(Part - 1)
प्यार!!
देखा जाए तो यह सिर्फ चार अक्षरों का शब्द है, पर आज तक कोई इसका असली मतलब नहीं समझ पाया। हर किसी के लिए इसका मतलब अलग होता है। किसी के लिए रिलेशनशिप प्यार है, किसी के लिए किसी को चाहना प्यार है, किसी के लिए किसी को पाना प्यार है तो किसी के लिए उसका होना प्यार है। असल में प्यार का मतलब कभी समझाया ही नहीं जा सकता क्योंकि न तो यह बोलने में आता है न लिखने में आता है और न ही सुनने में। आज मैं जब यह कहानी लिख रहा हूं तो मेरी उम्र 18 साल है और मुझे प्यार हुए 9 साल हो चुके हैं, तो मतलब मैंने अपनी अब तक की आधी जिंदगी में प्यार का मतलब जाना है, वह भी किसी से सुनकर या समझकर नहीं जाना क्योंकि हर किसी ने इसका मतलब अलग ही बताया है। असल में प्यार सिर्फ महसूस किया जा सकता है, यही कारण है कि इसे समझाया नहीं जा सकता। आज मैं यह कहानी सिर्फ इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि मैं अपना प्यार उसे नहीं समझा पाया जो मेरे लिए सब कुछ थी। कैसे समझाता, पता ही नहीं था असल में प्यार होता क्या है और शायद वह भी यह नहीं जानती थी, इसलिए समझ ही नहीं पाई। आज 9 साल बाद भी इसी पछतावे में जी रहा हूं कि काश उसे समझा पाया होता अपना प्यार तो शायद आज वह मेरे साथ होती। पर असल में जितना प्यार के मतलब को समझ पाया हूं उससे मुझे यह लगता है कि मैं अपना प्यार निभाने में कामयाब रहा। अगर कोई इसे पढ़ रहा है तो यह नॉर्मल है कि अभी यह सब समझ में नहीं आ रहा होगा, पर अगर आप यह पूरी पढ़ते हो तो जरूर समझ जाओगे। मैं बस यह सब इस उम्मीद में लिख रहा हूं कि एक दिन शायद यह सब वह पढ़ेगी जिसे मैं यह सब समझाना चाहता था, पर शायद यह मेरे नोट्स में ही रह जाए, पर कोई बात नहीं। यह कहानी मेरी लाइफ स्टोरी है, वह हर पल है जो मैंने उसके साथ बिताया, वह हर रात है जो उसकी याद में बिताई और वह आखिरी दिन है जब मैंने उसको भूलने का फैसला लिया। सोचा था कि मैं कामयाब रहूंगा, पर अब तो ऐसा लगता है कि मरने के बाद ही भुला पाऊंगा उसको। पर यार खुश भी हूं कि वह मेरी लाइफ का इतना अच्छा पार्ट बनी और मुझे लाइफ लेसन दे गई, प्यार का असली मतलब समझा गई। बस अब साथ नहीं है, यही परेशान करता है। तो अब इससे आगे जो भी लिखा है वह मेरी 7 साल की स्टोरी है, उम्मीद करता हूं आपको पसंद आएगी।
मेरा नाम क्षितिज है और बचपन में मुझे यह नाम बिल्कुल पसंद नहीं था क्योंकि यह थोड़ा पढ़ाकू वाली वाइब देता था, पर अब प्रोफेशनल लाइफ में अच्छा लगता है। तो मेरी कहानी शुरू होती है 29 नवंबर 2015 से। उस दिन से पहले मैं बहुत ही डरपोक, मासूम, इमोशनल और बेवकूफ टाइप का बच्चा था। मैं हमेशा से ही एक एवरेज स्टूडेंट था और क्लास में शांत ही रहा करता था। मुझे स्कूल जाना बिल्कुल पसंद नहीं था, मुझे अपनी टीचर्स से बहुत डर लगता था, खासकर प्रिंसिपल मैम से। मैं हमेशा घर पर खिलौनों के बीच ही रहना चाहता था, जो कि एक 9 साल के लड़के के लिए नॉर्मल है। पर मुझे कभी नहीं पता था कि मेरी लाइफ बहुत जल्द इतना