काश तुम मेरे होते

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प्यार!! देखा जाए तो यह सिर्फ चार अक्षरों का शब्द है, पर आज तक कोई इसका असली मतलब नहीं समझ पाया। हर किसी के लिए इसका मतलब अलग होता है। किसी के लिए रिलेशनशिप प्यार है, किसी के लिए किसी को चाहना प्यार है, किसी के लिए किसी को पाना प्यार है तो किसी के लिए उसका होना प्यार है। असल में प्यार का मतलब कभी समझाया ही नहीं जा सकता क्योंकि न तो यह बोलने में आता है न लिखने में आता है और न ही सुनने में। आज मैं जब यह कहानी लिख रहा हूं तो मेरी

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 1

(Part - 1)प्यार!!देखा जाए तो यह सिर्फ चार अक्षरों का शब्द है, पर आज तक कोई इसका असली मतलब समझ पाया। हर किसी के लिए इसका मतलब अलग होता है। किसी के लिए रिलेशनशिप प्यार है, किसी के लिए किसी को चाहना प्यार है, किसी के लिए किसी को पाना प्यार है तो किसी के लिए उसका होना प्यार है। असल में प्यार का मतलब कभी समझाया ही नहीं जा सकता क्योंकि न तो यह बोलने में आता है न लिखने में आता है और न ही सुनने में। आज मैं जब यह कहानी लिख रहा हूं तो मेरी ...Read More

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 2

Part - 2"उसके बारे में सब जानकर उम्मीद छोड़ दी। मैं उसे देखकर खुश रहता था। कहाँ उसे हर जानता था, वह हर टीचर की फेवरेट और यहाँ मैं जिसे अपनी क्लास में भी सब नहीं जानते, अकेले रहता था, कोई टीचर कभी तारीफ नहीं करती थी। मैं किस उम्मीद से सोचता कि मैं कभी उससे बात कर सकता था। समय बीता और मेरी जिंदगी में एक उम्मीद आई जब मैं 6th क्लास में हुआ, मेरी क्लास में एक नया बच्चा आया, मेरा दूसरा बेस्ट फ्रेंड नीरज। वह बहुत ही अलग था सबसे, वह भी मेरी तरह किसी काम ...Read More

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 3

Part - 3हर बार मैंने उसे देखा और हर बार मेरा प्यार उसके लिए बढ़ता ही गया। उसे देखना लिए दिन का सुकून था। हमेशा सुबह उसकी बस के आने का इंतजार करता था। हर रोज जब वह बस से उतरती तो मानो उसे देखकर ही मेरा दिन बन जाता था। उसके बाद चाहे जितना भी बेकार दिन क्यों न हो, उसकी वह मुस्कान देखकर ही मैं खुश रहता था। फिर मैंने यह तय कर लिया कि स्कूल में ऐसी प्रतिष्ठा चाहिए जिससे कि उसको मुझसे बात करने का मन हो। अब मेरे पास वही 2 विकल्प थे। दूसरा ...Read More

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 4

Part - 4 सब कुछ अच्छा चल रहा था, अब मैं कह सकता था कि वो मेरी अच्छी दोस्त चुकी थी। और मुझे उससे ज्यादा कुछ चाहिए भी नहीं था। पर एक दिन मुझे उसकी क्लास के एक लड़के के बारे में पता चला जिसका नाम रक्षित था। वो भी रुही को पसंद करता था। इस बारे में जानने के बाद मुझमें एक डर बैठ गया था क्योंकि वो उसकी ही क्लास में था और पूरा दिन उसके साथ रह सकता था। रुही उसे मुझसे ज्यादा जानती थी। इस बात से मैं डरने लगा। मैं चाहता तो उसको धमका ...Read More

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 5

Part - 5मेरे पास अब अपनी गलती मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैंने स्वीकार किया और रुही दूर हो गया। किस्मत इतनी खराब थी कि उसकी बस भी बदल गई, वह दूसरी बस में जाने लगी। रक्षित और मेरे कजिन ने स्कूल छोड़ दिया। हमारा स्कूल 10वीं तक ही था, इसलिए सीनियर्स और मेरे गुरुजी की 10वीं पूरी हुई और उन्होंने भी स्कूल छोड़ दिया। मैं अब किसी से ज्यादा बात भी नहीं करता था। अकेले रहना अच्छा लगने लगा। रुही को देखना भी छोड़ दिया। वह कहीं आसपास होती थी तो एहसास हो जाता था, इसलिए ...Read More

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 6

Part - 6मैं आठवीं कक्षा में था, लेकिन पूरे स्कूल में मुझसे ज्यादा चर्चा किसी की नहीं थी। हर मेरा नाम घोषित होता था, और प्रिंसिपल मैम भी परेशान रहती थीं। कई बार मुझे सुबह प्रार्थना में आगे बुलाकर सुना देती थीं। लेकिन वो सब सामान्य था। मैं बस हर वो संभव काम करता था जिससे मैं रुही के आसपास रह सकूं। बात तो नहीं कर पाता था, लेकिन उसे जी भरके देखता रहता था। वो कई बार मुझे देखती और मेरी नजरें अपने आप नीचे हो जाती थीं। मैं उसकी आंखों में भी नहीं देख पाता था। कई ...Read More

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काश तुम मेरे होते ( a true story) भाग - 7

Part - 7किस्मत ने हमें एक बार फिर मिला दिया था। यह हमारी कहानी की एक नई शुरुआत थी। पहली बार था जब मुझे ऐसा लगने लगा था कि अब वो भी मुझे पसंद करती है। पूरा दिन बस उसकी क्लास के आस-पास घूमता रहता था और वो भी मुझे ढूंढती रहती थी। हम खूब हँसते थे साथ में। अब तो पूरा स्कूल जानता था हमारे बारे में। बस यह अच्छी बात थी कि यह बात उस वक्त तक प्रिंसिपल तक नहीं गई थी वरना हमारा मिलना बहुत मुश्किल होता। मैं हमेशा बस यही सोचता था कि आखिर प्यार ...Read More