सारी चॉकलेट्स देता था और वो हमेशा खुशी से ले लेती थी। कई बार ड्राइवर भैया मेरे कहने पर बस का रूट ही बदल देते थे और उसके घर के पास से ले जाते थे। वो सुबह-सुबह हमारी बस में आ जाती थी और मैं बस उसे देखता रहता था। सब कुछ अच्छा चलने लगा था। वो ये जानती थी कि मैं उससे प्यार करता हूं, उसके बाद भी वो मेरे साथ रहती थी। कभी नहीं लगा कि वो पुरानी बात को लेकर नाराज है। मैं तो बस उसे देखकर ही खुश रहता था, उसका आसपास होना ही मेरे लिए सब कुछ था। बस मैं इस बात से डरता था कि एक दिन मुझे उसके बिना रहना पड़ेगा और शायद मैं उसे देख भी न पाऊं। मैं नवीं में हो चुका था, मेरे पास आखिरी दो साल थे सिर्फ उसे ये बताने के लिए कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं। लेकिन मैं इस बात से अनजान था कि वो दो साल में से मेरे पास सिर्फ एक ही साल है। 2019 में ही वो आखिरी साल था जिसमें मैंने उसके साथ सबसे खूबसूरत समय बिताया और वही आखिरी साल था मेरे पास उसे बताने के लिए। मेरा दिन का यही रूटीन था सुबह उसकी बस का इंतजार करना या उसे किसी तरह अपनी बस में ले आना। फिर प्रेयर में पीटीआई सर की मदद से आगे खड़ा जाना ड्रम बजाने के लिए, जहां से उसे देख सकूं। वो प्रेयर के समय बस मुझे देखकर हंसती रहती थी। फिर लंच में उसका वेट करना। और फिर छुट्टी के समय भी ये कोशिश करना कि उसे एक बार देख सकूं। कई बार बात हो पाती थी, कई बार नहीं। मुझे कई बार कई बच्चों ने ब्लैकमेल भी किया उसके नाम से। और मुझे बस यही डर था कि अगर ये बात प्रिंसिपल तक पहुंची तो मेरे और उसका मिलना बिलकुल ही बंद हो जाएगा, इसलिए कई बार लिमिट में भी रह लेता था। उसकी वो स्माइल आज तक भुलाई नहीं जाती और उसके बिना जीना भी आसान नहीं है। मेरे पास 2019 में सिर्फ दो ही मौके थे उसे ये बताने के लिए कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं। लेकिन कुछ भी मेरे प्लान के हिसाब से कभी हुआ ही नहीं। भगवान ने इस कहानी की स्क्रिप्ट कुछ अलग तरीके से ही लिखी थी। इसी बीच एक दिन मुझे मेरी एक फ्रेंड, जोकि रुही की क्लासमेट थी, उसने बस में एक पेपरबोट दी, जिस पर एक साइड मेरा और दूसरी रुही का नाम लिखा था। मुझे लगा ये उन्होंने बनाई है, लेकिन वो रुही ने लिखा था। मैं उसे देखकर इतना ज्यादा खुश हुआ कि मैं बता नहीं सकता। असल में यही सब होता था, पल भर में वो ऐसा कुछ कर देती थी जिससे लगे कि वो भी मुझे पसंद करती है और पल में ही ऐसा कुछ कर देती थी जिससे लगे कि वो मुझे पसंद नहीं करती। बस इसी वजह से मैं कभी समझ ही नहीं पाया उसकी फीलिंग्स। वो बोट आज तक मैंने संभाल कर रखी है। मुझे कई बार विश्वास नहीं होता था कि ये उसने लिखा है, लेकिन वो सच में उसी ने लिखा था। कहानी आगे बढ़ी और हमारी वैसी दोस्ती फिर से बन गई थी, लेकिन क्लास अलग होने के कारण हम ज्यादा मिल ही नहीं पाते थे। फिर आया वो दिन जब मुझे सच में ऐसा लगा कि अब मुझे उससे बता देना चाहिए...