Jununiyat si Ishq - 13 in Hindi Love Stories by Mira Sharma books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 13

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 13

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

कुछ ही देर में इंगेजमेंट शुरू होने वाली थी.....सात्विक अभी भी अपने लैपटॉप को पकड़े उसमें कुछ टाइप किए जा रहा था.....जिसे देख सभी ने अपना ना में हिला दिया.....
तभी वहां रजत जी और शरत जी आए.....सात्विक को ना रेडी हुआ देख.....ऊपर से लैपटॉप में घुसे होने से.....दोनों उसे घूरने लगे.....
रजत जी उसके पास आकर उसके हाथ से लैपटॉप ले.....उसने जो कुछ टाइप किया था.....वो सेव कर बंद कर दिए.....
सात्विक ने उनकी तरफ देखा तो वोह उन्हें कुछ कह ना सका.....क्योंकि वो उसे ऑलरेडी घूर रहे थे.....तब जाकर सात्विक को ध्यान आता है.....की आज उसकी इंगेजमेंट है.....और उसे उसके लिए रेडी होना है....
सात्विक उठ कर वाशरूम की तरफ बढ़ा.....
तो रजत जी बोले:सगाई है तुम्हारी.....नहाकर बाहर आना.....!!
सात्विक सर हिला कर अंदर चला गया.....कुछ देर बाद वो बाहर आया.....वोह पुरा फ्रेश नजर आ रहा था.....और अपने कपड़े लेकर चेंजिंग रूम में चला गया.....
वोह जब कपड़े पहन कर बाहर आया.....सबकी नजर उस पर ही टिक गई.....वो उस वजनदार कुर्ते में कतई जहर लग रहा था.....सात्विक ने आज से पहले ऐसे को ड्रेस नहीं पहना था.....इसलिए कुर्ते में उसे काफी अजीब लग रहा था.....
रजत जी उसके पास आकर बोले:अब लग रहा है.....कि तुम मेरे बेटे हो.....!!
सात्विक:इतने सालों से क्या आपको शक था.....की मैं आपका खून नहीं हु.....!!
उसके इस बात पर रजत जी उसे घूरने लगे.....लेकिन मजाल कि सात्विक उनसे थोड़ा भी डर जाए.....
तभी शरत जी बोले:अच्छा ठीक है.....सात्विक को तुम सभी अच्छे से रेडी कर दो.....कुछ देर बाद सगाई शुरू हो जाएगी.....!!
संभव उनसे पूछा:क्या भाभी और उनकी फैमिली आ गई है.....!!
शरत जी:वो सभी कब के आ चुके है.....द्रक्षता बेटा भी तैयार हो चुकी होंगी.....अब तक तो.....तुम जल्दी से इसे रेडी कर दो.....!!
संभव मुंह बनाते हुए:मैं क्या आपको मेकअप आर्टिस्ट नजर आ रहा हु.....जो मुझे रेडी करने बोल रहे है.....!!
रजत जी बोले:कैसे भी रेडी कर दो इसे.....आज थोड़ी ना शादी है.....शादी के दिन इसे चमकाएंगे.....आज के लिए ज्यादा कुछ मत करना.....!!
संभव और प्रत्यूष सिर हिला दिए.....और सात्विक पर अपनी कलाकृति झाड़ने लगे.....सात्विक को अपने चेहरे पर कोई लिपा पुती नहीं चाहिए था.....इसलिए वो उन दोनों को घूरने लगा.....जिससे वो दोनों अपने दांत चमका.....फिर से अपने काम में जुट गए.....
संभव कभी उसके ऊपर पाउडर लगाता.....जो सात्विक के नाक में घुस गई.....जिससे उसे खासी आनी शुरू हो गई.....लेकिन तब भी संभव और प्रत्यूष उसे नहीं छोड़ रहे थे.....ऐसा लग रहा था कि वो दोनों.....आज अपने अंदर के कलाकार को बाहर निकाल कर ही रहेंगे.....
कुछ आधे घंटे बाद जब उन्हें लगा.....की सात्विक अब बहुत अच्छा दिख रहा है.....तो दोनों साइड में खड़े होगए.....ताकि सात्विक उन पर ज्यादा ना चिल्ला सके.....
सात्विक ने अपने आप को मिरर में देखा.....वो बहुत खूबसूरत दिख रहा था.....वोह तो ऑलरेडी इतना खूबसूरत था.....की मर्दों की भी नजरे उस पर से ना हटे.....थोड़ी लिपा पुती के बाद वो स्वर्ग से उतरा अप्सरा लग रहा था.....
उन दोनों के वर्क का इतना ब्रिलियंट रिजल्ट देख.....उसने कुछ न कहा.....
इधर द्रक्षता को भी मेकअप आर्टिस्ट ने.....बहुत अच्छे से रेडी कर दिया था.....द्रक्षता बहुत सुंदर लग रही थी.....सुरुचि मान्यता उसकी नजर उतारते हैं....