बड़ा मोड़ लेने वाली है कि सब कुछ ही बदल जाएगा जब मेरी जिंदगी में वह आई। मैं बचपन से ही एक ही स्कूल में पढ़ा था पर मैंने कभी उसे नहीं देखा। पर आज के दिन हमारे स्कूल में एनुअल फंक्शन की तैयारी चल रही थी। मैं हमेशा की तरह मन मार कर बच्चों के झुंड के बीच बैठा था रिहर्सल देखने के लिए। सभी क्लासेज बारी-बारी से अपनी परफॉर्मेंस कर रही थीं। मेरी क्लास में सिर्फ एक ही बेस्ट फ्रेंड था प्रियांशु, जो कि स्कूल के पहले दिन से मेरा दोस्त था और मैं हमेशा उसके साथ ही रहता था। तो हम सब वहीं बैठे थे और तब एक परफॉर्मेंस शुरू होती है जो कि एक प्ले था, जो हमसे छोटी क्लास के बच्चे कर रहे थे। मुझे नहीं पता था कि आगे आने वाले 3 मिनट मेरा सब कुछ बदल जाएगा। मेरा उस परफॉर्मेंस में कोई इंटरेस्ट नहीं था, मैं बस जबरदस्ती वहां बैठा हुआ था। फिर अचानक वहां वह आई, एक छोटी सी क्यूट सी लड़की, बड़ी-बड़ी आंखें, गोरा रंग, चेहरे पर एक मुस्कान, लंबे बाल। मानो उसकी पहली झलक मेरी आंखों में इस तरह बस गई कि मैं आज तक वह चेहरा नहीं भुला पाया। उस मासूमियत, उस चेहरे पर जो नूर था, मैंने आज तक किसी में नहीं देखा। मेरी आंखें बस उसे ही देख रही थीं, मुझे आसपास क्या हो रहा था कुछ एहसास ही नहीं था। बस मैं उसे देखे ही जा रहा था। मैं न उसके बारे में कुछ जानता था, न मुझे यह पता था कि वह किस क्लास की है, उसका क्या नाम है, मैं कुछ नहीं जानता था। अब मैं था तो एक 5वीं क्लास का लड़का, मुझे क्या पता कि यह एहसास क्या है। मैं बस उसकी उस स्माइल पर फिदा हो गया। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद भी मेरी नजरें उसे ढूंढ रही थीं, पर मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे हुआ क्या एकदम से, मैं समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है। हमारे स्कूल में ज्यादा बच्चे नहीं थे पर इतने तो थे कि किसी अजनबी को, जिसके बारे में कुछ भी न पता हो, उसे ढूंढना मुश्किल था। मैंने पूरा दिन उस लड़की को ढूंढने की कोशिश की पर वह मुझे नहीं मिली। मुझे लगा यह सब नॉर्मल है। मैं हमेशा की तरह घर जाते समय खिड़की की साइड बैठा करता था। बस में हमेशा की तरह शोर था सीनियर्स का, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था। मैं हमेशा शांत रहना पसंद करता था, पर आज कुछ अलग था। मैं अंदर से कुछ अलग महसूस कर रहा था, मैं खुश था, मुझे गुस्सा नहीं आ रहा था वह आवाज सुनकर। मुझे एक अलग सी खुशी थी अंदर से और यही कारण था कि उस दिन के बाद सब कुछ बदल गया। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि जिंदगी में किसी इंसान की झलक भी तुम्हारी सोच बदल सकती है। मैं रात भर उसका चेहरा याद करता रहा, उसकी वह मुस्कुराहट कभी मेरे दिमाग से गई ही नहीं। मैंने पूरी रात उसके बारे में सोचा। मुझे रात लंबी लगने लगी क्योंकि मुझे अगले दिन का इंतजार था, क्योंकि मुझे उसे दुबारा देखना था। देखो, कहां मुझे स्कूल के नाम से भी नफरत थी, कभी सोचा भी नहीं था कि कभी