kash tum mere hote - 4 in Hindi Love Stories by Kshitij daroch books and stories PDF | काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 4

Featured Books
  • એઠો ગોળ

    એઠો ગોળ धेनुं धीराः सूनृतां वाचमाहुः, यथा धेनु सहस्त्रेषु वत...

  • પહેલી નજર નો પ્રેમ!!

    સવાર નો સમય! જે.કે. માર્ટસવાર નો સમય હોવા થી માર્ટ માં ગણતરી...

  • એક મર્ડર

    'ઓગણીસ તારીખે તારી અને આકાશની વચ્ચે રાણકી વાવમાં ઝઘડો થય...

  • વિશ્વનાં ખતરનાક આદમખોર

     આમ તો વિશ્વમાં સૌથી ખતરનાક પ્રાણી જો કોઇ હોય તો તે માનવી જ...

  • રડવું

             *“રડવુ પડે તો એક ઈશ્વર પાસે રડજો...             ”*જ...

Categories
Share

काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 4

Part - 4

सब कुछ अच्छा चल रहा था, अब मैं कह सकता था कि वो मेरी अच्छी दोस्त बन चुकी थी। और मुझे उससे ज्यादा कुछ चाहिए भी नहीं था। पर एक दिन मुझे उसकी क्लास के एक लड़के के बारे में पता चला जिसका नाम रक्षित था। वो भी रुही को पसंद करता था। इस बारे में जानने के बाद मुझमें एक डर बैठ गया था क्योंकि वो उसकी ही क्लास में था और पूरा दिन उसके साथ रह सकता था। रुही उसे मुझसे ज्यादा जानती थी। इस बात से मैं डरने लगा। मैं चाहता तो उसको धमका या डरा भी सकता था पर उस समय तक मैं प्रिंसिपल मैम से डरता था, मुझे डर था कि कुछ भी हो सकता था। पर मैंने सब वैसे ही चलने दिया। रक्षित कई बार उससे बात करता दिखता था। पर मैं कुछ नहीं कर सकता था। मैं रुही को हर तरह से खुश रखने की कोशिश करता था, उसके दिल में बस एक जगह चाहता था, पर उसको खोने का डर रहने लगा दिल में। मैं इतना तो जानता था कि वो रक्षित को पसंद नहीं करती पर वो हमेशा उसके आगे-पीछे घूमता रहता था। मुझे कई बार सबने कहा कि तू रुही को बता दे कि तू उसको पसंद करता है, इससे पहले कि रक्षित बता दे। पर मैं कैसे बताता? मैं हमेशा इस बात से डरता था कि अगर उसको मैं पसंद नहीं आया तो हमारी दोस्ती भी खत्म हो जाएगी। मैं कभी उसको मेरी वजह से तकलीफ नहीं देना चाहता था। पर एक दिन देर हो ही गई। रक्षित ने रुही को एक पेज दिया जिसपर लिखा था "I love you"। ये बात उसने नीरज को बताई और उसके ज़रिये मुझे पता चला। मैं सच में बहुत गुस्सा हुआ उस बात से। नीरज ने रुही से कहा कि तू मैम से बता देती, पर रुही को भी मैम का डर था। सबने मुझे फोर्स करना शुरू कर दिया था कि अगर तूने उससे अब नहीं बताया तो देर हो जाएगी। मैं कभी रुही से ये नहीं कहना चाहता था क्योंकि मुझे हमारी दोस्ती खत्म होने का डर था, पर मैं क्या करता, वक्त ही कुछ ऐसा था। पर मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी। एक दिन रुही मेरे साथ बस में बैठी और वो मुझे बार-बार स्माइल करके घूर रही थी। वो पूरे रास्ते खुश थी और उसने उतरते समय मुझे बाय भी किया। पहले मुझे समझ नहीं आया, पर मुझे मेरे कज़िन ने कहा कि मैंने उसको बता दिया कि तू उसको पसंद करता है। मेरे पैरों तले तो जमीन ही खिसक गई। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा हो गया है। अब न जाने उसने सच कहा या नहीं, पर मैंने मान लिया। वो मुझे हर रोज़ कहता था कि तू उसको अपनी तरफ से बोल, पर मुझमें हिम्मत नहीं होती थी। उसने मुझे डराना शुरू कर दिया, वो मुझे हमेशा रक्षित के नाम से डराता था कि वो ले जाएगा उसको और मैं मजबूर हो गया। मुझे ये हमेशा गलत लगा, पर मैंने निर्णय लिया उसको बताने का। मैंने कई दिन कोशिश की, पर मैं नहीं बोल पाया। उसको देखकर भी लगता था कि वो सुनना चाहती है, पर मैं कभी उसके मन की बात जान नहीं पाया। एक दिन मेरे कज़िन ने कहा कि मैंने उसको पूछा कि अगर मेरा भाई तुझे प्रपोज़ करे तो तू क्या करेगी, तो उसने कहा कि "सेम टू यू" बोलूंगी। मुझे उसकी बात पर विश्वास नहीं होता था, पर मुझे माननी पड़ती थी। फिर मन मारकर मैंने 31 जनवरी 2018 को अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर ही दी। उसके बस से उतरने के समय मैंने उसे रोका और उसे देखकर बस मैं तीन शब्द ही बोल पाया, "I love you"। उसका कुछ रिएक्शन ही नहीं था उस चीज़ पर। मुझे अजीब लगा, पर वो बिना कुछ कहे उतर गई। मैं खुश था कि कम से कम मैंने उसको बताया, पर उसका रिएक्शन देखकर मुझे लगने लगा कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैं असल में कभी उससे ये कहना ही नहीं चाहता था क्योंकि इसका अंजाम कुछ भी हो सकता था, पर मुझे ये करना पड़ा। अगले दिन मैं पूरी उम्मीद में था कि आज वो कुछ जवाब देगी, पर जो हुआ वो मैंने नहीं सोचा था। वो मुझे लंच में मिली, तब तक सब सही लग रहा था, पर लास्ट क्लास के समय मैं कॉरिडोर में था, तब मुझे हमारी क्लास टीचर ने रोका। वो उसकी क्लास के बाहर खड़ी थी। और उसके बाद जो मैंने देखा वो मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा रिग्रेट था। उसके बाद तो ऐसा हुआ मानो मेरे अंदर से जान ही निकल गई। जैसे ही रुही बाहर आई, वो रो रही थी। मैं समझ गया था कि सब खत्म हो चुका है। मेरा उसको खोने का जो डर था, उसको मैंने खुद ही पूरा कर दिया। जिसकी खुशी के लिए सब कर रहा था, उसको ही परेशान कर दिया अपने फायदे के लिए। मैम ने मुझे बहुत डांटा। मुझे उस समय कुछ भी खयाल नहीं आया। मेरे मन में ना ये आया कि अब मेरा क्या होगा, ना ही ये आया कि प्रिंसिपल मैम तक ये बात जाएगी, ना मैंने ये सोचा कि अब मेरे घर पर पता चल जाएगा। मैं बस रुही को देख रहा था, मन कर रहा था कि किसी तरह अपना पास्ट बदल पाऊं, पर अब सब बिगड़ चुका था। मेरा दिल टूट गया ये सब देखकर। असल में ये बात आज तक एक मिस्ट्री ही है कि उस दिन रुही ने ऐसा क्यों किया, इसका जवाब सिर्फ रुही जानती है। हमारी क्लास टीचर बहुत अच्छी थी, उन्होंने ये बात फैलने नहीं दी, ना ही उन्होंने प्रिंसिपल मैम को बताया। एक दिन बाद हमारे स्कूल में पीटीएम थी, उन्होंने मुझसे अपने पैरेंट्स के साथ आने को कहा। रुही की क्लास में सबको ये बात पता चल गई थी और मेरी क्लास में भी। मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। रोने का मन भी कर रहा था, पर रोया भी नहीं जा रहा था। वो सब मेरे लिए सदमे जैसा था। मैं उस दिन बस में अकेला बैठा और मैं बस बाहर ही देख रहा था, बहुत दुखी था इस सब को लेकर। मैंने एक बार रुही को देखना