...!!जय महाकाल!!...
अब आगे...!!
तापस और उसके साथी.....यह देख काफी गुस्से में आ गए.....वोह सभी अब खुद उससे करने चला आए.....संभव और प्रत्यूष ने उन्हें भी मजा चखा दिया.....
वोह सब अब नीचे गिरे हुए कराह रहे थे.....
संभव उस सब धमकी देते हुए:आज जिंदा छोड़ दिया.....क्योंकि भाई ने ज्यादा कुछ तमाशा करने नहीं कहा था.....!!
प्रत्यूष अब तक दृशा के हाथ पैर खोल चुका था.....वोह दोनों उसे लेकर चला गए.....
मान्यता दृशा को इतना डरा हुआ देख.....उसके पास आकर उसे पूछती है.....की उसे क्या हुआ.....
दृशा उसे गले लगा कर रोने लगती है.....मान्यता को कुछ सही नहीं लगा.....
वोह संभव से पूछी:बेटा इसे क्या हुआ है.....कुछ बोल क्यों नहीं रही.....!!
संभव उनके पास आकर:आंटी कुछ लोगों ने दृशा को किडनैप कर लिया था.....इसलिए डरी हुई है.....!!
दृशा मान्यता से:मां.....वो लोग बहुत बुरे थे.....उन्होंने मुझे बहुत गंदे तरीके से छुआ.....बहुत डर लग रहा है.....!!
मान्यता उसे चुप करते हुए:कुछ नहीं हुआ.....मेरी दृशा को.....कुछ होगा भी नहीं.....चुप हो जा.....!!
सभी मेहमान वहां नहीं थे.....क्योंकि शादी होने के बाद सब खाने जा चुके थे.....दृशा बहुत ज्यादा डर चुकी थी.....वोह बहुत पैनिक कर रही थी.....सभी उसे चुप करा रहे थे.....
द्रक्षता उसके पास आकर:दृशु.....देखो तुम ठीक हो.....(फिर मान्यता से)मां इसे घर ले जाइए.....यहां सब कुछ हो तो चुका है.....वैसे भी हम लोग जाने वाले है.....!!
दृशा उसे गले लगा कर:दी.....आप मेरे साथ रहो.....मुझे नहीं रहना है अकेले.....!!
मान्यता उसे समझाते हुए:बेटा द्रक्षता की शादी हो गई ना.....वो कैसे रहेगी हमारे साथ.....उसकी विदाई करनी होगी ना.....!!
दृशा ये सुन और रोने लगती है.....
सब द्रक्षता की विदाई करते है.....जिसमें द्रक्षता के फैमिली के साथ राजपूत परिवार के भी आंसू आ गए थे.....उन सब को भी काफी दुख हुआ था.....
आखिर में उसकी विदाई हुई.....सात्विक और द्रक्षता एक साथ कार में बैठे थे.....वोह रोते रोते सो गई थी.....उसका सर विंडो से लगा हुआ था.....
सात्विक उसे बिना पलक झपकाए देख रहा था.....कुछ देर बाद गाड़ी रुकी.....तब उसे ध्यान आया कि वह क्या कर रहा था.....सात्विक गाड़ी से निकल कर उसके साइड आकर.....उसके साइड का गेट खोल दिया.....
द्रक्षता अभी भी गहरी नींद में सोई हुई थी.....सात्विक धीरे से उसके सर पर हाथ रखा ही था.....की द्रक्षता की नींद खुल गई.....सात्विक को इतने पास देख वो घबरा गई.....जल्दी से उठ कर बाहर आ गई.....
उसे इतनी हड़बड़ी में देख सात्विक हस दिया.....लेकिन उसकी हसी उस तक ही सीमित थी.....
तभी वहां संभव और प्रत्यूष आ गए.....
उन्हें देख संभव बोला:ऐसा लग रहा है.....आप दोनों आज यही रुकने के फिराक में है.....तोह मैं मां को जाकर बता देता हु.....!!
द्रक्षता घबरा कर उसे रोकते हुए बोली:अरे नहीं.....भैया.....ऐसा मत करिए.....!!
