Jununiyat si Ishq in Hindi Love Stories by Miss Sundarta books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 7

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 7

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

द्रक्षता उन्हें देख हैरान रह जाती है.....क्योंकि उनके सामने खड़ी महिला जो मंदिर में मिली थी.....वही थी.....सुरुचि उसे देख मुस्कुरा रही थीं.....
वोह द्रक्षता को प्यार से बोली:लगता हैं.....पहचान लिया आपने हमें.....!!
उनकी आवाज सुन द्रक्षता को वास्तविकता का आभास हुआ.....
तभी मान्यता बोली:द्रक्षता.....यह मिसेज सुरुचि सिंह राजपूत है.....!!
मान्यता की बात सुन.....उसने भी अपनी मधुर आवाज में सुरुचि से कहा:जी आंटी.....हमने आपको देखते ही पहचान लिया.....एंड आपके साथ एक दादी भी थी.....वो नहीं दिख रही.....!!
सुरुचि उसे एक ओर इशारा करते हुए:मां वहां है.....अपनी सहेलियों से बात कर रही हैं.....क्या तुम्हे उनसे मिलना है.....!!
द्रक्षता हां में सिर हिला देती है.....तोह सुरुचि मान्यता और द्रक्षता को.....विनीता जी के पास लेकर जाती है.....विनीता जी के साथ कुछ खड़ी हुई थीं.....जिनसे वो हस्ते हुए बाते कर रही थी.....
विनीता जी जब सुरूचि के साथ.....मान्यता और द्रक्षता को देखती हैं.....तो वोह उन सभी औरतों से एक्स्यूस मि कहकर.....उनके पास आ गई.....
द्रक्षता से प्यार से बोली:आपको देख कर हमारा दिल खुशी से झूम उठा है.....(उसके गालों पर हाथ रखकर)कितनी प्यारी और खूबसूरत है.....आप.....!!
द्रक्षता को उन सब का बिहेवियर बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था.....वो उसे इतने प्यार से क्यों बात कर रही है.....
वोह उनके जवाब के बदले में सिर्फ मुस्कुरा दी.....
फिर विनीता जी ने मान्यता को देखते हुए कहा:आप हमसे मिलने आई.....यह जानकर हमें बहुत खुशी हुई.....!!
मान्यता बोली:अरे नहीं.....आंटी जी.....मैं तो बस यहां केक का ऑर्डर देने आई थी.....तो सुरुचि दिख गईं और उन्होंने मुझे द्रक्षता को बुलाने को कहा.....(थोड़ा रुक)आपको जो इससे पूछना है.....आप अभी पूछ लीजिए.....!!
(फिर द्रक्षता से):बेटा जो तू चाहती वही बताना कोई दबाव नहीं है.....तुझ पर.....!!
उन सब की बातों से द्रक्षता इतना तो समझ गई थी.....की यह लोग उससे शादी की बात करने वाले हैं.....तोह उसने फिर ज्यादा ना सोचा.....और अपनी सामने खड़ी महिला के बोलने का इंतेज़ार करने लगी.....
विनीता जी और सुरुचि ने एक दूसरे को देखा.....विनीता जी खुद को बोलने को तैयार करने लगी.....
फिर उन्होंने बोलना शुरू किया:मान्यता ने आपको बता दिया होगा.....कि आपके पापा ने हमसे क्या वादा किया था.....तोह क्या हमें यह बता सकते है.....की आप हमारे पोते से शादी करेंगी.....!!
द्रक्षता उन्हें देखते हुए:हां.....हम तैयार है.....(यह बोलते हुए उसे एक बार फिर सात्विक की याद आ जाती है)हम उनसे बस एक बार मिलना चाहेंगे.....!!
इस बार सुरुचि बोली:हां.....क्यों नहीं सात्विक आ ही रहे होंगे.....आप थोड़े इंतेज़ार कर लीजिए.....उनसे मिल ही लेना.....!!
द्रक्षता ने सिर हिला दिया.....
"ओह.....तोह मेरे होने वाले पति का नाम सात्विक है.....कितना अच्छा नाम है.....उम्म द्रक्षता सात्विक सिंह राजपूत.....वाह कितना मैच कर रहा है.....हम दोनों का नाम साथ में.....बस एक बार देख लू मैं उनको.....!!"