स्कूल जाने के लिए इंतजार करूंगा। यही होता है जब भगवान तुम्हें उससे मिला देता है जिसके साथ उसने तुम्हारा साथ लिखा हो, चाहे कुछ समय के लिए ही, पर वह साथ जिंदगी भर का ही होता है, चाहे मन से ही हो। अगले दिन सुबह मैं बहुत खुशी से तैयार हुआ, जल्दी से स्कूल जाने के लिए निकला, जो पहली बार था मेरी जिंदगी में। मेरे मन में एक अलग तरीके की खुशी थी, जोकि वहीं तक रहती तो शायद सब बेहतर होता क्योंकि जब तक तुम्हें किसी से प्यार है तब तक प्यार खुशी है, सुकून है, जिंदगी है। पर जब उसमें चाहत आ जाए उसे पाने की तो प्यार का मतलब बदल जाता है, फिर प्यार दर्द बन जाता है, कभी न भुलाया जाने वाला एहसास बनकर रह जाता है, पर वह दर्द भी प्यार का हिस्सा है, उस दर्द को सह पाना ही तुम्हारे प्यार की असली परख है। पर वह दर्द अभी दूर था, अभी तो मैं नए-नए प्यार में था तो खुश था। मैं आज के दिन वहां नहीं बैठ पाया। हमें क्लास से लेट भेजा गया जिसकी वजह से उसकी परफॉर्मेंस निकल गई। मैं बस उसे एक बार देखना चाहता था पर नहीं देख पाया। लेकिन भगवान के पास हमेशा तुम्हारे लिए बेहतर योजनाएं होती हैं। उस साल मुझे एक प्राइज मिलना था जिसकी प्रैक्टिस के लिए मुझे बुलाया गया। वह प्राइज भी मुझे मेरे पिता की वजह से मिला था क्योंकि वह हर काम में अच्छे थे। वह हमेशा मुझे कुछ बेस्ट सिखा देते थे कॉम्पटीशन में, जिसकी वजह से मैं जीत जाता था। मैं किसी काम में खुद अच्छा नहीं था, फिर चाहे वह पढ़ाई हो, स्पोर्ट्स हो या कुछ और। मुझे सिर्फ डांस अच्छा लगता था पर वह भी मैं अच्छा नहीं करता था ताकि मैं पीछे खड़ा रहूं क्योंकि मैं डरपोक था। उस साल भी एक बेकार से डांस में 3rd पोजीशन पर खड़ा था। मैं बाहर गया और एक साइड में जाकर बैठ गया। मैं बस उसकी एक झलक के लिए तरस रहा था, पर वह मुझे कहीं नहीं मिल रही थी। मैंने प्रे किया कि बस एक बार उसको देखना है और लगता है भगवान ने मेरी सुन ली। वह आई वहां पर क्योंकि उसे भी प्राइज मिलना था। वह आई और मैं हमेशा की तरह उसे देखकर हक्का-बक्का हो गया, वही आंखें, वही नूर, वही मुस्कुराहट, मानो मेरी खुशी की वजह ही वही थी। अपने दोस्तों से बातें करते हुए वह बहुत प्यारी लगती थी। मैं बस पूरा दिन उसकी ही तलाश में घूमता रहता था, कभी मिलती थी तो कभी नहीं। पर मुझे स्कूल आने का कारण मिल गया। मैं पूरा दिन उसको याद करके मुस्कुराता रहता था क्लास में भी, बस में भी, घर पर भी। इतना तो समझ गया था कि यह प्यार ही है पर किसको पता था कि प्यार बहुत बड़ी चीज है। एक दिन मैं क्लास में उसको याद करके मुस्कुरा रहा था, तब मेरे बेस्ट फ्रेंड ने मुझे देखा और उसने मुझसे पूछा कि आजकल मैं इतना खुश क्यों रह रहा हूं, क्या बात है। पहले मुझे समझ नहीं आया कि मैं उसको कैसे बताऊं, पर वह मेरा बेस्ट फ्रेंड था तो मैंने उसको बताना सही समझा। मैंने उसको पूरी बात बता दी कि मेरे साथ क्या हो रहा है। वह मेरी बात सुनकर हंसने लगा और बोला, "सच में तुझे प्यार हो गया है उस लड़की से?" मैंने