संत श्री साईं बाबा

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पुरातन पद्धति के अनुसार श्री हेमाडपंत श्री साई सच्चरित्र का आरम्भ वन्दना द्वारा करते है। (१) प्रथम श्री गणेश को साष्टांग नमन करते है, जो कार्य को निर्विघ्न समाप्त कर उसको यशस्वी बनाते है और कहते हैं कि श्री साई ही गणपति हैं। (२) फिर भगवती सरस्वती को, जिन्होंने काव्य रचने की प्रेरणा दी और कहते हैं कि श्री साई भगवती से भिन्न नहीं हैं, जो कि स्वयं ही अपना जीवन संगीत बयान कर रहे हैं। (३) फिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश, जो क्रमशः उत्पत्ति, स्थिति और संहारकर्ता है और कहते हैं कि श्री साई और वे अभिन्न हैं। वे स्वयं ही गुरु बनकर भवसागर से पार उतार देंगे।

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संत श्री साईं बाबा - अध्याय 1

पुरातन पद्धति के अनुसार श्री हेमाडपंत श्री साई सच्चरित्र का आरम्भ वन्दना द्वारा करते है।(१) प्रथम श्री गणेश को नमन करते है, जो कार्य को निर्विघ्न समाप्त कर उसको यशस्वी बनाते है और कहते हैं कि श्री साई ही गणपति हैं।(२) फिर भगवती सरस्वती को, जिन्होंने काव्य रचने की प्रेरणा दी और कहते हैं कि श्री साई भगवती से भिन्न नहीं हैं, जो कि स्वयं ही अपना जीवन संगीत बयान कर रहे हैं।(३) फिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश, जो क्रमशः उत्पत्ति, स्थिति और संहारकर्ता है और कहते हैं कि श्री साई और वे अभिन्न हैं। वे स्वयं ही गुरु ...Read More

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संत श्री साईं बाबा - अध्याय 2

गत अध्याय में ग्रन्थकार ने अपने मौलिक ग्रन्थ श्री साई सच्चरित्र (मराठी भाषा) में उन कारणों पर प्रकाश डाला जिनके द्वारा उन्हें ग्रंथ रचना के कार्य को आरंभ करने की प्रेरणा मिली। अब वे ग्रन्थ पठन के योग्य अधिकारियों तथा अन्य विषयों का इस अध्याय में विवेचन करते है। ग्रंथ लेखन का हेतु किस प्रकार विषूचिका (हैजा) के रोग के प्रकोप को आटा पिसवाकर तथा उसको ग्राम के बाहर फेंकवा कर रोका तथा उसका उन्मूलन किया, बाबा की इस लिला का प्रथम अध्याय में वर्णन किया जा चुका है। मैंने और भी लीलाएँ सुनीं, जिसे मेरे हृदय को अति ...Read More