...!!जय महाकाल!!...
अब आगे...!!
दरवाजे पर गुरुजी और उनके कुछ शिष्य खड़े थे.....उन्हें कुछ सर्वेंट्स लेकर आए थे.....जब सुरुचि उन्हें दरवाजे पर देखती हैं.....
तब वो जल्दी से उठ कर उनके पास जाकर उन्हें नमन करती है.....और उनके पैर छूती है.....गुरुजी उनके सर पर हाथ रख उन्हें आशीर्वाद देते हैं.....
तब तक सभी दरवाजे पर पहुंच चुके थे.....और सभी ने अपने हाथ जोड़ लिए उनके सम्मान में.....
सुरुचि ने उन्हें अंदर आने को कहा.....गुरुजी अन्दर आकर सोफे पर बैठ गए.....वो अपनी माला को लिए भगवान का नाम जप रहे थे.....
धर्म जी उनसे बोले:प्रणाम गुरुजी.....!!
गुरुजी सिर हिला दिए.....
तोह धर्म जी आगे बोले:गुरुजी आप तो जानते है.....हम सात्विक का विवाह कर रहे है.....और उसके विवाह में आप उपस्थित नहीं होंगे.....यह हमें अच्छा नहीं लगेगा.....अगर आपकी इच्छा हो तो.....आप इस विवाह का अनुसरण कर दीजिए.....!!
गुरुजी उन्हें देख बोले:यह सब तो होते रहेगा.....हम आपकी कुल वधू को देखना चाहेंगे.....उनके भाग्य रेखा इस परिवार के लिए अनुकूल है.....या प्रतिकूल.....ये मिलाना चाहते हैं हम.....!!
धर्म जी सर हिलाते हुए:जैसा आप कहे.....बेटा द्रक्षता जाओ इनके पास.....!!
द्रक्षता गुरुजी के पास जाकर उन्हें प्रणाम करती है.....और उनके पैर छूने जाती है.....की गुरुजी उन्हें रोक देते है.....तोह सब हैरानी से देखने लगते है.....
गुरुजी द्रक्षता से बोले:कुंवारी कन्याएं पैर नहीं छूती.....देवी मां रूष्ट हो जाएंगी.....हम इतना बड़ा पाप अपने सर नहीं ले सकते.....!!
द्रक्षता उनसे बोली:मुझे माफ कीजिए गुरुजी.....मुझे नहीं पता था.....!!
गुरुजी उसे आशीर्वाद देते हुए:तुम्हे आशीर्वाद चाहिए.....मैं तुम्हे देता हु.....मैं देख पा रहा हु.....तुम्हारे जीवन कई सारे उतार चढ़ाव है.....जिनसे तुम कभी मत घबराना और उनका दृढ़ मन से सामना करना.....!!
द्रक्षता मुस्कुराते हुए अपना सर झुका ते हुए उन्हें नमन करती हैं.....
गुरुजी धर्म जी से बोले:इनका विवाह कर दो.....सात्विक के लिए इनसे अच्छी कोई सुयोग्य कन्या नहीं मिलेगी.....!!
धर्म जी बोले:गुरुजी आप ही बता दीजिए.....कि कौन से तिथि इनके विवाह के लिए सबसे लाभकारी माना जाएगा.....!!
गुरुजी बोले:अगर देवी मां का आशीर्वाद रहा.....तो अभी इनका विवाह करा दो.....असफल नहीं होगा.....फिर भी तुम तिथि जानना चाहते हो.....तो मेरा शिष्य इनकी कुंडली देख कर.....तुम्हे सबसे अच्छी तिथि बता देगा.....!!
गुरुजी अपने एक शिष्य को बुला कर.....धर्म जी को उन दोनो की कुंडली देने को बोलते है.....
धर्म जी सात्विक की कुंडली दे देते है.....और मान्यता से द्रक्षता की कुंडली मांगते है.....मान्यता जल्दी से अपने पर्स से कुंडली निकाल कर दे देती है.....
गुरुजी के शिष्य दोनों की कुंडली बड़े ध्यान से देख रहे थे.....उन्हें इतना ध्यान से देखते हुए.....
धर्म जी ने उनसे पूछा:क्या हुआ गुरु जी कोई दिक्कत की बात है क्या.....!!
