Chapter 1: पहली झलक, पहला तकरार
मुंबई की वो सुबह बाकी दिनों से कुछ अलग थी। समंदर की लहरें वैसे ही किनारों से टकरा रही थीं, पर हवा में एक अजीब सी बेचैनी थी — जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो।
आरव, एक मामूली सा लड़का, अपनी ज़िन्दगी की जद्दोजहद में लगा था। कॉलेज खत्म हुए दो साल हो चुके थे, और अब वो एक स्ट्रगलिंग राइटर के रूप में खुद को मनवाने की कोशिश कर रहा था। दिन में छोटे-मोटे एड शूट्स में असिस्ट करता और रात में अपने किराए के कमरे की छत पर बैठकर कहानियाँ लिखता।
उसकी दुनिया बड़ी नहीं थी, पर सपने बहुत ऊँचे थे। उसे यकीन था कि एक दिन उसकी लिखी कहानी किसी बड़े परदे पर चमकेगी — और शायद लोग उस दिन कहेंगे, "वाह! ये किसने लिखा है?"
वहीं दूसरी तरफ थी काव्या — अमीर बाप की इकलौती बेटी, शहर की फेमस यूट्यूबर और सोशल मीडिया स्टार। एक्टिंग उसका पैशन था, लेकिन लाइफस्टाइल उसकी असली पहचान। शूट्स, स्पा, पार्टीज़ और फॉलोअर्स — उसका हर दिन ग्लैमर से भरा था। वो लोगों की भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करती थी, पर उसने कभी किसी को ये बात महसूस नहीं होने दी।
इन दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी। लेकिन तक़दीर को शायद यही मज़ा आता है — दो उलट ध्रुवों को आमने-सामने लाकर खड़ा करना।
ये मुलाकात हुई एक ऐड शूट के सेट पर। आरव वहाँ असिस्टेंट के तौर पर मौजूद था और काव्या बतौर लीड मॉडल।
"स्क्रिप्ट में कोई जान ही नहीं है," काव्या ने मेकअप के बीच में ही डायरेक्टर पर तंज कसा।
"स्क्रिप्ट मैंने लिखी है," पास खड़े आरव ने धीमे लेकिन ठोस आवाज़ में कहा।
काव्या ने उसकी तरफ देखा, "ओह, स्ट्रगलिंग शेक्सपियर?"
आरव मुस्कुराया, "नहीं, बस एक ऐसा बंदा जो दिल से लिखता है। शायद वो चीज़ आपकी स्क्रिप्ट में फिट नहीं बैठ रही।"
वातावरण अचानक गर्म हो गया। सबने सोचा आज तो सेट पर बवाल होगा। पर डायरेक्टर ने बीच-बचाव करते हुए कहा, "ओके ओके, आरव, स्क्रिप्ट में थोड़ा इमोशन डाल दे, और काव्या... ज़रा कूल हो जा।"
काव्या ने चश्मा उतारते हुए कहा, "इमोशन तो स्क्रिप्ट में बाद में डालना, पहले अपनी आँखों में डालना सीखो।"
उस दिन शूट किसी तरह निपटा, लेकिन दोनों के बीच की तकरार सबको याद रह गई।
रात में छत पर बैठे आरव ने अपनी डायरी में लिखा: "आज पहली बार किसी ने मेरी कलम को चुनौती दी। अच्छा लगा। शायद वो लड़की मेरी कहानी की नायिका बनने के लिए आई है — तकरार से शुरू होने वाला इश्क़ ही तो असली होता है।"
काव्या ने भी अपने व्लॉग में उस दिन का जिक्र किया — बिना नाम लिए: "कुछ लोग होते हैं जो आपको गुस्सा दिला देते हैं, लेकिन उसी गुस्से में छुपा होता है एक कनेक्शन। Don’t know why, but आज किसी की बात दिल को छू गई।"
अगले कुछ दिनों में, उसी प्रोडक्शन हाउस के एक नए प्रोजेक्ट में फिर से उनकी मुलाकात हुई। इस बार थोड़ा कम तकरार और थोड़ी ज़्यादा बातचीत हुई।
काव्या ने पूछा, "तू इतनी सी उम्र में इतना सीरियस क्यों है?"
आरव बोला, "क्योंकि मैं हर लम्हा जीता हूँ, मज़ाक नहीं करता सपनों के साथ।"
"ओह! फिलॉसफर भी है," उसने चुटकी ली।
"नहीं," आरव मुस्कुराया, "बस सच्चा हूँ।"
धीरे-धीरे शूट खत्म होते गए, लेकिन दोनों की बातचीत चलती रही। कभी सेट की कैंटीन में, कभी वैनिटी वैन के बाहर। उनके बीच जो पहले सिर्फ टकराव था, वो अब तकरार में बदल गया था — और तकरार से तालमेल की ओर पहला कदम।
एक दिन बारिश हो रही थी। शूट पैकअप हो गया था और सब निकल चुके थे। काव्या की गाड़ी लेट थी, और वो छतरी के नीचे मोबाइल देख रही थी।
तभी आरव ने कहा, "चलो छोड़ देता हूँ, बाइक है।"
"और हेलमेट? सेफ्टी फर्स्ट," उसने पूछा।
आरव ने मुस्कुरा कर अपना बैग खोला और उसमें से दो हेलमेट निकाले।
"वाओ, स्ट्रगलर होते हुए भी इतने प्रिपेयर्ड?"
"नहीं, बस यूँ समझो कि ज़िन्दगी कभी भी बारिश कर सकती है — मैं भीगना नहीं चाहता, और जिसे साथ लेकर चलूँ, उसे भी नहीं।"
वो पहली बार था जब काव्या चुप हो गई थी। कुछ था आरव की बातों में, जो उसके दिल को छू गया था। बाइक पर बैठते वक्त उसने हल्के से कहा, "आज पहली बार किसी ने बिना दिखावा किए मेरी फिक्र की है।"
रास्ते भर बारिश पड़ती रही और दोनों चुपचाप शहर की गलियों से गुज़रते रहे।
शायद वो एक बाइक राइड नहीं थी — वो उनकी कहानी की पहली लाइन थी।
और उस रात, आरव की डायरी में लिखा गया: "उसके बालों से टपकती बारिश की बूँदें, मेरे हाथों पर गिरती रहीं। शायद ये मौसम सिर्फ आसमान में नहीं, मेरे दिल में भी कुछ बरसाने आया है।"
शुरुआत हो चुकी थी। एक राइटर और एक स्टार के बीच एक ऐसी कहानी, जो दोनों ने सोची नहीं थी — लेकिन अब दोनों उसमें किरदार बन चुके थे।