पहले सत्यनारायण भगवान की कथा होनी थी.....उसके बाद सगाई.....सभी पूजा और कथा के लिए मेन हॉल में आ चुके थे.....सभी ने पूजा बड़े ध्यान और अच्छे से किया.....
सात्विक बीच बीच में द्रक्षता को देख रहा था.....क्योंकि लग ही इतनी सुंदर रही थी.....की वोह अपनी नजरे उस पर से हटा ही नहीं पा रहा था.....
सभी कथा बड़े ध्यान सुन रहे थे.....कथा खत्म होने के बाद पंडित जी दोनों की रिंग्स.....पूजा के स्थान से लेकर उन्हें दे देते है.....और सात्विक द्रक्षता को एक दूसरे को पहनाने बोलते है.....
सात्विक और द्रक्षता को एक सोफे पर बैठाया जाता है.....द्रक्षता सात्विक को बिल्कुल भी नहीं देख रही थी.....और वही सात्विक उसे घूरे जा रहा था.....
मान्यता उन दोनों के सामने रिंग की थाल रख देती है.....
सुरुचि उन दोनों से बोली:चलो.....द्रक्षता आप सात्विक को अंगूठी पहना दीजिए.....!!
द्रक्षता उसकी अंगूठी उठा कर बड़े ध्यान से उसे देखती है.....फिर सात्विक की तरफ जो बेसब्री से इसका इंतेज़ार कर रहा था.....
सुरुचि सात्विक को देख:सात्विक हाथ आगे करो बेटा.....द्रक्षता वेट कर रही है.....!!
सात्विक उनसे:तो यह बात हमें यह भी बोल सकती थी.....!!
सुरुचि उसे घूरने लगी.....द्रक्षता ने अपना सर झुका लिया.....और सात्विक का हाथ जो उसने अब तक बढ़ा दिया था.....उसने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा.....सात्विक के रोम रोम खिल उठे.....द्रक्षता ने उसके रिंग फिंगर में रिंग पहना दी.....
सभी तालियां बजाने लगे.....अब सात्विक की बारी थी.....द्रक्षता ने पहले ही अपना हाथ बढ़ा दिया.....यह सोच की वोह उसे कुछ सुनाए ना.....
सात्विक रिंग उठा कर.....उसका हाथ थाम.....उसे भी रिंग पहना दिया.....द्रक्षता अपनी निगाहे उठा उसे देखने लगी.....दोनों की नजरें मिल चुकी थी.....उन दोनों के आंखों में कुछ था.....जो समझने की कोशिश दोनों ही कर रहे थे.....लेकिन दोनों में से कोई समझ नहीं पाया.....
सभी दोनों को देख तालियां बजा रहे थे.....तालियों की गड़गड़ाहट से दोनों का ध्यान टूटा.....दोनों ही इधर उधर देखने लगे.....जैसे सभी ने उनकी गलती पकड़ ली हो.....
सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे.....और बाते कर रहे थे.....वैसे तो राजपूत फैमिली का रूल था.....की डाइनिंग टेबल पर बैठने के बाद कोई अपना मुंह नहीं खोलता.....लेकिन आज और आने वाले कुछ दिनों की बात अलग थी.....इन कुछ दिनों के बाद इस महल में उनकी बड़ी बहु आने वाली थी.....
सभी द्रक्षता से कुछ ना कुछ पूछ रहे थे.....जिसका जवाब वो एक मुस्कान के साथ दे रही थी.....
आर्या उससे पूछी:भाभी.....आप क्या करना चाहते हो.....आई मीन.....मेरा मतलब करियर से है.....!!
द्रक्षता बोली:अ.....हमे लेक्चरर या प्रोफेसर बनने का बहुत शौक है.....इसलिए हमने इंग्लिश में ऑनर्स भी कर रहे है.....और इंग्लिश के ही प्रोफेसर बनना चाहते है.....!!
सात्विक उसके हर जवाब को बड़े ध्यान से सुन रहा था.....हालांकि उसके फेशियल फीचर्स देख लग नहीं रहा था.....की वोह किसी के बात पर ध्यान भी दे रहा है.....
आर्या खुश हो:ओह.....आप मुझे भी पढ़ा सकती है.....शादी के बाद.....मेरी ऑफिशियल भाभी बनने के बाद......!!
द्रक्षता मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दी.....
अब से शादी तक द्रक्षता राजपूत महल.....के साइड हाउस में ही रहती.....क्योंकि आने जाने में उनको बहुत प्रॉब्लम हो जानी थी.....
द्रक्षता और उसकी फैमिली को उनका रूम दिखा दिया गया.....और सभी सोने चले गए.....
कल कोई फंक्शन नहीं था.....जो होता.....सीधे परसो होता.....

राइजिंग क्लब...!!

संभव अपने एक फ्रेंड से मिलने आया था.....जो कि लन्दन में रहता था.....कुछ दिनों के लिए इंडिया आया हुआ था.....संभव हमेशा हाइ सिक्योरिटी में रहता था.....बट आज उसने अपने ज्यादा बॉडीगार्ड नहीं रखे थे.....
संभव और उसका दोस्त बार काउंटर के पास लगे चेयर पर बैठे हुए थे.....और बाते कर रहे थे.....
तभी एक लड़की जो ऑलरेडी ड्रंक थी.....संभव के ऊपर गिर गई.....उसके हाथ में एक वाइन की भरी हुई ग्लास थी.....जो संभव के शर्ट पर गिर कर शर्ट को खराब कर दी.....जिसे देख संभव का पारा हाइ हो गया.....वो उस लड़की को खुद से दूर कर.....
संभव:यू.....तुम्हे दिखाई नहीं देता.....या बचपन में सर पे कोई चोट लग गई थी.....!!
लड़की उसके पास आकर बेहद सेडक्टिव वॉयस में.....उसके गालों पर हाथ फेरते हुए:अह.....इतने दिनों के बाद कोई इतना हैंडसम लड़का मुझे मिल है.....हेय.....क्या तुम मेरे ब्वॉयफ्रेंड बनोगे.....!!
संभव इरिटेट होकर उसके हाथ को अपने गालों से हटा:क्या पागलपन है.....जान न पहचान मैं तेरा मेहमान.....तुम जानती कितना हो मुझे.....जो अपना ब्वॉयफ्रेंड तक बनाना चाहती हो.....जिस दिन मुझे जान गई.....उस दिन खुद दूर भागेगी मुझसे.....!!
वो लड़की उसका जवाब देते हुए:जिस दिन जानूंगी.....उस दिन के लिए.....मैं अपने आज को क्यों खराब करूं.....मुझे तुम अच्छे लगे.....सो मैने तुम्हे प्रोपोज किया.....अगर एक्सेप्ट नहीं करना.....तो मत करो.....मैं भी मरी नहीं जा रही तुम्हारे लिए.....!!
तभी उस लड़की की सिस्टर आकर उसे बोली:यार.....रितिशा.....कहा चली जाती है तू.....कब से ढूंढ रही हु तुझे.....चल.....!!
इतना बोल वो उसे हाथ से पकड़.....लेकर चली गई.....
यहां संभव को उसका ऐसे जवाब देना.....अच्छा नहीं लगा.....
उसका दोस्त विकृत बोला:क्यों भाई.....अच्छी लगी क्या.....वैसे भाभी बहुत सुंदर है.....!!
संभव उसे ऐसे देखने लगा.....जैसे उसे कच्चा चबा जाएगा.....
विकृत बात बदलते हुए:मैने सुना.....तेरे भाई की शादी हो रही है.....लेकिन प्राइवेट ऐसा क्यों.....!!
संभव कुछ सोच:हमारे बहुत से दुश्मन है.....जो इस बात का फायदा उठाएंगे.....इसलिए.....!!

...!!जय महाकाल!!...

क्रमशः...!!