भक्ति शिव कि मैं जगाता
चला गया----
भक्ति मैं शिव कि जगाता चला गया
हर मन मे शिव ज्योति जलाता चला गया।।
कोई भी मिल गया
उसे शिव महिमा
बताता चला गया
जन जन कि मनोकामना की
पूर्णता है रुद्र का
गुण गान मैं गाता चला गया।।
भक्ति मैं शिव कि जगाता चला गया
हर मन मे शिव ज्योति जलाता चला गया।।
सावन में शिवालय कि गूंज
हर हर महादेव जयकारा मैं
लगाता चला गया।।
भक्ति मैं शिव कि जगाता चला गया
हर मन मे शिव ज्योति जलाता चला गया।।
शिव आदि देव देवता
जो कुछ भी मांगता
हैं व्यही दाता
दिगम्बर भक्ति भाव मैं
जलाता चला गया।।
भक्ति मैं शिव कि जगाता चला गया
हर मन मे शिव ज्योति जलाता चला गया।।
अनाथों के है नाथ विश्वेश्वर
विश्वनाथ विश्वम्भरा को भाव
भक्ति से नहलाता चला गया।।
सोम रूप प्रथम सोमनाथ
द्वितीय मल्लिकार्जुन दूसरे
ब्रम्ह सत्य ब्रह्मांड गुणागार
गाता चला गया।।
जन्म जीवन मृत्य का सत्य
प्राणि प्राण अवनी आकाश
अभ्यंकरा महाकाल का डमड
डमड निदाद बजाता चला गया।।
ॐ का अस्तित्व आत्मबोध
ॐ ओंकारेश्वर का उजियार
मैं फैलाता चला गया।।
भक्ति मैं शिव कि जगाता चला गया
हर मन मे शिव ज्योति जलाता चला गया।।
जन्म जीवन मोक्ष मार्ग
साकार शिव केदार
गुणागार संसार अभयदान
पाता चला गया।।
ज्ञान बैराग्य का है
प्रकाश वैद्यनाथ शक्ति
श्रोत सार वैद्यनाथ
शंकर कण कण विश्वास
वैद्यनाथ शिव तांडव मै
गुनगुनाता चला गया।।
भक्ति मैं शिव कि जगाता चला गया
हर मन मे शिव ज्योति जलाता चला गया।।
अकाल मृत्यु से मुक्ति
आशीर्वाद त्रयम्बकेश्वर
काल सर्प का विनाश
भय मुक्त दिवम्बरा
राग सुनाता चला गया।।
भक्ति मैं शिव कि जगाता चला गया
हर मन मे शिव ज्योति जलाता चला गया।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।