कहा, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, बस उसको देखता हूं तो अच्छा लगता है।" उसने कहा, "अरे पागल यह प्यार ही होता है, उसका नाम क्या है, कौन सी क्लास में है वह?" और मैं उसको देखने में इतना बिजी था कि मैंने यह सोचा ही नहीं कि उसका नाम क्या है और आखिर कौन सी क्लास में है 🤦♂️। मैंने प्रियांशु को बताया कि मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं पता है। वह बहुत जोर से हंसा और उसने मुझे कहा, "तू सच में पागल है, उससे प्यार करता है और न नाम जानता है, न क्लास, उससे बात कैसे करेगा?" और यह सुनकर मैं एकदम से डर गया, उससे बात!!! मैं सही से उसको देख तक नहीं पा रहा था, उससे बात करने के बारे में सोचकर ही मुझे डर लगने लगा था। वहां से उसके बारे में पता करने की चाहत हुई, कम से कम उसका नाम और क्लास तो पता करनी ही थी, पर किससे करता, न मैं किसी को जानता था, न किसी से बात करता था। बहुत कोशिश की पर नहीं पता चला। फिर एक दिन मैं बस में बैठा था, बस स्कूल के ग्राउंड में थी। और मेरे आगे मेरा कज़िन लक्ष्य बैठा था जो 2nd में था, वह सामने वाली बस में एक लड़की को बाय कह रहा था और मैंने देखा कि जिसे वह बाय कह रहा है, उसके साथ में ही वह लड़की बैठी थी। मुझे लगा कि शायद यह उसको भी जानता हो, तो मैंने बातों-बातों में उससे पूछने की कोशिश की, "तू उसको जानता है?" और उसने कहा, "और क्या, मेरी ही क्लास में तो है।" सीरियसली, जो आपका रिएक्शन है वही मेरा भी था। मुझे भी विश्वास नहीं हुआ कि वह अभी सिर्फ 2nd में है, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि जिन्हें हुआ है वह समझ सकते हैं कि एक बार किसी से प्यार हो जाए तो लाख कोशिश करके भी वह खत्म नहीं होगा, चाहे फिर वह कोई भी हो, कैसी भी हो, किधर की भी हो। फिर मैंने पूछा, "उसका नाम क्या है?" और यकीन मानो जितना खुश मैं उसको देखकर होता था, उतना ही खुश मैं उसका नाम सुनकर हुआ। उसका नाम उसी की तरह प्यारा था। उसके घरवालों ने पक्का उसे देखकर ही उसका नाम रखा होगा। उसका नाम था "रुही"। सही मायनों में मैं वह नाम सुनकर और भी ज्यादा खुश हो गया। बहुत प्यारा नाम था उसका। मैंने उसके बारे में और भी कई चीजें जानने की कोशिश की और जो मुझे पता चला वह सब मेरी उम्मीदों के बाहर था। रुही स्कूल में बहुत ही ज्यादा फेमस थी। वह हर चीज में अच्छी थी, एक्टिंग, डांसिंग, स्पोर्ट्स और दिखने में तो कमाल की थी ही। वह सब सुनकर मैं खुश तो हुआ, पर... रियलिटी यह भी थी कि मैं कुछ भी नहीं था उसके सामने। मैं तो किसी भी चीज में अच्छा नहीं था और यहां तक कि मैं गुड लुकिंग भी नहीं था। मुझे यह सब सुनकर इतना तो पता चल गया था कि शायद मैं अपनी पूरी जिंदगी में उससे बात तक न कर पाऊं... वहीं सोचकर मैं डिमोटिवेट हुआ। मैं रात भर यह सोचता रहा कि क्या मैं कभी उसके जैसा बन पाऊंगा या कभी उससे बात भी कर पाऊंगा, पर इन बातों का कोई मतलब नहीं था। भगवान ने उसको मेरी जिंदगी में भेजा ही इसलिए था कि मेरी पूरी लाइफ बदल जाए।