Jununiyat si Ishq - 14 in Hindi Love Stories by Mira Sharma books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 14

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 14

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

द्रक्षता अपने रूम के बाल्कनी में खड़ी.....किसी को कॉल लगा रही थी.....
वो अपनेआप से बड़बड़ाते हुए:यह रितिशा फोन क्यों नहीं उठा रही.....एक और बार ट्राई करती हु.....!!
इस बार कॉल अटेंड हो चुका था.....सामने से किसी की रोने की आवाज आई.....
द्रक्षता घबराते हुए:क्या हुआ.....रितिशा रो क्यों रही हो.....!!
रितिशा सिसकते हुए:क्या बताऊं मैं.....तुम्हे अपने दिल का हाल.....कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे.....!!
द्रक्षता:तुम पहले बताओ तो सही हुआ क्या है.....जो रो रही हो.....!!
रितिशा हिचकियां भरते हुए:आज.....पहली बार इतनी हिम्मत करके.....एक हैंडसम लड़के को प्रोपोज किया मैने.....और उसने क्या किया.....रिजेक्ट कर दिया मुझे.....यहां मेरी फैमिली मेरी शादी के पीछे पड़ी हुई है.....अगर किसी लड़के के साथ मेरा रिलेशन नहीं होगा.....तो वोह सब किसी से भी मेरी शादी कर देंगे.....द्रक्षता क्या करूं मैं.....तू ही बता मुझे.....!!
द्रक्षता बोली:तुम ज्यादा टेंशन मत लो.....सब कुछ ठीक हो जाएगा.....!!
रितिशा मायूस होकर:कब सब कुछ ठीक होगा.....उस दिन का इंतेज़ार मैं भी बहुत दिनों से कर रही हु.....लेकिन कुछ हो हीं नहीं रहा.....अच्छा.....तुम बताओ क्यों याद किया मुझे.....!!
द्रक्षता कुछ सोचते हुए बोली:अ.....वो मेरी शादी हो रही है.....!!
रितिशा हैरानी से:क्या.....बोल रही है.....दिमाग का एंटीना कही से हिल गया तेरा.....जो ऐसी बाते कर रही है.....तेरी मम्मी को देख कर कोई नहीं कह सकता.....कि वो तेरी बिना मर्जी के शादी कराएंगी.....!!
द्रक्षता उसकी गलतफहमी दूर करते हुए:अरे नहीं.....मेरी मर्जी से हो रहा है सब.....!!
रितिशा कन्फ्यूज होकर:तो तू इतनी जल्दी क्यों कर रही है शादी.....!!
द्रक्षता उस सब कुछ बताती है.....जो इन दिनों गुजरा था.....
द्रक्षता:मां ने मुझसे कई बार पूछा था.....लेकिन वो मैं थी.....जिसने इस शादी से इनकार नहीं किया.....पता नहीं क्यों.....मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है.....!!
रितिशा गहरी सांस भर कर:ह्म्म्म.....अगर तू चाहती है कि तू शादी करे.....तेरा दिल चाहता है.....तो बेशक शादी कर सकती है.....!!
द्रक्षता:मैं तुमसे बस फेवर चाहती हु.....रितिशा.....!!
रितिशा:हां.....बोल ना.....तेरे लिए मेरी जान भी हासिल है.....!!
द्रक्षता मुस्कुराते हुए:नहीं जान नहीं चाहिए.....वो तो आपके पति परमेश्वर के लिए है.....हैं न.....!!
रितिशा चिढ़ कर:देख द्रक्षता.....अब तू भी मुझे चिढ़ा रही है.....!!
द्रक्षता बोली:अच्छा ठीक है.....तू मेरी शादी की बात किसी को मत बताना.....प्लीज़.....मैं तुम्हारे सामने हाथ पैर सब जोड़ दूंगी.....!!
रितिशा हैरानी से:क्यों.....क्या कार्तिक को भी नहीं.....!!
द्रक्षता:मैने कहा.....किसी को भी नहीं.....मतलब किसी को नहीं.....!!
रितिशा:ठीक है.....!!
फिर वो दोनों कुछ बाते कर फोन कट कर.....देती है.....द्रक्षता सोने चली जाती है.....

अगली सुबह.....!!

राजपूत मैंशन.....!!

