kash tum mere hote - 5 in Hindi Love Stories by Kshitij daroch books and stories PDF | काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 5

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 5

Part - 5


मेरे पास अब अपनी गलती मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैंने स्वीकार किया और रुही से दूर हो गया। किस्मत इतनी खराब थी कि उसकी बस भी बदल गई, वह दूसरी बस में जाने लगी। रक्षित और मेरे कजिन ने स्कूल छोड़ दिया। हमारा स्कूल 10वीं तक ही था, इसलिए सीनियर्स और मेरे गुरुजी की 10वीं पूरी हुई और उन्होंने भी स्कूल छोड़ दिया। मैं अब किसी से ज्यादा बात भी नहीं करता था। अकेले रहना अच्छा लगने लगा। रुही को देखना भी छोड़ दिया। वह कहीं आसपास होती थी तो एहसास हो जाता था, इसलिए नजरें नीचे करके चलने लग जाता था। अक्सर उससे दूर रहता था। कई बार मेरे दोस्त मुझे कहते थे कि वह तुझे देखती है, पर मैंने कसम ले ली थी कि अब उसे नहीं देखूंगा। दिल बहुत तड़पता था पर उसका वह रोता हुआ चेहरा कभी भुला ही नहीं पाया। उसके हर एक आंसू की कीमत चुकाई मैंने, पर वह इस बात से अनजान थी। मैंने इसे अपनी कहानी का अंत मान लिया और इसे ही अपनी सजा समझा। लेकिन फिर वह दिन आया...


हमारे स्कूल में डांस प्रतियोगिता थी। मेरा कोई इंट्रेस्ट नहीं था हमेशा की तरह स्कूल की एक्टिविटीज़ में। पर उस दिन जो हुआ, वह मैंने कभी नहीं सोचा था। सुबह नीरज मेरे पास आया और उसने मुझसे कहा, "आज तू कहीं भाग जा या तो आज डांस प्रतियोगिता में मत जाना।" पहले मुझे समझ नहीं आया, पर उसने कहा, "आज रुही इतनी प्यारी लग रही है कि तू सोच भी नहीं सकता, अगर देखेगा तो दुबारा प्यार हो जाएगा।" यह सुनकर मैंने कुछ रिएक्ट नहीं किया क्योंकि मैं उसे नहीं देख सकता था। और कई दिनों से उसे नहीं देखा था, इसलिए अंदर से उदास भी था। मैंने बस उससे यही कहा, "क्या फर्क पड़ता है, मैं उसे नहीं देखूंगा।" पर नीरज उस दिन पूरे मूड में था कि वह मुझे आज दिखा कर ही रहेगा। हम सब डांस प्रतियोगिता की ऑडियंस बनकर बैठे हुए थे और वह हमेशा की तरह मेरे लिए बोरिंग ही था। लेकिन तभी रुही का नाम अनाउंस हुआ। मैंने एकदम से मुंह नीचे कर लिया और मैं चुपचाप बैठ गया। नीरज ने मुझसे कहा, "बस एक बार देख ले, वरना पछताएगा।" पर मैं पूरे मन से बैठा था कि मैं नहीं देखूंगा। मेरे मन और दिल में बहुत खतरनाक लड़ाई चल रही थी। दिल तो चाहता था कि देख लूं, पर मन बार-बार वही सब याद दिला रहा था। पर नीरज ने भी कसम खा ली थी, आज मुझे बर्बाद करके ही छोड़ेगा और उसने वो कर दिया जो शायद उसने ना किया होता तो आज मैं यह कहानी नहीं लिख रहा होता। उसने जबरदस्ती मेरा मुंह ऊपर उठा दिया। और वहां मैंने जो देखा, वो मानो उस नजारे ने मेरे दिल और दिमाग की जंग ही खत्म कर दी। चारों ओर सन्नाटा छा गया और मैंने जो देखा, वो बिल्कुल वैसा ही था, वही आंखें, वही बाल, वही मुस्कुराता हुआ चेहरा, वही खूबसूरती जो मेरे दिल में बसी थी। देखकर मानो मैंने 29 नवंबर 2015 वाला दिन एक बार फिर से जी लिया। सब कुछ बिल्कुल वैसा ही था, वही एहसास, वही धड़कन, वही डर। बस इस बार वह पहले से कई गुना ज्यादा था। मैं पिछला सब कुछ भूल गया उसे देखकर। उस दिन का उसका वो डांस मेरी आंखों में जिंदगी भर के लिए बस गया। गाने का नाम, उसने क्या पहना था, उसके स्टेप्स, उसका वो चेहरा मुझे हर एक चीज याद है। पर उस दिन मुझे जिंदगी में दूसरी बार प्यार हुआ और वो भी उसी से। हमारी कहानी ने एक नया मोड़ ले लिया। उस दिन के कारण मेरे अंदर एक ऐसी चाहत पैदा हो गई जिसे खुद रुही भी नहीं खत्म कर सकती थी। अब तक मैं सिर्फ उसकी खुशी के लिए जीया था, पर अब मेरे अंदर उसे पाने की चाहत आ गई थी। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था मेरे साथ क्या हुआ या फिर आगे क्या होगा। मुझे बस उसकी वो दोस्ती वापस चाहिए थी। वह समय ऐसा था कि अब मेरे हाथ में कुछ नहीं था क्योंकि मैं सब कुछ खत्म कर चुका था। न वह मेरी बस में आती थी, न मेरे पास इतनी हिम्मत थी कि मैं सामने से जाकर उससे बात करूं। मैं काफी दिनों तक एक बहुत गहरी सोच में डूबा रहा। मुझमें एक अजीब सा डर था। वो डर न तो इस बात का था कि जो हुआ वो फिर होगा या पहले से बुरा भी हो सकता था। मुझे बस ये डर था कि मैं रुही को दोबारा रुला नहीं सकता। उस समय तक मैं ये समझ चुका था कि अगर भगवान ने मुझे उससे दोबारा मिलाया है तो ये कहानी का अंत तो नहीं है। इसलिए मैंने इंतजार करने का फैसला लिया। मैंने ये सोच लिया कि कभी तो रुही मुझसे बात करेगी। पर उसके लिए मुझे खुद को दोबारा उस काबिल बनाना था। किसी तरह इतना पावरफुल बनना था जो उसने कभी देखा ही ना हो। इस बार मेरा कदम सिर्फ बस तक नहीं था, अब मैं चाहता था स्कूल का बच्चा-बच्चा मेरा नाम जानता हो। इधर से शुरू हुआ मेरा असली सफर। मैं फिलहाल रुही को बस कभी-कभी देखता था चुप कर ताकि उसको न लगे कि मैं उसको तंग कर रहा हूं। असल में मैं कभी जान ही नहीं पाया रुही मेरे बारे में क्या सोचती थी। मैं बस में लास्ट सीट पर बैठने लगा जहां गुरुजी के चेले बैठा करते थे। अब उन सब में सबसे सीनियर मैं ही था और कुछ मेरी क्लास के भी थे। पर मुझे इस बार चेला नहीं बनना था, इस बार मुझे लीडरशिप चाहिए थी। असल में सोचता था