मैं चाहूं तुम्हे ज़ाना इतना
मैं चाहूं तुम्हे ज़ाना इतना...
खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना
दिल करता है सदके तेरे
तेरी बाहों बना मेरा आशियां
मैं चाहूं तुझे ज़ाना इतना
खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना
ये ठंड हवा जो चलती है
वो तेरी छुअन सी लगती है
जो ज़मीं पर चलूं तो
तेरा सफर वो लगती है
किसी ओर पहुंचूं मैं तुझ तक
ये आहे कहती है
मैं चाहूं तुझे हद तक
मेरा वजूद इसे ठहरा है
मैं चाहूं तुम्हे जाना इतना
खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना
किस ओर खड़े हो तुम
किसी छोर पे मैं अटकी हूं
तुम ही हो मेरे हिस्से ये मान के बैठी हु
किसी ओर न अब चलना
बस तुझ पर चलना है
तू भले हो चांद सा
मुझे तुझे ही तकना है
मैं चाहूं तुझे ज़ाना इतना
ख़ामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना
जो प्यार तुझसे वो
उतना ही था मुझमें
जो और बाकी हो मुझमें
वो भी वारु मैं तुझपे
ना चाह कोई मेरी
ना कोई निशाना है
हर बात तू ही है
और तू ही फसाना है
मैं चाहूं तुझे ज़ाना इतना
खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना