..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़)

(6)
  • 6.1k
  • 0
  • 2.6k

...."ॐ वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ"... ..."निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा"....ये मेरी पहली कहानी का पहला भाग है......इसे जी भरकर प्यार दीजिएगा......उत्तर प्रदेश!!...एक बड़े से घर में आग लगी हुई थी....आग बहुत विकराल रूप ले चुकी थी....शांत होने का नाम नहीं ले रही थी..... तभी वहां कुछ गाड़ियां आकर रुकी.....जिसमें से एक औरत और सास और बच्चे बाहर आए.....घर में आग लगी देख स्तब्ध होकर खड़े हो गए....जैसे बेसहारा हो चुके हो.....बच्चे आग लगी देखकर रोने लगे.....कुछ देर बाद वहां फायर ब्रिगेड आकर रुके और घर में लगी आग बुझाने लगे....फिर अंदर से चार बॉडीज निकाली गई.....जो पूरी तरह जल चुका

1

..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 1

...."ॐ वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ"......"निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा"....ये मेरी पहली कहानी का पहला भाग है......इसे जी भरकर दीजिएगा......उत्तर प्रदेश!!...एक बड़े से घर में आग लगी हुई थी....आग बहुत विकराल रूप ले चुकी थी....शांत होने का नाम नहीं ले रही थी..... तभी वहां कुछ गाड़ियां आकर रुकी.....जिसमें से एक औरत और सास और बच्चे बाहर आए.....घर में आग लगी देख स्तब्ध होकर खड़े हो गए....जैसे बेसहारा हो चुके हो.....बच्चे आग लगी देखकर रोने लगे.....कुछ देर बाद वहां फायर ब्रिगेड आकर रुके और घर में लगी आग बुझाने लगे....फिर अंदर से चार बॉडीज निकाली गई.....जो पूरी तरह जल चुका ...Read More

2

..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 2

...!!जय महाकाल!!...अब आगे...!!द्रक्षता अपने काम में बिजी थी....तभी मैनेजर आकर उसे रूम नंबर 1269 में सर्विस देने को बोलते ऑर्डर लेकर वहां जाती है.....वो एरिया वि आई पाई लोगों के लिए था.....वो उस रूम का दरवाजा खटखटाती है.....कुछ देर बाद रूम का दरवाजा खोला जाता है.....सामने खरा सख्श राघव था.....वो उसे अंदर आने को बोलता है.....द्रक्षता अंदर जाकर देखती है.....तो एक सोफे पर सात्विक और दीपक बैठे थे.....ओर उसके ऑपोजिट सोफे पर एक मिडिल एज पर्सन और एक जावन आदमी था.....सात्विक को देख उसकी धड़कने फिर असामान्य हो जाती हैं.....सात्विक का ध्यान उस पर नहीं था.....क्योंकि वो अपने सामने ...Read More

3

..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 3

...!!जय महाकाल!!...अब आगे...!!सात्विक उनके जाने के बाद.....रूम का डोर लॉक कर.....बेड पर मुंह के बल लेटे हुए.....आंखों में बेहद भाव लिए खुद से कहते है:तुम्हे तो अब मेरा होना है.....मेरे पास आना है.....अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है.....जी कर रहा है.....अभी तुम्हारे पास आ कर तुम्हे अपने सीने से लगा लू.....थोड़ा इंतजार करो.....जल्द तुम्हे खुद से बांधने आऊंगा.....!!इतना कह वो अपनी आँखें बंद कर लेते है.....और नींद उन्हें अपनी आगोश में ले लेती है.....अगली सुबह...!!द्रक्षता के घर...!!द्रक्षता रोज की तरह उठ कर पूजा कर.....नाश्ता बना.....आज वोह कॉलेज जाने वाली थी.....इस बात से पूरी तरह अंजान की.....उसकी जिंदगी में ...Read More