Part - 9
सब बहुत बुरा था मेरे लिए एक स्थिति और हुई मेरे साथ जब क्रिसमस सेलिब्रेशन था स्कूल में हम पीछे बैठके हंस रहे थे, प्रिंसिपल मैम ने मुझे और प्रियंशु को आगे बुला के खड़ा कर दिया अपने सामने क्योंकि प्रियंशु भी फंसा था मेरे साथ। हम दोनों बस मुँह नीचे करके खड़े गए साइड में। और हम दोनों स्टिल हंसी ही रहे थे बेशर्मी की निशानी। लेकिन मेरे लिए स्थिति इसीलिए खराब थी क्योंकि सेलिब्रेशन में रुही का भी प्ले था जब वो शुरू हुआ तो प्रिंसिपल मैम मुझे देखती रही और मैं पूरे प्ले के टाइम बस नीचे मुँह करके खड़ा रहा मैंने प्ले का एक सीन तक नहीं देखा। हो सकता है कि इस स्टोरी की एंडिंग किसी को भी पसंद न आए क्योंकि इस स्टोरी की असल में एंडिंग मेरी वजह से ही खराब है। हो सकता है मैंने उसे कहा होता तो कुछ अच्छा होता या फिर यहां तक भी न पहुँच पाई होती ये स्टोरी। मुझे नहीं पता की जो हुआ सही हुआ या गलत। मेरे पास एक साल पड़ा है पर पता नहीं हमेशा लगता था जैसे मेरे पास यही टाइम बचा है। इसी वजह से मैंने एक लास्ट कोशिश करने का फैसला लिया। मेरे अंदर इतना डर था उसको खोने का मैं और करता भी क्या। मैंने 9वीं क्लास के लास्ट पेपर वाले दिन डिसाइड किया कि किसी भी तरह में उसको मिलकर उसे कह दूंगा, उसके बाद चाहे मेरे साथ जो हो जाए मैं इस रेगरेट में नहीं रहना चाहता कि मैं उससे कहे नहीं पाया। इंफैक्ट वो जानती थी पर उसे एक बार कंफेस करना जरूरी था मेरे लिए। पर उस दिन जो हुआ वो इस सब से भी बुरा था मैंने किसी तरह उसको बुलाने की कोशिश की अपने चेले से कहा कि उससे कहो कि एक बार मिल के मुझसे पर उसने मना कर दिया। मैंने बहुत रिक्वेस्ट की उसे बुलाने के लिए पर वो नहीं आई। मैं नहीं जानता कि उसने ऐसा क्यों किया। वो लास्ट टाइम था जब मुझे कोई होप थी इस पर सब खत्म हो गया। मुझे स्टिल लगता था कि एक साल है कुछ न कुछ तो होगा पर किसे पता था कि मेरे पास सिर्फ वो लास्ट दिन ही था, अगर पता होता तो उसकी क्लास में घुस के कह देता "रुही I love you" पर क्या फायदा कुछ चीज़ें बस ख्वाब ही रहती हैं। हमारी 9वीं क्लास एंड हो गई और उसके बाद लॉकडाउन आ गया, सब खत्म हो गया था मेरे लिए लॉकडाउन बढ़ता रहा और मैं ना उसे देख सकता था ना मिल सकता था। रोज बस उसे याद करता था कोशिश करता था उससे संपर्क कर पाऊं पर कभी मैसेज करने की हिम्मत ही नहीं हुई। रोज खुद को कोसता था यही सोचकर काश उससे कह दिया होता। रेगरेट रेगरेट और बस रेगरेट। एक दिन बहुत हिम्मत करके उससे मैसेज कर ही दिया मुझे यही लगता था कि वो मुझे पसंद नहीं करती इसलिये मुझसे बात भी नहीं करेगी। मैंने मैसेज किया और सामने से भी रिप्लाई आया और मैंने कुछ देर बात तो की पर मुझे पता लग गया था कि ये वो नहीं है या तो उसकी मम्मी थी या उसकी बहन। 6-7 महीने बीत गए और उसको देखना तक नसीब में नहीं था। लेकिन स्टिल ये एंड नहीं था मेरी कज़िन और रुही की एक फ्रेंड एक ही ट्यूशन में पढ़ते थे मेरी कज़िन ने किसी तरह रुही से दोस्ती की उसके ज़रिए ऑनलाइन ही और एक दिन उसने मेरी उससे बात करवा दी। That was the moment मेरी जान में जान आई रुही नॉर्मल और हैप्पी रहती थी हमेशा मुझसे बात करते हुए बहुत छोटी सी बात हुई थी "हाय कैसे हो" बस बिल्कुल नॉर्मल बाकी तो वो आपस में ही बात करते रहे लेकिन कम से कम उसकी आवाज़ सुनी, उसको देखा वीडियो कॉल पर वही बहुत बड़ी बात थी। और उससे भी खुशी की बात थी मेरे लिए और मेरी लाइफ का सबसे बेस्ट डे जब उसने मुझे बर्थडे विश किया। बहुत बड़ी बात थी मेरे लिए लेकिन हमारी कभी बात नहीं हुई उसके बाद। उसका पर्सनल फोन नहीं था व्हाट्सएप उसकी मम्मी चलाती थी, कई बार ट्राई किया लेकिन रिप्लाई नहीं आया। मैं रोज उम्मीद करता था कि क्या पता कभी तो संपर्क हो पर ऐसा कभी हुआ ही नहीं। बस एक लास्ट एंडिंग कुछ इस तरह हुई हमारी कहानी की