शिष्य उन्हें देख बोले:दिक्कत तो है.....की इन दोनों के विवाह के योग्य.....योग केवल 7 दिनों के बाद बन रहे है.....उसके बाद साढ़े तीन साल बाद है.....सात दिनों वाला योग बहुत शुभ भी है.....!!
धर्म जी हैरानी से बोले:लेकिन ये तो बहुत जल्द हो रहा है.....इतनी जल्दी इतने सारे काम कैसे होंगे.....!!
शिष्य बोले:हमारा काम तो आपको शुभ मुहूर्त बताना था.....जो हमने बता दिया.....अब आप सोचे आपको क्या करना है.....!!
सब सोच में पड़ जाते हैं.....7 दिन बहुत कम हो रहे थे.....और साढ़े तीन साल बहुत ज्यादा.....अब इसमें किया तो किया क्या जाना चाहिए.....
सुरुचि मान्यता से पूछी:क्या तुम्हे कोई दिक्कत है.....मान्यता इतनी जल्दी से.....हम मैनेज कर सकते है.....!!
मान्यता द्रक्षता को देखने लगती है.....जो खुद हैरान थी.....गरिमा जी ने मान्यता को हां कहने का इशारा किया.....
मान्यता ने सुरुचि से:काम तो हर शादी में होते है.....सुरुचि.....अब इतनी जल्दी का डेट आया है.....तो इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है.....कर देते है.....इनकी शादी.....!!
सुरुचि हां में सर हिला धर्म जी को उनके सहमति बता देती है.....
तोह धर्म जी गुरुजी से कुछ विशेष बात कर उन्हें विदा कर देते है.....गुरुजी अब सीधा शादी में आने वाले थे.....
सुरुचि मान्यता से:अब हम समधन बनने वाले है.....मान्यता.....मुंह तो मीठा करना बनता है.....!!
सब अपना अपना मुंह मीठा करते है.....
रजत जी बोले:ठीक है.....तोह शादी में बहुत कम ही समय बचा है.....सारी खरीदारी कल से ही शुरू करनी होगी.....भाभी जी(मान्यता).....अब कल शादी के लिए शॉपिंग करने जायेंगे.....तोह आप सभी को आपके घर से ही....हम सब पिकअप कर लेंगे.....!!
मान्यता ने कहा:जी भाई साहब.....इतनी जल्दी इतना सब कैसे होगा.....उस समय तो बोल दिया मैने.....लेकिन अब समझ आ रहा है.....की सच में बहुत कम समय है.....!!
सुरुचि:अरे नहीं मान्यता.....सब अपने समय पर सब कुछ हो जाएगा.....तुम चिंता मत करो.....अब कल शॉपिंग करने चलेंगे.....आखिर मेरी भी तो बहु आने वाली है मेरे पास.....!!
मान्यता सिर हिला दी.....उन्होंने कुछ देर तक बात किया.....उसके बाद मान्यता उनसे अलविदा लेकर.....द्रक्षता और गरिमा जी के साथ चली गई.....
अगले दिन...!!
क्वेस्ट मॉल...!!
द्रक्षता और मान्यता को राजपूत फैमिली ने पिकअप कर लिया था.....अब सब अपने अपने शॉपिंग करने में लगे हुए थे.....सुरुचि मान्यता द्रक्षता एक साथ थी.....वोह तीनों ज्वेलरी शॉप में द्रक्षता के लिए ज्वेलरी चूज कर रही थी.....सुरुचि हर तरह के महंगे महंगे ज्वेलरीज.....द्रक्षता के ऊपर रख रख देख रही थी.....उसके ऊपर सारे तरह के ज्वेलरी अच्छी लग रही थी.....और सुरुचि उन्हें पैक करवाए जा रही थी.....
मान्यता सुरुचि को इतना सब लेने से मना कर रही थी.....लेकिन मजाल कि वह मान जाती.....
सुरुचि उसे बोली:मान्यता तुम भी ना.....अरे मेरी पहली बहु है.....इसे सजाने के लिए कुछ तो करने दो मुझे.....!!
मान्यता उसे बोली:लेकिन इतना सब काफी है.....बहुत हो गया है.....अब कुछ और ले लेते है.....!!