संभव उसे देख:भाभी.....आप मुझे भैया क्यों बोल रही है.....मैं आपका जो लगूंगा.....वही बुलाया कीजिए.....और जल्दी चलिए.....सब आप दोनों का ही इंतजार कर रहे है.....!!
द्रक्षता असमंजस से:लेकिन आप तो मुझसे उम्र में काफी बड़े है.....मैं कैसे आपको कुछ भी कह कर बुला सकती हु.....!!
संभव:अरे भाभी.....अच्छा छोड़िए इस बात को.....चलिए अंदर.....!!
संभव और प्रत्यूष.....सात्विक द्रक्षता को लेकर हवेली के मेन डोर के पास.....आ जाते है.....वहां पहले से ही पूरा परिवार उन दोनों के इंतजार में खड़ा था.....
सुरुचि दोनों को गेट पर रोक कर.....उनकी आरती उतारती है.....फिर द्रक्षता को उसके सामने रखे.....कलश को अपने दाहिने पैर से गिराने को बोली.....
सुरुचि ने जैसे जैसे कहा.....द्रक्षता ने पूरा वैसे ही किया....सुरुचि ने उसे सामने रखे आलते से भरी थाली में पैर रख कर.....फर्श पर अपने पैरों के छाप छोड़ते हुए अंदर आने को कहा.....द्रक्षता ने भी वैसे ही किया.....
द्रक्षता के ऊपर लंबा सा घुंघट था.....जिससे उसे चलने में काफी परेशानी हुई.....लेकिन उसने कर लिया.....
उसके अंदर आने पर सुरुचि और बाकी महिलाएं.....उसे और सात्विक को लेकर हवेली में बने.....एक बड़े और विशालकाय मंदिर में पूजा के लिए ले गए.....
उसके बाद.....सुरुचि ने एक दीवार पर उसके हाथों के हल्दी से निशान लगवाए.....ऐसे कुछ रस्मों के बाद द्रक्षता को सात्विक के रूम में ले जाया गया.....
आर्या और द्रक्षता साथ में बैठी बाते कर रही थी.....सात्विक वहां पहुंचा.....उसे देख आर्या जल्दी से.....रूम के दरवाजे के पास आकर.....उसका रास्ता रोक दी.....
सात्विक ने उसे बेहद असमंजस से देखा.....
आर्या ने उसके सामने हाथ आगे कर:चलिए जल्दी से मुझे कुछ बहुत एक्सपेंसिव सा दीजिए.....जिससे मैं आपको भाभी के पास जाने दूंगी.....अगर अभी आपने थोड़ी सी भी कंजूसी की.....तोह नहीं हटने वाली यहां से.....!!
सात्विक अब तक वहां आ चुकी सुरुचि को देखा.....सुरुचि ने उसे आर्या जो मांग रही थी.....उसे दे देने कहा.....
सात्विक ने अपने जेब से एक चाबी.....निकाल कर आर्या के तरफ उछाल दिया.....जिसे पकड़ते हुए.....आर्या बहुत खुश हो गई.....
उसने सात्विक से बोला:भैया.....कौन से गाड़ी की है.....मर्सिडीज की लेटेस्ट एडिशन होनी चाहिए.....!!
सात्विक ने उसे देख:उसी की है.....जानता हु.....वही चाहिए तुम्हे इतने दिनों से उस पर नजर गड़ा कर बैठी हो.....!!
आर्या मुंह बना कर:मैने नजर कब गड़ाया.....बड़ी मां देख रही है ना.....भैया कैसे बोल रहे है मुझे.....!!
सुरुचि सात्विक को:सात्विक.....!!
सात्विक सर हिला रूम में चला गया.....द्रक्षता बिस्तर पर बैठी हुई थी.....सात्विक उसे एक नजर देख.....अपने अलमीरा से अपने कपड़े लेकर वाशरूम में चला गया.....
द्रक्षता बहुत नर्वस फील कर रही थी.....उसके कपड़े और गहने सुरुचि ने चेंज करवा दिए थे.....क्योंकि उस लहंगे में वो काफी अनकंफर्टेबल थे.....उसने एक रेड कलर की सिल्क की सारी पहनी हुई थी.....जो उस पर बहुत खूबसूरत लग रही थी.....हल्के गहने और हल्के मेकअप.....में द्रक्षता बहुत सुंदर लग रही थी.....