वोह यह सब सोच ही रही थी.....की उसकी मां ने उसे पुकारा.....तोह उसका ध्यान टूटा.....
मान्यता:द्रक्षता.....कहा खो गई बेटा.....चलो इनके पूरे परिवार से मिल लो.....!!
द्रक्षता हां में सिर हिला दी.....और मान्यता सुरुचि विनीता जी के साथ उनके पीछे चली जाती है.....जहां एक ओर दो व्यक्ति जो समान उम्र के लग रहे थे.....और उनके साथ एक 70 वर्षीय आदमी भी था.....जो बड़े रौब से खड़े आदमियों से बात कर रहे थे.....
विनीता जी उन सबको एक्सक्यूस मि कहकर उनका ध्यान अपनी ओर किया.....तोह वह सब वहां से चले गए.....वोह तीनों वहीं खड़े थे.....और विनीता जी को देख रहे थे.....
तोह विनीत जी उन सबको द्रक्षता से मिलवाते हुए:धर्म जी यह द्रक्षता है.....आप तोह इन्हें बेहद अच्छे से पहचानते है.....!!
धर्म सिंह राजपूत.....यह राजपूत परिवार के मुखिया है.....इनकी बात सब को सुनना पड़ता है.....क्योंकि सब उनकी बहुत इज्जत करते है.....इनका बाहरी स्वभाव बहुत कड़क है.....लेकिन भीतरी स्वभाव एकदम नर्म है.....सभी से बहुत प्यार करते है.....
मान्यता और द्रक्षता उन्हें ग्रीट करती है.....
धर्म जी द्रक्षता को देख कहते है:इतने सालों तक कहां थे आप सब.....हमने कितनी कोशिश की आपको ढूंढने की.....!!
मान्यता उनका जवाब देते हुए:अंकल जी आप तो जानते है.....उस समय सब कुछ इतना जल्दी हुआ.....की हमें कुछ सोचने समझने का समय ही नहीं मिला.....इतना सब कुछ होने के बाद.....हमे लगा हमारा सब कुछ खत्म हो गया है.....!!(कहते कहते उसकी आवाज में नमी आ चली थी)
धर्म जी उसे आश्वस्त करते हुए:जो हुआ सो हुआ.....इतना सोचने की जरूरत नहीं अब.....लेकिन आप के ऊपर इतनी बड़ी विपदा आन पड़ी.....आपको एक बार भी हमारा ख्याल नहीं आया.....!!
मान्यता:अंकल जी.....ख्याल तो बहुत बार आया था.....लेकिन आपके पास आने की हिम्मत ही नहीं हुई.....हमारी.....उस समय बहुत बेचैन हो गए थे.....हम अंकल जी.....लेकिन अब सब कुछ सही हो चुका है.....अब किसी चीज की हमें कोई दिक्कत नहीं.....!!
धर्म जी ने अब इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा.....और द्रक्षता से पूछा:आपको याद है हम.....की नहीं.....इतने सालों के बाद.....आप बहुत बड़ी हो चुकी है.....कब का आपको देख था.....और अब देख रहे है.....!!
धर्म जी को देख द्रक्षता बोली:हमने आपको तो सिर्फ आर्टिकल्स और मैगजींस में देखा है.....इसके अलावा हम आपसे पहले कभी मिले है.....यह हमें नहीं याद रहा.....इसके लिए हम माफी चाहेंगे.....!!
धर्म जी प्यार से:अरे नहीं.....बेटा.....हमें भी पता है.....बहुत समय हो गया.....इतने में याद नही रख पाएगा कोई.....!!
विनीता जी उसे अपने बेटो से मिलवाते हुए.....एक 52 वर्षीय पुरुष की ओर इशारा करती है.....जो धर्म जी के साइड में खड़े हुए थे.....
विनीता जी:बेटा यह है.....रजत हमारे बड़े बेटे.....और सात्विक के पिता......तो इस हिसाब से आपके भी पिता हुए.....!!
द्रक्षता उन्हें भी हाथ जोड़ ग्रीट करती है.....तोह रजत जी उसे मुस्कुराते हुए आशीर्वाद देते है.....
फिर विनीता जी धर्म जी के दूसरे साइड खड़े आदमी.....के तरफ इशारा कर बोली:बेटा ये शरत है.....हमारे छोटे बेटे.....और आपके लिए अंकल होंगे.....!!