चाहा, पर वो बहुत आगे थी। हमारी बस में आगे एक मिरर था, उसमें वो दिख रही थी। मैंने उस दिन उसे काफी देर तक देखा। वो भी काफी उदास बैठी थी। एक झलक उसने भी उस मिरर में देखा और वो आखिरी बार था उस दिन जब हमने एक दूसरे को देखा। मेरा दिल बहुत रोया उसको इस हाल में देखकर। बस में भी काफी हद तक ये बात फैल गई थी, सबने मुझे गलत समझा। वो फेज़ मेरी जिंदगी का सबसे बुरा अनुभव था। मैंने ये मान लिया कि रुही मुझसे नफरत करती है और मैंने ये डिसाइड कर लिया अब कभी उसको परेशान नहीं करूंगा, ना ही उसकी नज़रों में आऊंगा। सबसे मुश्किल था मेरे लिए घरवालों को ये बात बताना। मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि ऐसा भी समय आ जाएगा। मुझमें हिम्मत नहीं थी इस सब की। मैं पूरे रास्ते बस एक बिना जान के मुर्दे की तरह बस में बैठा रहा। मुझे ना मेरे कज़िन से पूछने का मन हुआ कि उसने मुझसे झूठ बोला था या नहीं, ना कुछ और। मैंने अपना प्रेज़ेंट एक्सेप्ट कर लिया था। रात भर मैं रोया और मैंने भगवान से यही कहा कि मुझसे इतनी बड़ी गलती क्यों होने दी, अगर इसी तरह एंड करना था तो मिलाते ही ना। पर काश वो एंड होता तो शायद अच्छा होता, पर वो एंड नहीं था। मैं बहुत डरा हुआ था, मेरे पास कोई ऑप्शन ही नहीं था घरवालों को बताने के अलावा। मेरे घरवाले भी हैरान थे मुझे ऐसा देखकर। मैंने किसी से बात नहीं की। अगले दिन जब मैं स्कूल के लिए तैयार हुआ, मेरी आँखों के सामने वही सब आ रहा था, पर मेरी मां जान चुकी थी कि कुछ तो हुआ है और उन्होंने मुझसे पूछ लिया। मैंने बहुत कोशिश की रोकने की, पर मैं इतना टूटा हुआ था कि मेरा रोना निकल गया। मैंने सब बताया, मुझे बहुत अफसोस था हर चीज़ का। मुझे मेरी मां ने बहुत डांटा और मैं वो डिजर्व भी करता था। पर मेरी मां समझ गई थी कि मेरी इंटेंशन गलत नहीं थी। उन्होंने कहा, "तू स्कूल जा, पीटीएम में मैं बात कर लूंगी।" वो चीज़ सुनकर मेरी जान में जान आई। उस दिन मुझे इमोशनल सपोर्ट की ही जरूरत थी, जो मुझे मिल गया। शाम तक मेरे पिताजी को भी पता चल गया, पर मेरे पिताजी ने ज्यादा कुछ नहीं कहा। वो बहुत ज्यादा समझते थे मुझे। उन्होंने बस इतना कहा कि अब उस लड़की को परेशान मत करना। पर डांट बहुत बड़ी थी। स्कूल में सब मुझे गलत समझने लगे। हर कोई मुझसे यही बात पूछता था, "तूने ऐसा क्यों किया?" मैं इस सब के लिए कभी रेडी नहीं था। जिन टीचर्स को पता था, वो भी मुझे गलत समझती थी। हर जगह से वार्निंग मिली। पर किसी ने पूछा नहीं कि असल में क्या हुआ था। और शायद गलती भी सारी मेरी ही थी। मैंने भी खुद को गुनहगार मान लिया था। कसम खा ली कि आज के बाद रुही की तरफ देखूंगा भी नहीं, ना ही उसे परेशान करूंगा, ना उसकी बात करूंगा, ना कभी उसकी नजरों के सामने जाऊंगा। मैं बस उसे खुश देखना चाहता था। मैंने उस दिन को अपनी कहानी का अंत मान लिया था, पर ये तो बस एक शुरुआत थी। मैं असल में आज तक जान ही नहीं पाया कि रुही ने वैसा क्यों किया, और नहीं जान पाऊंगा। मैंने सब भुलाना शुरू कर दिया। भगवान ने भी क्या कहानी लिखी थी, खुद ही सब कुछ खत्म किया और सब कुछ एक नए तरीके से शुरू कर दिया।