द्रक्षता को सात्विक का ऐसे वाशरूम में चले जाना.....उसे कुछ पसंद नहीं आया.....वो उसके इस बिहेवियर को समझने की कोशिश कर रही थी.....
कुछ देर सात्विक वाशरूम से बाहर आया.....वो पूरा फ्रेश नजर आ रहा था.....उसके बालों से पानी टपक रहा था.....जो उसे बहुत सेक्सी लुक दे रहा था.....
द्रक्षता उसे कुछ पल तक देखती है.....फिर अपनी नजरे उस पर से हटा लेती है.....सात्विक कुछ सोच कर उसकी तरफ अपने कदम बढ़ा देता है.....
द्रक्षता उसे अपने पास आता देख.....और ज्यादा नर्वस हो जाती है.....उसे खुद समझ नहीं आ रहा था.....की यह हमेशा उसके साथ ही क्यों होता है.....सात्विक उसके करीब नहीं आता.....तो उसे अच्छा नहीं लगता.....और जब आता है.....तो उसकी बॉडी बहुत अजीब बिहेव करने लगती थी.....
सात्विक उसके पास आकर उसे देखने लगा.....द्रक्षता के लिए यह काफी अजीब सा था.....वोह उसकी नजरों की तपिश बरदाश्त नहीं कर पा रही थी.....जिससे द्रक्षता सात्विक को नजर उठा कर देख तक नहीं पाई.....
सात्विक उसके करीब बैठ गया.....उसके दोनों हाथ को अपने हाथों में ले लिया.....द्रक्षता उसके ऐसा करने पर अंदर तक सिहर गई.....
सात्विक उसके हाथों को चूमते हुए बोला:आज मेरी पत्नी बन कर कैसा लग रहा है तुम्हे.....तुमने तो साफ चुनौती दी थी.....मुझे की किसी भी हालत में.....तुम मेरे साथ नहीं आ सकती.....!!
द्रक्षता थोड़ी नर्वस होकर अपने हाथ को पीछे खींचने लगी.....लेकिन सात्विक की पकड़ उसके हाथ पर कस जा रही थी.....द्रक्षता समझ गई वोह उसे नहीं छोड़ने वाला.....तो द्रक्षता ने कोशिश भी छोड़ दी.....
द्रक्षता अपने चेहरे को पीछे छुपाते हुए.....कुछ हकला कर बोली:हम नहीं जानते थे.....की आप ही हमारे होने वाले पति है.....वरना हम आपसे ऐसा कुछ नहीं कहते.....!!
सात्विक उसे अपने करीब खींचता है.....जिससे द्रक्षता उसके सीने से लग जाती है.....वोह कसमसाने लगती है.....लेकिन सात्विक उसे हिलने का भी मौका नहीं दे रहा था.....
सात्विक उसके गालों पर अपने हाथों को फेरते हुए:तोह अब तो तुम्हे पता है.....की मैं तुम्हारा क्या हु.....!!(वोह द्रक्षता से पूछता है)
द्रक्षता हां में सिर हिला कर:आप हमारे पति है.....!!
सात्विक यह सुनते ही बेहद खुश हो जाता है.....लेकिन अपनी खुशी जाहिर नहीं करता.....
सात्विक उसकी आंखों में शिद्दत से निहारते हुए:क्या तुम मुझे अपने आप पर हक देना चाहोगी.....!!
द्रक्षता को इसी का डर था.....जो सात्विक ने उससे कह दिया.....उसके शिद्दति नजरों में अपने नजर मिलाने की हिम्मत.....द्रक्षता से नहीं हो पा रही थी.....
द्रक्षता सात्विक के हाथो पर अपने हाथ रख.....अपनी नजरे झुका लेती है.....उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था.....
सात्विक उसके इस एक्शन से समझ गया था.....वो रेडी है.....लेकिन कह नहीं पा रही.....
द्रक्षता का फेस जो बेहद लाल हो गया था.....शर्म से.....सात्विक उसके चेहरे पर अपने दोनों हाथ रख उसके माथे को चूम लेता है.....
...!!जय महाकाल!!...
क्रमशः..!!