जिसने मुझे अंदर से तोड़ दिया। किसी ऐसे इंसान के लिए सबसे दुखी होने वाली बात क्या ही हो सकता जो किसी को इतना चाहा हो कि उसने कभी अपने बारे में सोचा ही नहीं। काफी टाइम बाद मुझे एक दिन रुही का इंस्टा अकाउंट मिल गया। I was happy कि कम से कम मैं उससे संपर्क कर सकता हूँ पहले कुछ दिन हिम्मत नहीं हुई पर एक दिन हिम्मत करके उससे मैसेज कर ही दिया। काश नहीं किया होता पर कम से कम 7-8 महीने बाद बात होने वाली थी उससे, मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि कुछ ऐसा भी हो सकता है जो हुआ। उसने रिप्लाई किया और मैंने बताया कि मैं क्षितिज हूँ और उसने बस इतना कहा "मैं आपको नहीं जानती"। ये लाइन सुनकर जो मेरे दिल के लाखों टुकड़े हुए मैं एक्सप्लेन नहीं कर सकता। मैं नहीं जानता कि ये उसने कहा या नहीं पर वो आईडी उसकी ही थी मैंने उसको काफी याद दिलाने की कोशिश की पर उसने बस यही कहा। हो सकता है कि ये उसने ना कहा हो पर ये टाइम के साथ-साथ प्रूफ भी हो गया। मैंने सब छोड़ दिया सब कुछ उसके बाद ना कभी उससे मैसेज किया ना उससे बात करने की कोशिश सब छोड़ दिया बस उसे चाहना नहीं छोड़ पाया। आज मुझे 3 से 4 साल हो गए उससे बात किए हुए पर आज भी मैं सिर्फ उसी को याद करता हूँ रोज करता हूँ। मैं मान ही नहीं सकता कि वो मुझे भुला भी सकती है या शायद उसने कभी मुझे चाहा ही नहीं। आज भी उसकी याद आती है तो उसको देखने स्कूल चला जाता हूँ छुट्टी के टाइम बस दूर खड़ा के एक बार उसको देख लेता हूँ पर कभी उसके सामने जाने की हिम्मत नहीं होती वो आज भी हंसी हुई बहुत प्यारी लगती है। ना उसके बारे में कुछ जानता हूँ ना उसकी आवाज़ याद है पर उसके साथ बिताया हर एक पल हर एक दिन हर एक सेकंड याद है, उसकी दी हुई हर एक चीज़ आज भी मेरे पास है। आज भी फेक आईडी से उसको फॉलो करता हूँ उसकी हर फोटो देखता हूँ, उससे मिस करता हूँ। वो एक ऐसी याद है मेरे लिए जिससे मुझे प्यार है। अपनी असली आईडी से उसकी एक बार स्टोरी देख ली तो उसने स्टोरी हाइड कर दी। न जाने वो मुझसे इतनी नफरत कैसे कर सकती है, मैंने कभी उसके बुरा नहीं चाहा फिर भी मैं उसकी नज़रों में बुरा बन गया, पता नहीं क्यों। इसका जवाब मेरे पास नहीं है। अब उसको देखने भी जाता हूँ तो ऐसा लगता है कि ये वो रुही नहीं है जो कभी मेरी थी। या शायद अब वो बड़ी हो गई है। काश मैं उसकी नफरत का राज़ जान पता। काश मैं उसको अपना प्यार समझा पाता। काश मैंने उसकी स्माइल की जगह उससे प्यार किया होता। पर मेरी ही गलती है भगवान से कभी उसको मांगा ही तो नहीं। हर बार बस यही कहा कि उसे ऐसे ही खुश रखा, शायद मुझसे दूर रहने में ही उसकी खुशी हो। अब उम्मीद नहीं करता हूँ कि कभी उससे बात हो पाए पर डर लगता है कि वो कभी किसी गलत हाथों में ना चली जाए। जिस हंसी पे मरता था मैं, वो कभी कम ना हो। वो खुश रहे मुझसे, उसे ज्यादा कुछ चाहिए ही नहीं। अब उसे परेशान नहीं करना चाहता इसलिये दूर रहता हूँ। बस यही दुख है कि अगर ऐसा ही एंड था इस कहानी का तो मुझे उसे मिलाया ही क्यों। पर अब मेरे पास कुछ नहीं है। उसे भूलने की लाख कोशिश करता हूँ और वो हर बार मेरे सपनों में आकर मुझे रुला देती है। यही वजह थी कि मैंने ये कहानी लिखी क्योंकि मैं अब और इसको अपने अंदर नहीं रख सकता था। काश मैं उसे ये समझा पाता। पर अब वो जहाँ भी है जैसी भी है बस खुश रहे। मुझे पता है कि वो इसे कभी नहीं पढ़ेगी। और ना अब मैं उसे पाने की इच्छा रखता हूँ क्योंकि अब वो वो नहीं है जो वो कभी हुआ करती थी। मैं तो उसी रुही पे मरता था तो मेरी हुआ करती थी। अगर मुझे आज भी भगवान एक विश दे तो मैं उसे नहीं मांगूंगा, मैं बस ये मांगूंगा कि मुझे एक बार उस रुही से मिलना है जो मुझे जानती थी, मुझे तंग करती थी, मेरी बातों पर हंसती थी। पर ये सब फालतू की बातें हैं और This was the end of my story....
क्षितिज