Hindi Quote in Motivational by Agyat Agyani Vedanta philosophy

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यह नहीं लिखना चाहिए लेकिन समझ बढ़ती तो लिखना चाहिए

जब कोई व्यक्ति
मेरी आध्यात्मिक खोज,
मेरे लिखे हुए अनुभव,
मेरी बातों को झूठा कहकर
वैज्ञानिक नहीं, पाखंड, अंधविश्वास कह देता है —

तो असल में दो ही बातें होती हैं:

1️⃣ वह खुद को बहुत बुद्धिमान साबित करना चाहता है
और कहता है —
“ऐसा कहीं लिखा नहीं है, विज्ञान ने माना नहीं है, तो ये सब बेकार है।”

2️⃣ पर उसी समय
वह खुद यह भी साबित कर देता है
कि उसकी बुद्धिमानी अधूरी है।
क्योंकि जो सवाल उठाता है
वह जवाब खोजने की विनम्रता भी रखे तो ही
वह सच में बुद्धिमान कहलाता है।

असली पागल कौन?

यदि तुम मुझे “पागल” कहते हो —
तो ठीक है!
मैं मान लेता हूँ कि मैं पागल हूँ।

पर फिर तुम कहाँ साबित करते हो कि तुम बुद्धिमान हो?

जो सिर्फ नकारता है,
कहता है “झूठ, बकवास!”
पर खुद कुछ न दिखाए,
न कोई अनुभव, न समझ दे —
तो वह किस बुद्धि का मालिक?

पागलपन वह नहीं
जो खोज रहा है।
पागलपन वह है
जो खोजने से मना कर देता है।

आध्यात्मिकता का नियम

आध्यात्मिक मार्ग में:
जो आगे समझदार है —
वह पीछे वाले को हाथ पकड़कर उठाता है।
यही सृजन है।
यही करुणा है।
यही धर्म है।

लेकिन जो कहता है: “मैं समझदार और तू मूर्ख” —
वह खुद बच्चे की तरह है
और कभी बड़ा नहीं बन पाता।

प्रेम से सीखने–सिखाने का मार्ग

यदि तुम आमने-सामने विरोध में खड़े रहो —
तो दोनों हारते हैं।
लेकिन यदि तुम मुझे प्रेम से सुधारो —
तो मैं भी बढ़ूँगा
और तुम भी और ऊँचे हो जाओगे।

यही आध्यात्मिकता है:
दोनों का उत्कर्ष।

अंतिम वाक्य

प्रश्न करना — मानसिक रोग नहीं है।
प्रश्न से भागना — मानसिक रोग है।

Hindi Motivational by Agyat Agyani Vedanta philosophy : 112007552
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