MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई

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मुंबई की वो सुबह बाकी दिनों से कुछ अलग थी। समंदर की लहरें वैसे ही किनारों से टकरा रही थीं, पर हवा में एक अजीब सी बेचैनी थी — जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो। आरव, एक मामूली सा लड़का, अपनी ज़िन्दगी की जद्दोजहद में लगा था। कॉलेज खत्म हुए दो साल हो चुके थे, और अब वो एक स्ट्रगलिंग राइटर के रूप में खुद को मनवाने की कोशिश कर रहा था। दिन में छोटे-मोटे एड शूट्स में असिस्ट करता और रात में अपने किराए के कमरे की छत पर बैठकर कहानियाँ लिखता। उसकी दुनिया बड़ी नहीं थी, पर सपने बहुत ऊँचे थे। उसे यकीन था कि एक दिन उसकी लिखी कहानी किसी बड़े परदे पर चमकेगी — और शायद लोग उस दिन कहेंगे, "वाह! ये किसने लिखा है?"

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MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 1

Chapter 1: पहली झलक, पहला तकरार मुंबई की वो सुबह बाकी दिनों से कुछ अलग थी। समंदर की वैसे ही किनारों से टकरा रही थीं, पर हवा में एक अजीब सी बेचैनी थी — जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो। आरव, एक मामूली सा लड़का, अपनी ज़िन्दगी की जद्दोजहद में लगा था। कॉलेज खत्म हुए दो साल हो चुके थे, और अब वो एक स्ट्रगलिंग राइटर के रूप में खुद को मनवाने की कोशिश कर रहा था। दिन में छोटे-मोटे एड शूट्स में असिस्ट करता और रात में अपने किराए के कमरे की छत पर बैठकर कहानियाँ लिखता। ...Read More

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MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 2

Chapter 2: टकराव से तकरार तक मुंबई के बादलों ने उस सुबह भी आसमान को घेर रखा था, मौसम भी किसी उलझन में था। पर आरव के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी — उसकी पिछली मुलाकात अब तक ज़हन में ताज़ा थी। वो जानता था, कुछ तो था उस मुलाकात में जो बाकी सबसे अलग था। वो उसी प्रोडक्शन ऑफिस में एक नई स्क्रिप्ट की पिचिंग के लिए गया था, जहाँ पिछली बार काव्या से तकरार हुई थी। पर आज माहौल थोड़ा अलग था — कमरा वही था, पर उस कमरे में कुछ नया जुड़ गया था। ...Read More

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MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 3

Chapter 3: उलझनों की पहली सीढ़ी मुंबई की गलियाँ और ट्रैफिक जितना बाहर शोर मचाते हैं, उससे कहीं अंदर की ज़िन्दगियाँ चुपचाप उलझी होती हैं। आरव और काव्या के बीच की दोस्ती अब एक अलग मोड़ पर पहुँच चुकी थी — वो एक-दूसरे को महसूस करने लगे थे, समझने लगे थे, पर बयां करने से डरते थे। एक शाम, जब शूट के बाद सब थक कर जा चुके थे, काव्या ने आरव से पूछा, "कभी सोचा है तू क्यों लिखता है?" आरव ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "शब्दों में जो बात कह सकता हूँ, वो ज़ुबान ...Read More