कि मैंने इतना कुछ सह लिया है, अब इससे ज्यादा बुरा क्या ही होगा, इसलिए मैं बिना सोचे समझे उस रास्ते पर निकल पड़ा। इससे मुझे सब मिला पर जो चाहिए था वो हमेशा एक रहस्य ही रह गया। बस में कई बार लड़ाई हुई और मैं अब किसी से नहीं डरता था। जो मेरा दोस्त था वो दोस्त था और दुश्मनी मोड़ लेने की किसी में हिम्मत नहीं। क्योंकि गुरुजी का चेला रह चुका था, इसलिए रिस्पेक्ट तो आज भी उतनी ही थी। कुछ समय अपनी बातों से और अपनी हरकतों से मैंने बस में कई चेले बनाए। बस में मुझसे ज्यादा पावरफुल कोई नहीं था। ड्राइवर भैया मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे, उन्हें भी मेरी कहानी पता थी। बस में वो पावर पाना आसान था मेरे लिए पर स्कूल में नहीं। कुछ समय में ही मैं बस में उस लेवल पर पहुंच गया जहां मुझे जाना था। एक परमानेंट सीट, 8-9 चेले, पूरी बस में मेरा खौफ। असल में उस समय कई बच्चों ने मुझसे पंगा लिया पर इतनी पावर थी कि कोई कुछ नहीं कर सकता था। उस वजह से धीरे-धीरे स्कूल में भी मेरी बातें होने लगी। कई बच्चों के पेरेंट्स कम्प्लेन कर देते थे, पर अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था। मैं बस ऑफिस में जाता था, डांट खा लेता था या सस्पेंड होने की धमकी सुनकर आ जाता था। महीने में 2-3 बार मेरा नाम अनाउंस हो जाता था ऑफिस में आने के लिए। कुछ समय बाद सीनियर होने की वजह से जब टीचर्स की मीटिंग होती थी तो हमें क्लास में माइंड कराने के लिए भेज दिया जाता था। और मेरा और नीरज का परमानेंट था कि हम रुही की क्लास में ही जाएंगे। उसकी क्लास में आज तक हमारे अलावा कोई नहीं गया। उसकी क्लास के कई बच्चों को ये पसंद नहीं था क्योंकि वो जानते थे मेरे बारे में। रुही मुझे हमेशा देखती थी पर मैं उसको देखने की हिम्मत ही नहीं कर पाता था। मैं उसकी क्लास में जाकर काफी मजाक करता था और थोड़ा डर भी बैठा चुका था। कुछ समय लगातार उसकी क्लास में जाने के कारण मेरी वहां दोस्ती और दुश्मनी दोनों बढ़ गई। उसकी क्लास में मेरे काफी चेले भी थे। पर उस सब से काम नहीं चल रहा था। फिर एक दिन मुझे मेरे चेलों से पता चला कि उनकी क्लास का एक लड़का रुही के आगे-पीछे घूमता रहता था, लंच में उसके और उसकी दोस्तों के साथ खाना खाने बैठ जाता है जबरदस्ती। और बस वहीं से शुरू हुआ मेरा असली खौफ। उस लड़के को मैंने समझाया कि उससे दूर रहे, पर वो नया था तो उसको ये मजाक लगा। वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। मैंने और मेरे चेलों ने मिलकर एक दिन उसको इतना धुना कि उसके बाद वो रुही को देखना भी भूल गया। उसने डर के मारे आधे सेम में स्कूल छोड़ दिया। बात ऑफिस तक भी गई और हमेशा की तरह मैं वॉर्निंग पर छूट गया। मैं बचपन से उस स्कूल में पढ़ा था, इसलिए मुझे निकाला नहीं जा सकता था। उसकी क्लास में भी ये बात फैल गई कि मैंने ही उसे धमकाया था और शायद रुही तक भी पहुंच गई। रुही को भी इस बात से हैरानी थी क्योंकि मैं उसको देखना छोड़ चुका था। इसी तरह मेरी कई लड़ाइयां हुईं उसके पीछे। मैंने हर उस लड़के से लड़ाई की जो उसकी तरफ देखता भी था। उसकी क्लास का हर बच्चा जानता था मेरे और उसके बारे में। और यही


 डर पूरे स्कूल में भी फैलने लगा। मेरी जान-पहचान बढ़ती ही रही। पूरे स्कूल में रुही के आसपास कोई लड़का घूमता भी नहीं था। आधे से ज्यादा स्कूल उसको मेरे नाम से जानता था। ये बात टीचर्स तक भी पहुंची, पर मैं रुही से दूर रहता था, इसलिए वो कुछ नहीं कर सकती थीं। बस में आने वाली टीचर्स भी मेरा कुछ नहीं कर सकती थीं। सब कुछ किया मैंने, पर रुही से बात नहीं कर पाया। करना बहुत आसान था, पर मुझमें कभी हिम्मत ही नहीं आई। मैं हर चीज झेल रहा था, जो काम कभी सोचा भी नहीं था, सब किया मैंने, इतनी पावर आने के बाद भी मैं उसकी आंखों में भी नहीं देख पाता था क्योंकि मुझे हमेशा ऐसा ही लगता था कि वो मुझसे नफरत करती है। पर मैं गलत था। कहानी बहुत जल्दी बदली और एक बार हम फिर एक हुए और पहले से कई गुना बेहतर हुए।