आज कोई फंक्शन नहीं था.....सभी बैठे बाते कर रहे थे.....
बॉयज अपने ऑफिस गए थे.....
टी वी पर रोमांटिक सीरियल चल रहा था.....जिससे विनीता जी और गरिमा जी इसके लुफ्त उठा रहे थे.....बाकी उनकी बहुएं सर नीचे कर बैठी हुई थी.....
उनकी बहुएं मन ही मन सोच रही थी....."मां जी सच में हमें शर्मिंदा करवाना चाहती है.....ये हमारे सामने देखकर.....और ये सीरियल वाले भी क्या क्या बनाते रहते है.....कुछ अच्छा देते तो देख भी सकते थे.....हम.....!!"(लास्ट में उन्होंने सीरियल मेकर्स को कोसते हुए)
ऐसे ही हसी मजाक में उन्होंने अपना दिन बीता दिया.....
आज द्रक्षता कॉलेज आई थी.....रितिशा उसे लाइब्रेरी में ले जाती है.....जबरदस्ती से.....क्लास टाइम होने के कारण ज्यादा कोई भी लाइब्रेरी में नहीं था.....
रितिशा उसे देख उसके गले लगते हुए......सिसकते हुए कहती है:द्रक्षता.....कोई मेरी फीलिंग्स नहीं समझ रहा.....मैं क्या करूं.....यू नो ना.....मुझे पीसीओडी है.....एंड आज मेरा फर्स्ट डे भी है.....मुझे बहुत दर्द हो रहा है.....लेकिन घर में जैसी सिचुएशन है.....मैं वहां भी नहीं रह पा रही.....मां भी मुझे इस बात के लिए नहीं समझती.....शी ओल्सो हर्ट्स मी.....पता नहीं क्यों.....लेकिन मां मुझे बचपन से पसंद नहीं करती....मैं मनहूस हु उनके लिए.....जो कुछ भी बुरा होता है.....मेरे घर में सब का रीजन सिर्फ मैं हु.....अगर पूरी मेरे सामने आ जाए ना लड़ने.....मैं लड़ लूंगी.....बट अपनी खुद की फैमिली से नहीं.....अब वो मेरी शादी एक अननोन पर्सन से करवा रहे है.....जिसे मैं जानती तक नहीं.....वॉट आई डू.....कुछ समझ नहीं आ रहा.....कुछ भी नहीं.....!!
रितिशा को देख ऐसा लग रहा था.....जैसे वोह पूरी टूट चुकी हो.....पीसीओडी पेशेंट होने के कारण.....उसका शरीर हेल्दी टाइप था.....वो ज्यादा मोटी नहीं थी.....लेकिन फिर भी सब उसे ही सुनाते.....वो सुंदर तो बहुत थी.....उसके चेहरे पर हल्के पिंपल्स.....के निशान उसे काफी सूट भी करते थे.....लेकिन फिर भी उसे इन सब चीजों के लिए बहुत क्रिटिसाइज किया जाता.....दूसरों से नहीं बल्कि खुद की फैमिली से.....
उसमें एक दिक्कत ये भी थी.....वोह बहुत मूडी थी.....उसे बहुत मूड स्विंग्स होते.....लेकिन उसे कोई समझने वाला नहीं था.....
रितिशा अपनी सारी प्रॉब्लम्स द्रक्षता से शेयर करती.....और द्रक्षता से ज्यादा बेहतर तरीके से उसे कोई समझता भी नहीं था.....रितिशा सिर्फ उसके सामने ही अपनी फीलिंग्स को शो करती थी.....
उसकी मां चाहती थी.....कि उसकी जल्दी शादी हो जाएगी.....तो बेबीज़ होने में उतने ज्यादा प्रॉब्लम का सामना नहीं करना होगा.....उम्र होने पर  उसे ज्यादा दिक्कत का ही सामना करना होता.....ऐसा उसकी मां सोचती थी.....उसकी खुद की मां.....
अब जब उसकी फैमिली बिना उसकी मर्जी के उसकी शादी कर रही थी.....वो खुद को द्रक्षता से ये बताने से रोक ना पाई.....
द्रक्षता उसे वही पड़े बेंच पर बैठाती है.....फिर वो जितना रोटी है.....उसे रोने देती है.....उसे जब हिचकियां आने लगी.....द्रक्षता ने अपने बैग से बोतल निकाल उसके तरफ बढ़ा दिया.....रितिशा पानी पी ली.....
द्रक्षता उसके ओर देखते हुए.....उसके गालों को सहलाते हुए.....उसे काल्म करने की कोशिश करती है.....
फिर उससे पूछी:तुम अपनी फैमिली से प्यार करती हो.....!!
रितिशा आंसू भरी आंखों से:प्यार करती हु.....तभी तो वोह सब मेरी फीलिंग्स का फायदा उठते है.....मेरी सिस्टर को किसी ने आज तक कुछ नहीं कहा.....बीकॉज उसे किसी टाइप का कोई प्रॉब्लम नहीं है.....मैं जब भी मां को बताती हु.....की मेरे पीरियड्स के कारण मुझे दर्द हो रहा है.....वो भरोसा नहीं करती मुझ पर.....कहती है.....कुछ नहीं हुआ तुम्हे.....दूसरी लड़कियों को देख कर.....तुम भी उनकी तरह ही नाटक करना सिख गई हो.....जब वो यह बोलती है.....मुझे बहुत दर्द होता है.....पेट में भी और हार्ट में तो सबसे ज्यादा.....!!
द्रक्षता उसकी बाते सुन खुद भी बहुत इमोशनल हो चुकी थी.....वोह रितिशा के सिचुएशन पर खुद को इमैजिन तक नहीं कर पा रही थी.....
रितिशा आगे बोली:मैं अब अपनी फैमिली से हार चुकी हु.....अब लगता है.....वो जो कर रहे है.....उन्हें करने दु.....!!
द्रक्षता:रितिशा.....तुम एक खेलने वाली गुड़िया नहीं हो.....जो तुम वो जो करेंगे.....उन्हें करने दोगी.....यू आर स्ट्रांग.....ना.....अपने लिए लड़ो.....गिव अप नहीं कर सकती.....तुम इतनी जल्दी.....तुम जैसी हो.....खुद को ऐसे ही एक्सेप्ट करो.....किसी के कुछ भी बोल देने से.....वो तुम सच में नहीं हो जाती.....समझी ना.....!!
रितिशा अपना सर हिला:मैं जानती हु.....सब कुछ जानती हु.....लेकिन उनके सामने खुद को बहुत कमजोर महसूस करती हु.....मैं.....द्रक्षता तुम बताओ.....ये शादी करना सही होगा क्या मेरे लिए.....बताओ मुझे.....!!
द्रक्षता चुप हो जाती है.....और कुछ सोचने लगती है.....
रितिशा बहुत रेस्टलेस हो चुकी थी.....बीकॉज आज उसका फर्स्ट डे था.....उसके मूड स्विंग्स चरम पर थे.....
द्रक्षता को जवाब ना देता देख.....वो उसे झकझोरती है.....
और कहती है:द्रक्षता प्लीज़ आंसर मी.....आई वांट योर आंसर.....!!
द्रक्षता उसे देख:क्या तुम शादी कर के खुश रह पाओगी.....!!
रितिशा:ट्राई करूंगी.....और अपने से जुड़ने वाले रिश्तों.....को हमेशा पूरे हार्ट के साथ निभाऊंगी.....तुम भी तो कर रही हो ना शादी.....!!
द्रक्षता:हमारे सिचुएशन बहुत डिफरेंट है.....रितिशा.....सुनो.....अगर तुम्हे लगता है.....की तुम कर पाओगी.....सो ऑफकोर्स तुम्हारे अपकमिंग लाइफ के लिए.....तुम्हे बहुत बधाईयां.....लेकिन तुम नहीं कर पाओगी.....सो मत करो शादी.....तुम अपने से आगे चल कर.....जुड़ने वाले रिलेशन्स को खतरे में डाल सकती हो.....!!
रितिशा उसे देख:शादी कर ही लेते है.....वैसे भी एक ना एक दिन तो वैसे भी.....मुझे इसको फेस करना ही होगा.....अभी ही करते है.....!!
द्रक्षता मुस्कुराते हुए.....उसके आंसू पोछ बोली:अब ज्यादा टेंशन मत लेना.....जो होना होगा.....हो जाएगा.....सो क्लास में चल.....या फिर तुझे रेस्ट करना होगा ना.....तू यही रुक मैं कॉलेज के पास के फार्मेसी से हॉट वॉटर बैग लाती हु.....यही बैठी रह.....हां.....मैं अभी आई.....!!
वो जाने ही लगी थी.....रितिशा ने उसका हाथ थाम रोक लिया.....और अपना सर ना में हिला दिया.....
द्रक्षता को महसूस हुआ उसे अभी उसकी बहुत जरूरत है.....वोह वही उसके पास बैठ कर.....उसका माइंड डायवर्ट करने की कोशिश करने लगी.....जिससे रितिशा भी अपना दर्द कुछ कम महसूस कर रही थी.....
ऐसे ही शाम हो गई.....रितिशा खुद से चलने की हालत में भी नहीं थी.....द्रक्षता ने उसे अकेला छोड़ना सही नहीं समझा......द्रक्षता कैब बुक कर उसे उसके घर छोड़ आई.....

...!!जय महाकाल!!...

क्रमशः...!!