सुरुचि उसे अनदेखा कर देती है.....और अपना काम करने लग जाती है.....जब वो उसके लिए सारे ज्वैलरी ले लेती है.....उसने कुछ द्रक्षता के फैमिली के भी लिए भी लिया था.....मान्यता ने उसे बहुत मना किया.....फिर भी सुरुचि ना मानी.....जब उसका सब के लिए ज्वेलरी लेना हो गया.....
तब वो खुश होकर मान्यता से बोली:चलो.....मान्यता अब ड्रेसेज भी तो लेने है.....अरे जल्दी करो.....बहुत कुछ लेना है अभी तो.....!!
मान्यता उसे देख सोच रही थी....."सुरुचि अभी भी शॉपिंग करने की शौकीन है.....!!"
सात्विक जो ऑफिस से सीधा मॉल आ गया था.....वो भी अपनी मां की जल्दबाजी देख मुस्कुरा दिया.....और द्रक्षता को देख उसकी मुस्कान और चौरी हो गई.....
यहां द्रक्षता का फोन बजा.....उसने देखा कि कार्तिक उसे कॉल कर रहा था.....
द्रक्षता उसका कॉल पिक करते हुए बोली:हां.....कार्तिक बोलो.....!!
कार्तिक:बोलो.....नहीं.....तुम पहले यह बताओ.....की मॉल में क्या कर रही हो.....!!
द्रक्षता उसकी बात सुन.....हैरानी से इधर उधर देखते हुए.....उससे बोली:तुम यही कही हो क्या.....जो तुम्हे पता है कि मैं मॉल में हु.....!!
तभी उसे कुछ दूर पर अपनी बहन के साथ खड़ा कार्तिक दिखाई पड़ा.....उन्हें देख वोह थोड़ी बेचैन सी हो गई.....क्योंकि वो अपनी शादी की बात किसी को नहीं बताना चाहती थी.....
उसने सोचा कि वह इन्हें कुछ बहाना बता देगी.....इसलिए वो सोचने लगी कि इन्हें क्या बताएगी.....फिर उसके दिमाग में आया कि.....वो इनसे कह देगी कि....."अचानक से उसकी मां के साथ यहां आने का प्लान बन गया.....और जल्दी में वो रितिशा या उसे बता नहीं पाई....."
अब तक कार्तिक उसके पास आ गया था.....और उसे सवालिया नजरों से देख रहा था.....
कार्तिक ने उसे फिर पूछा:द्रक्षता बताओ भी.....यहां क्या कर रही हो.....और आई भी तो.....एक बार मुझे भी बुलाती.....!!
द्रक्षता उसे अपना बहाना बताती है:वो कार्तिक.....मां ने अचानक से यहां आने को कह दिया था.....और जल्दबाजी में तुम्हे या रितिशा को भी नहीं बता पाई.....अगर तुम्हे इसका बुरा लगा है.....तोह मुझे माफ कर दो.....!!
कार्तिक उसके बात पर सर हिलाते हुए:आंटी से मिलवाओ तब.....!!
द्रक्षता झट से बोली:वोह मां कुछ पर्सनल शॉपिंग करने गई है.....उन्होंने मुझे अपने पीछे आने से मना किया है.....इसलिए मैं तुम्हे उनसे नहीं मिलवा सकती.....सॉरी.....!!
कार्तिक बोला:जब तक आंटी अपनी शॉपिंग कर रही है.....तब तक तुम हमारे साथ आ जाओ.....!!
द्रक्षता अपने मन ही मन सोच रही थी....."क्यों कार्तिक आज मुझे यहां गया.....अब यह पीछा भी नहीं छोड़ रहा.....अगर किसी ने इसके साथ देख लिया.....तो.....नहीं नहीं मैं इसके साथ नहीं जा सकती.....!!"
वो कुछ बोलती उससे पहले कार्तिक का फोन बजने लगा.....तोह वो उसे कॉल दिखा कर साइड चला गया.....लेकिन उसकी बहन वहीं थी.....
जिसे देख द्रक्षता उसे बोली:अम्म.....मैं ज़रा रेस्ट रूम होकर आई.....!!
यह बोल वो जल्दी से वहां से चली गई.....कार्तिक की बहन उसे देखते ही रह गई.....वो उसे रोकना चाहती थी.....लेकिन द्रक्षता ने उसे खुद को रोकने का मौका ही नहीं दिया.....
वहीं ये सब देख सात्विक की आँखें लाल हो गई थीं.....
...!!जय महाकाल!!...
क्रमशः..!!