लिखना मुझे बहुत पसंद है
उस वक्त शब्दों का जुड़ाव ही
मुझे संभालता है जब मैं बेवजह
अपनों की नजर में गलत दिखती हूं ....
पर हकीकत एक यह भी तो है
जिंदगी भर इन शब्दों को मैं संभाल नहीं सकती
एक दिन इनका साथ मुझसे छूट ही जाएगा
जिस दिन मेरी सांसों का हिसाब होगा
पर खुश भी हूं आंखों में आंसू आने के बाद भी
अपनों के लिए बद्दुआ बनकर मेरे ज़हन में नहीं आता .....
_Manshi K