द्रक्षता उन्हें भी ग्रीट करती है.....वोह भी उसका मुस्कुराते हुए जवाब देते है.....
तभी वहां एक महिला आई.....जो बेहद सुंदर थी.....और उम्र लगभग 46 की थी.....चेहरे पर सौम्यता साफ झलक रही थी.....
वोह सुरुचि से बोली:दीदी.....सात्विक कब तक आयेंगे.....इतनी देर हो गया.....आर्या अब तक रुकी हुई हैं.....केक कटिंग हो जाती.....तो अच्छा होता.....!!
सुरुचि उसके जवाब में:राम्या हमने फोन किया था.....उन्हें.....आ रहे होंगे.....अपनी बहन का दिल कभी नहीं दुखाते.....आ जाएंगे थोड़ी देर में.....आप चिंता ना करे.....!!
विनीता जी राम्या से कहा:देखिए राम्या ये हमारी द्रक्षता है.....!!
राम्या द्रक्षता को देखते हुए:सच में.....कितनी प्यारी बच्ची हैं.....!!
द्रक्षता सबको ग्रीट कर रही थी.....उन्हें भी किया.....
तभी वहां एक शांति का माहौल छा गया.....दरवाजे से किसी के जूतों की आ रही थी.....जो बहुत एलिगेंट.....डॉमिनेटिंग.....और कर्कश लग रहा था.....
द्रक्षता जब उस तरफ देखती हैं..…तोह हैरान हो जाती हैं.....
क्योंकि सामने सात्विक खड़ा था.....जिसकी नजरे द्रक्षता के ऊपर नहीं गई थी.....उसके साथ कुछ और आदमी खड़े थे.....
उन सब को देख सुरुचि द्रक्षता से बोली:आ गए सात्विक.....खत्म हुआ आपका इंतेज़ार.....चलिए उनके पास.....!!
द्रक्षता उनसे ये सब सुन शौक में आ चुकी थी.....की क्या यही सात्विक है.....अगर है.....तो उसकी शामत आ ही गई थी.....सोचो.....
फिर ज्यादा ना सोचते हुए.....उसने यह सोच लिया कि उनके साथ जो आए होंगे वो होगा.....यह नहीं हैं.....
अब तक द्रक्षता सुरुचि और बाकी महिलाओं के साथ उनके पास चली गई थी.....
जब एक लड़की जो यही कोई 20 साल की होगी.....वोह सात्विक के गले लग गई.....तोह सात्विक ने भी उसे गले से लगा लिया.....
यह देख ना जाने क्यों द्रक्षता को जलन सी महसूस होने लगी.....उसने अपनी नजर उन दोनों पर से हटा लिया.....तब उसे सात्विक की आवाज आई.....
जो कह रहा था:क्यों.....आज हमारी बहन तोह काफी खूबसूरत लग रही हैं.....कोई जादू टोना तो नहीं किया ना आपने.....अपने चेहरे पर.....!!
द्रक्षता यह सुन खुद में काफी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी.....की उसने एक भाई बहन को किस नजरिए से देख लिया.....
उन्हें देख सुरुचि ने कहा:आर्या बेटा.....अब तो केक कट कर लो.....बेटा टाइम बहुत हो गया ना.....!!
आर्या ने अपना सर हिला दिया.....और सभी के साथ केक कट करने लगी.....उसके केक कट करते समय सब बर्थडे सॉन्ग गा रहे था.....
आर्या ने अपना केक कट कर सबसे पहले सुरुचि और राम्या को खिलाया.....फिर रजत जी और शरत जी को.....और उसके बाद सात्विक को.....उसके बाद बाकी मेंबर्स को.....
द्रक्षता को अब यह लग रहा था.....की शायद यही सात्विक सिंह राजपूत है.....तभी तो उसकी बहन ने उसे केक खिलाया.....
वोह ये सोच ही रही थी.....की सुरुचि उसका हाथ थाम उसे सात्विक के पास ले जाती है.....
और कहती है:बेटा द्रक्षता.....यह है.....हमारा बेटा सात्विक सिंह राजपूत.....आप मिलना चाहते थे ना इनसे.....लीजिए.....अब यह आपके सामने है.....!!
द्रक्षता अपने डाउट को सच हुआ देख.....परेशान हो चुकी थी.....आखिर किस चेहरे से वोह इनसे बात करती.....

...!!जय महाकाल!!...

क्रमशः..!!