Chapter 6: फासलों में छुपा एहसास
नई ज़िन्दगी जी रही थी — प्रोफेशनल, तेज़ और चकाचौंध से भरी। दिन भर शूट्स, इवेंट्स और मीटिंग्स में बीतता और रात को होटल के रूम में अकेलेपन की चुप्पी छा जाती।
आरव की दी हुई डायरी का वो पन्ना अब उसकी ताक़त बन चुका था। जब भी थक जाती, या खुद से उलझ जाती, तो वो चुपचाप उस लाइन को पढ़ती — “मैं यहीं हूँ, हमेशा के लिए।”
आरव, वहीं मुंबई में, अब और भी गहरे अपने लेखन में उतर गया था। उसने एक नई स्क्रिप्ट पर काम शुरू कर दिया था — जो एक ऐसी लड़की की कहानी थी, जो सबके सामने मुस्कुराती है लेकिन खुद से डरती है। कोई समझ सकता था, ये कहानी किससे प्रेरित थी।
कभी-कभी वो दोनों देर रात एक-दूसरे को टेक्स्ट करते।
“कैसा दिन रहा?” “आज शूट पर कुछ मज़ा नहीं आया।” “तेरी याद आई।”
उनके बीच अब शब्द नहीं, एहसास बात करते थे।
एक दिन काव्या का फोन आया, उसकी आवाज़ थकी हुई थी।
“आरव... आज बहुत अकेलापन महसूस हुआ।”
आरव ने बस इतना कहा, “तू अकेली नहीं है, तू तो मेरी हर लाइन में जिंदा है।”
एक सन्नाटा दोनों तरफ फैल गया, लेकिन उस सन्नाटे में मोहब्बत की धड़कनें थीं।
इस बीच, आरव की स्क्रिप्ट को एक प्रोडक्शन हाउस ने अप्रूव कर लिया। उन्हें कहानी पसंद आई थी और वो जल्द ही उसे वेब सीरीज़ में बदलने की तैयारी में थे। आरव की मेहनत रंग ला रही थी। लेकिन उसकी खुशी अधूरी थी — काव्या को बताए बिना सब अधूरा लगता था।
आरव ने उसे वीडियो कॉल किया।
“एक बात बतानी है।”
“क्या?”
“मेरी कहानी बिक गई है। शूट अगले महीने शुरू होगा।”
काव्या की आँखें भर आईं। “मैं बहुत खुश हूँ तेरे लिए।”
“और मैं तेरे बिना ये सब अधूरा मान रहा हूँ।”
“मत मान। मैं वापस आ रही हूँ। सीरीज़ का पहला शेड्यूल खत्म होने वाला है, और अगला ब्रेक मिलते ही मैं तेरे साथ बैठकर कॉफी पीने वाली हूँ, उसी कैफ़े में।”
आरव की मुस्कान किसी बच्चे जैसी थी — सच्ची, मासूम और बेपनाह।
मुंबई लौटने की तारीख तय हो गई थी। लेकिन उसी बीच एक और मोड़ आया। काव्या का नाम एक कॉन्ट्रोवर्सी में आ गया — फेक न्यूज़ और अफवाहों की वजह से। सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया।
आरव ने उसी शाम उसे कॉल किया, पर वो फोन नहीं उठा रही थी।
फिर एक दिन उसने आरव को मैसेज किया: “सब खत्म हो गया लगता है। लोगों ने मुझे गिरा दिया।”
आरव ने जवाब दिया: “जो रौशनी खुद से पैदा होती है, उसे कोई अफवाह बुझा नहीं सकती। तू खुद को मत हारने दे।”
लेकिन इस बार बात सिर्फ इमोशन्स की नहीं थी — नाम, इज्ज़त, करियर सब दांव पर था।
कुछ दिन बाद एक इंटरव्यू में काव्या ने पूरे आत्मविश्वास से सब अफवाहों का जवाब दिया, और साथ ही ये भी कहा:
“मैंने जो सीखा है, वो ये कि सच्चाई देर से जीतती है, लेकिन ज़रूर जीतती है। और मेरी सच्चाई सिर्फ मेरी नहीं, किसी और की लिखी लाइन में भी है — ‘मैं यहीं हूँ, हमेशा के लिए।’”
ये लाइन सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। लोगों ने सच्चाई को पहचाना, और काव्या का नाम फिर से ऊपर आने लगा।
आरव ने उस इंटरव्यू को देखकर बस एक बात सोची:
“शायद फासले वाकई इम्तिहान लेते हैं, लेकिन अगर दिल में सच्चा प्यार हो — तो हर फासला, हर तूफ़ान, एक नई मज़बूती बन जाता है।”
अब जब वो दोनों फिर मिलने वाले थे, तब कहानी का एक नया चैप्टर शुरू होने को था।